१५ वें दौर की चर्चा में लद्दाख के सीमा विवाद का हल निकलेगा – चीन का विश्‍वास

नई दिल्ली/बीजिंग – लद्दाख के सीमा विवाद का हल निकालने के लिए भारत और चीन की सेना १५ वें दौर की चर्चा शुक्रवार से करेंगे| इस चर्चा से दोनों देशों को स्वीकार होनेवाला हल निकलेगा, यह विश्‍वास चीन के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त किया| इसी बीच, भारत ने चीन को फिर से यह अहसास दिलाया हैं कि, यदि दोनों देशों के संबंधों में सुधार करना हैं तो इसके लिए सीमा पर शांति और सौहार्दता स्थापित करनी ही होगा| फिलहाल यूक्रैन के मसले पर रशिया के पक्ष में खड़े हुए चीन को अमरीका के प्रतिबंधों का ड़र सता रहा हैं| इस पृष्ठभूमि पर लद्दाख का तनाव कम करने के लिए चीन यह समज़दारी की भूमिका अपनाता दिख रहा हैं|

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने चर्चा के इस १५ वें दौर में दोनों देशों को मंजूर होनेवाला हल निकलेगा यह विश्‍वास व्यक्त किया| पहले हुई चर्चा के दौरान दोनों देशों ने अपनी भूमिका स्पष्ट तौर पर रखी थी और दूसरें की भूमिका समझने की कोशिश की थी| इसका असर चर्चा के १५ वें दौर में दिखेगा, ऐसा लिजिआन ने कहा हैं| तभी, सोमवार को चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने भारत के संबंधों को लेकर अहम बयान किया था| भारत और चीन के संबंधों को बड़ा नुकसान पहुँचा हैं, यह बात विदेशमंत्री वैंग ई ने कबुली थी|

लेकिन, दोनों देशों के संबंधों को ऐसा नुकसान पहुँचना भारत और चीन के हित में नहीं होगा| सीमा विवाद का व्यापक असर द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं होना चाहिये, दोनों देश एक-दूसरें के बैरी बनने के बजाय एक-दूसरें की सफलता के भागीदार होना अधिक उचित होगा, ऐसा समज़ाने की कोशिश चीन के विदेशमंत्री ने की थी| लगभग उसी भाषा में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने चीन की भूमिका रखी| भारत और चीन के हितसंबंध समान हैं और दोनों देशों के सहयोग के लिए काफी बड़े अवसर उपलब्ध हैं| साथ ही दोनों देश एक-दूसरे की सहायता करके अपनी जनता का जीवनमान अधिक सुधार सकते हैं| इसे ध्यान में रखकर भारत-चीन विश्‍वास बढ़ाने की कोशिश करेंगे, यह उम्मीद झाओ लिजिआन ने व्यक्त की|

गौरतलब है कि, पहले भी भारत ने सीमा विवाद को अनदेखा करके द्विपक्षीय सहयोग जारी रखें, यह उम्मीद चीन ने व्यक्त की थी| अगल शब्दों में भारत की सीमा में चीन की सेना ने घुसपैठ करने की कोशिश की तो भी भारत उसे बर्दाश्त करें, यह उम्मीद चीन ने रखी हैं| द्विपक्षीय सहयोग की अहमियत ध्यान में रखकर चीन की सेना को यह सहुलियत देने की फिजूल उम्मीद कभी भी पुरी नहीं होगी, इसका अहसास भारत ने समय समय पर चीन को कराया था| उल्टा दोनों देशों के संबंध सामान्य रखने हैं तो व्यापारी सहयोग करना हैं तो पहले सीमा पर शांति और सौहार्दता स्थापित करना आवश्यक हैं, यह बात भारत लगातार चीन से कहता रहा हैं| भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में बोलते समय चीन को फिर से इसी का अहसास कराया|

एक-दूसरें का भरोसा, एक-दूसरें के लिए संवेदशनील होनेवाले विषयों का अहसास एवं एक-दूसरें के हितसंबंध ध्यान में रखना, इसपर भारत-चीन के संबंध निर्भर हैं, ऐसा इशारा विदेस सचिव श्रृंगला ने दिया| इसी बीच लद्दाख के सीमा विवाद को लेकर इस बार चीन ने काफी अलग बयान किए नहीं हैं, फिर भी चीन का विदेश मंत्रालय इस बार अलग ही संकेत दे रहा हैं| फिलहाल जारी यूक्रैन युद्ध में चीन ने पुरी तरह से रशिया का पक्ष उठाया हैं| ऐसी स्थिति में अमरीका के प्रतिबंध रशिया से काफी बड़े व्यापारी सहयोग रखनेवाले चीन को नुकसान पहुँचा सकते हैं| चीन का अमरीका के साथ भारी मात्रा में व्यापार हो रहा हैं और इसकी तुलना में चीन का रशिया के साथ जारी व्यापार ना के बराबर  हैं| इसका अहसास विश्‍लेषक करा रहे हैं| इस वजह से अमरीका के प्रतिबंधों से चीन को अधिक नुकसान होकर रहेगा, ऐसा इशारा विश्‍लेषक दे रहे हैं|

एक ओर रशिया के साथ राजनीतिक एवं रणनीतिक और सैन्य सहयोग वही, दूसरी ओर अमरीका के साथ छह सौ अरब डॉलर्स का व्यापार इससे क्या चुनना हैं, इसका कठिन निर्णय चीन को करना होगा| इसका तनाव चीन पर होने की बात स्पष्ट हुई हैं| ऐसी स्थिति में रशिया के साथ भारत का सहयोग बढ़ाना चीन के हित में होगा| इसी वजह से चीन सीमा विवाद पर अधिक नरम रवैया दर्शाता दिख रहा हैं|

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