खुराफातखोर चीन को रोकने के लिए भारत आक्रामक बनें – पूर्व राजनीतिक और लष्करी अधिकारियों की माँग

नई दिल्ली – एलएसी पर फिर से चीन की खुराफाती हरकतें टालनी हों, तो भारत ने प्रतिबंधात्मक उपाययोजना पर अमल करना होगा, ऐसा मशवरा भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने दिया है। चीन के विरोध में राजनीतिक स्तर पर होहल्ला करके अथवा अन्तर्राष्ट्रीय मोरचे बनाकर चीन पर असर नहीं होगा। उसकी अपेक्षा भारत एलएसी पर अपना सामर्थ्य बढ़ाएँ, ऐसा मेनन ने कहा है। चीन फिर से घुसपैंठ करेगा यह ध्यान में रखकर, वैसा मौका ही चीन को ना मिलें, इसके लिए भारतीय लष्कर आक्रामक दाँवपेंचों इस्तेमाल करें, ऐसी माँग पूर्व लष्करी अधिकारी कर रहे हैं।

India-stop-Chinaपिछले साल लद्दाख की एलएसी के पँगॉंग सरोवर क्षेत्र क्षेत्र में भारतीय लष्कर ने जिस प्रकार आक्रामक कार्रवाई करके चीन को झटका दिया था, वैसी ही कार्रवाई अब भी अपेक्षित है। वरना भारत एलएसी पर चीन की खुराफाती हरकतें रोक नहीं सकेगा, ऐसा शिवशंकर मेनन ने कहा। एक ऑनलाइन कार्यक्रम में बात करते समय मेनन ने यह मशवरा दिया। भारतीय लष्कर के मेजर (निवृत्त) गौरव आर्या ने भी यह माँग की है कि भारतीय लष्कर अभी से चीन की घुसपैंठ को प्रत्युत्तर देने की तैयारी रखें। सन २०१७ में डोकलाम में चीन ने घुसपैंठ की कोशिश करके देखी थी। उस समय भारतीय सेना ने चीन के लष्कर को रोका था। उस समय चीन के लष्कर को सबक सिखाना भारतीय सेना के लिए बहुत ही आसान था। लेकिन भारत ने वैसा नहीं किया। इसी कारण चीन ने लद्दाख की एलएसी पर घुसपैठ करने की जुर्रत की, ऐसा दावा मेजर आर्या ने किया।

पिछले साल लद्दाख की एलएसी पर घुसपैंठ करना चाहनेवाले चीन के लष्कर को भारतीय सेना ने जबरदस्त प्रत्युत्तर दिया। गलवान की वैली में चीन के लष्कर ने, भारत से भी अधिक संख्या में अपने जवान गँवाए थे। लेकिन तानाशाही व्यवस्था होनेवाला यह देश अपनी विरोध में आनेवाली खबरों को आसानी से दबा सकता है। लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था होनेवाले भारत में खबरों पर वैसा नियंत्रण नहीं रखा जाता, इसका फ़ायदा चीन ने उठाया और इस लद्दाख की एलएसी पर चीन विजयी होने का आभास निर्माण किया, ऐसा गौरव आर्य ने सोशल मीडिया में दिए एक इंटरव्यू में कहा है। चीन प्रचार युद्ध का बड़ी ही कल्पकता से इस्तेमाल करके भारत पर दबाव बढ़ा रहा है, इसपर भी गौरव आर्य ने गौर फरमाया।

इसी कारण, आनेवाले समय में अगर चीन की खुराफातों को रोकना हो, तो भारत ने ही एलएसी पर अधिक आक्रामकता दिखानी चाहिए। भारतीय लष्कर ने ही चीन की सीमा में प्रवेश करने की ज़रूरत है। प्रचार युद्ध का इस्तेमाल चीन द्वारा किया जाता है, इसे मद्देनजर रखकर, भारत ने यही बात चीन पर बूमरैंग करने की तैयारी रखनी चाहिए। उसी समय, चीन में चल रहे लोकतंत्रवादी आंदोलनों को समर्थन देना चाहिए। क्योंकि भारत अथवा अमरीका के लष्करों से भी चीन, लोकतंत्र को ही अधिक मात्रा में घबराता है। इसी कारण अन्तर्राष्ट्रीय सोशल मीडिया पर चीन ने प्रतिबंध लगाए हैं, इस बात पर भी मेजर गौरव आर्य ने गौर फ़रमाया।

चीन को सबक सिखाने की पूरी क्षमता भारतीय सेना के पास है। चीन को भी इसका एहसास है। लेकिन भारत की अब तक की भूमिका संयमी और बचावात्मक रही है, इसका फायदा चीन द्वारा उठाया जाता है। आनेवाले समय में अगर भारत ने ऐसा फैसला किया कि चीन को इसका फायदा नहीं उठाया दिया जाएगा, तो ही चीन को इसका एहसास होगा कि अपनी खुराफातों की कीमत उसे चुकानी पड़ेगी। उसके बाद ही चीन के आचरण में सुधार होगा। वरना चीन भारत को अलग-अलग मार्गों से परेशान करता रहेगा। फिलहाल लद्दाख की एलएसी पर घुसपैंठ करने की कोशिश कर रहा चीन, आनेवाले समय में अधिक तैयारी के साथ अरुणाचल प्रदेश की एलएसी पर घुसपैठ कर सकता है। इसी कारण, अगर इसे टालना हो, तो आक्रामक दाँवपेंचों का इस्तेमाल करने के अलावा और कोई चारा नहीं है, ऐसा गौरव आर्य ने जताया है। 

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