‘लश्कर-ए-तोयबा’ का छात्र संगठन अमरीका द्वारा ‘आतंकवादी’ घोषित

वॉशिंग्टन, दि. २९ : भारत के खिलाफ कारनामें करनेवाले ‘लश्कर-ए-तोयबा’ इस पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन के ‘अल-मुहम्मदीया स्टुडंट’ इस छात्र संगठन को अमरीका ने ‘आतंकवादी’ घोषित किया है| इस संगठन द्वारा ‘लश्कर’ में आतंकवादियों कों शामिल करने का काम चलता है; साथ ही, यह संगठन आतंकवादी कारनामों के लिये फंड इकठ्ठा करने का काम करता है, ऐसा अमरीका ने कहा है| इसी के साथ ‘लश्कर’ के दो नेताओं पर अमरीका ने प्रतिबंध लगाये हैं|

lt1सन २००१ में अमरीका ने ‘लश्कर-ए-तोयबा’ को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित किया था| इसके बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी ‘लश्कर’ पर पाबंदी लगायी थी| लेकिन इसके बाद भी ‘लश्कर’ के नेता पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं| सन २००८ में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले का सरगना झकीउर रहमान लख्वी फिलहाल पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है| साथ ही, हफीज सईद यह ‘लश्कर’ का संस्थापक, ‘जमात-उद-दवा’ इस संगठन की स्थापना करके भारत के खिलाफ़ सार्वजनिक सभाओं में ज़हर उगल रहा है| ‘जमात-उद-दवा’ पर भी संयुक्त राष्ट्रसंघ और अमरीका ने पाबंदी लगायी है|

पाकिस्तान के खुफ़िया संगठन ‘आयएसआय’ के समर्थन पर ‘लश्कर’ के कारनामे शुरू रहते हैं, यह बात सबको मालूम है| संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा पाबंदी लगायी जाने के बाद भी ‘लश्कर’ के कारनामें जारी ही थे| इसके लिये ‘लश्कर’ ने कई संगठन पिछले कुछ सालों में स्थापित किये थे| सन २००९ में ‘अल-मुहम्मदीया स्टुडंट’ (एएमएस) इस छात्र संगठन की स्थापना ‘लश्कर’ ने की थी| हालाँकि यह ‘छात्र संगठन’ होने का दावा किया जाता है, मग़र फिर भी असल में इस संगठन का पूरा काम ‘लश्कर’ के नेताओं की देखरेख में चलता है| बड़े कार्यक्रम आयोजित कर उसके ज़रिये युवाओं को ‘लश्कर’ में शामिल करने का काम ‘एएमएस’ द्वारा होता है| साथ ही, ‘लश्कर’ के लिए बड़े पैमाने पर निधि जमा करने का काम भी ‘एएमएस’ करता आ रहा है|

भारतीय जाँच एजन्सियों के अनुसार, ‘एएमएस’ यह ‘जमात-उद-दवा’ जैसे ही ‘लश्कर’ से पूरी तरह से जुड़ा संगठन है| इस संगठन के संपर्क में आये हुए छात्र का सबसे पहले ‘ब्रेन वॉश’ कर उन्हे चरमपंथी बनाया जाता है| इसके बाद ‘लश्कर’ में शामिल कर हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाता है|

इस पृष्ठभूमि पर, बुधवार को अमरीका के विदेश मंत्रालय ने ‘एएमएस’ को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित किया है| इस संगठन के साथ ‘लश्कर’ के मोहम्मद सरवार और शाहीद मोहम्मद इन दो प्रमुख नेताओं पर अमरीका ने पाबंदी लगायी| अमरीका के इस प्रतिबंध की वजह से पाकिस्तान पर, इस संगठन पर कार्रवाई करने का दबाव और भी ज़्यादा बढ़नेवाला है|

लेकिन आज तक पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों पर हालाँकि अमरीका और संयुक्त राष्ट्रसंघ ने पाबंदियाँ और निर्बंध ड़ाले हैं, मग़र फिर भी इसका विशेष असर इन संगठनों पर नहीं पड़ता है, यह बात इससे पहले भी स्पष्ट हो चुकी है| पाबंदी लगाकर भी ये संगठन अलग अलग नाम देकर नये संगठन शुरू करते हैं और अपना ‘आतंकवादी’ काम और ज़्यादा तीव्र करते हैं, ऐसा अब तक का अनुभव है| फिर भी पाकिस्तान में कार्यरत रहनेवाले इस छात्र संगठन को ‘आतंकवादी’ घोषित करके अमरीका ने पाकिस्तान पर का दबाव कुछ हद तक बढ़ाया है| इसपर पाकिस्तान से प्रतिक्रिया आ सकती है|

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