डॉलर्स की किल्लत से जूझ रहे देशों से भारत रुपये से व्यापार करेगा – केंद्रीय वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल

नई दिल्ली – डॉलर्स की कमी महसूस कर रहें देशों के साथ भारत अपने रुपये के ज़रिये कारोबार करने के लिए तैयार हैं, ऐसा ऐलान केंद्रीय वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने किया। कोरोना की महामारी और बाद में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध की वजह से पुरी दुनिया के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था संकटों से घिरी हैं। विकसशील और गरीब देशों की स्थिति को इससे काफी खराब हुई है और यह देश अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश और वैश्विक बैंक की कर्ज सहायता पर निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में इन देशों को आवश्यक सामान की आपूर्ति करने के लिए हम रुपये से कारोबार करने के लिए तैयार होने का ऐलान भारत ने करना ध्यान आकर्षित करता है। इससे रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा होने की दिशा में तेज़ी से बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं।

सुनील बर्थवालशुक्रवार को नई दिल्ली में अन्य देशों के व्यापार संबंधित नई नीति (एफटीपी) का ऐलान किया गया। इस दौरान अन्य देशों के व्यापार में रुपये का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया है। इस ऐलान के बाद केंद्रीय वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इसकी अधिक जानकारी साझा की। जिन देशों को डॉलर्स की किल्लत की समस्या सता रही हैं और जिन देशों की मुद्रा का मुल्य काफी कम हुआ हैं ऐसे देशों के साथ भारत रुपये से व्यापार कर सकता हैं, यह बर्थवाल ने स्पष्ट किया। इससे रुपी पेमेंट सिस्टिम अधिक मज़बूत होगी, यह विश्वास भी उन्होंने व्यक्त किया।

इसी बीच, भारत के पड़ोसी श्रीलंका, बांगलादेश, नेपाल आदि देशों के तिजोरी में पर्याप्त मात्रा में डॉलर्स ना होने की बात स्पष्ट हुई हैं। इससे इन देशों को अपनी आयात का भुगतान करना कठिन होने लगा हैं और यह देश भारत की ओर बड़ी उम्मदि से देख रहे हैं। भारत ने इन देशों से शुरू कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने की तैयारी रखी है और इन देशों की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ज़रूरी कदम भी उठाएं हैं। इसके अलावा अन्य १८ देशों से भारत ने रुपये का इस्तेमाल करके व्यापार शुरू करने की बात सामने आ रही है। साथ ही दुनियाभर के ७२ देशों ने कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने की उत्सुकता दिखाई है।

इससे भारत का रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन रहा हैं, यह दुनियाभर के विश्लेषकों ने स्वीकार किया है। अमरिकी डॉलर को पीछे छोड़कर चीन अपने युआन मुद्रा को आगे कर रहा हैं। चीन को इसमें सफलता हासिल हुई हैं, फिर भी चीनी अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी भयंकर समस्याओं के मद्देनज़र रुपया युआन से अधिक विश्वासार्ह विकल्प होने का दावा कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने किया था। 

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