कोरोना की महामारी में बनी स्थिति में लश्‍कर, जैश और हिजबुल आतंकियों की भर्ती बढाएँगे – साउथ एशिया डेमोक्रैटिक फ्रंट का इशारा

ब्रुसेल्स – पहले ही संकट में फँसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, कोरोना वायरस की महामारी के कारण पूरी तरह ढह जाएगी, ऐसे आसार अभी स्पष्ट रूप में दिखाई देने लगे हैं। इस वजह से पाकिस्तान की सरकार और जनता बेहाल हुई है, फिर भी आतंकी संगठनों के लिए, इस स्थिति में भी नया अच्छा मौक़ा प्राप्त होता दिख रहा है। ब्रुसेल्स स्थित ‘साउथ एशिया डेमोक्रैटिक फ्रंट’ नाम के अभ्यासगुट ने यह चिंता व्यक्त की है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बढ रही बेरोजगारी का लाभ उठाकर लश्‍कर-ए-तोयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन ये संगठन जिहादियों की भर्ती बढाएँगे, ऐसा इस अभ्यासगुट ने कहा है।

आतंकवाद ही पाकिस्तान में पूरे समय तेज़ी में रहनेवाला पेशा होने की बात फिर एक बार स्पष्ट हुई है। कोरोना वायरस की महामारी के कारण पकिस्तान की अर्थव्यवस्था ढह जाने की दहलीज़ पर जा पहुँच रही है और आनेवाले दिनों में इस देश में बेरोज़गारी कोहराम मचाएगी, यह बात भी अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है। बेरोज़गारी के बढने के साथ ही, निराशा में फँसे युवकों को पैसों का लालच दिखाकर लश्‍कर, जैश और हिजबुल जैसे संगठन इन युवकों को अपने जाल में खींच सकते हैं, ऐसी चिंता साउथ एशिया डेमोक्रैटिक फ्रंट के संचालक सिंगफिल्ड वोल्फ ने ज़ाहिर की है।

इससे पहले भी बेरोज़गारी तथा अन्य संकटों का ‘मौक़े के तौर पर’ इस्तेमाल करके, पाकिस्तान में मौजूद इन आतंकी संगठनों ने जिहादियों की भर्ती को गति देने की बात सामने आयी थी। इसकी याद अब वोल्फ ने ताज़ा की है। इस भर्ती के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को कभी भी पैसों की कमी महसूस नही हुई है, यह भी कई बार स्पष्ट हुआ है। इस कारण ये आतंकी संगठन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के युवकों को पैसों के बलबूते पर अपना सदस्य होने के लिए मजबूर करेंगे और आनेवाले समय में इनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए कर सकते हैं।

भारत के सुरक्षा दलों ने पिछले दो वर्षों से जम्मू-कश्‍मीर में शुरू की हुई आक्रामक कार्रवाई की वजह से आतंकी संगठनों की कमर टूट चुकी है। इन आतंकी संगठनों में भर्ती होने के लिए युवक अब उत्सुक ना होने की बात भी दिखाई दे रही है। आतंकी संगठनों में शामिल होने के बाद, कुछ ही दिनों की ज़िंदगी आपके हिस्से आयेगी, यह संदेश भारतीय सेना दे रही है। इसका असर भी स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगा है। ऐसी स्थिति में नए आतंकी तैयार करना पाकिस्तान स्थित लश्‍कर और जैश एवं हिजबुल के लिए कठिन हुआ है। इस वजह से, पाकिस्तान की जनता के सामने खडा हुआ आर्थिक संकट इन आतंकी संगठनों के लिए काफी बडा मौक़ा साबित हो सकता है। इस स्थिति का लाभ उठाने की पूरी कोशिश ये आतंकी संगठन कर सकते हैं। लेकिन अगले दिनों में इसके दुष्परिणाम पाकिस्तान को ही भुगतने होंगें। क्योंकि इन आतंकी संगठनों की हरकतों से ही, पाकिस्तान आतंकवाद का जागतिक केंद्र बना है, यह आरोप नये से साबित होगा। इससे आंतकवाद का पुरस्कार कर रहे और आतंकियों की सुरक्षा कर रहे पाकिस्तान पर आंतर्राष्ट्रीय समुदाय कड़ी कार्रवाई करें, यह माँग भारत अधिक आक्रामकता के साथ कर सकेगा।

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