जापान द्वारा रक्षाखर्च हेतु ४४ अरब डॉलर्स का प्रावधान

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 जापान की स्वसुरक्षाविषयक भूमिका में आक्रामक परिवर्तनों की घोषणा करने के बाद प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने जापान के लिए पूरे ४४ अरब डॉलर्स के रक्षाखर्च की घोषणा की। उसीके साथ, इसके बाद जापान का लष्कर, अमरीका एवं अपने मित्रदेशों की रक्षा हेतु चल रहे संघर्षों में भी सहभागी होगा, ऐसी भी घोषणा फिर एक बार अबे ने की। ‘ईस्ट और साऊथ चायना सी’ में चीन की लष्करी गतिविधियाँ बढ़ रहीं होते समय, जापान द्वारा रक्षाखर्च के लिए किया गया यह प्रावधान मायने रखता है।

जापान की संसद ने मंगलवार को सन २०१६-२०१७ के लिए ८५३ अरब डॉलर्स का बजट घोषित किया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली ही बार जापान सरकार ने इतने बड़े बजट की घोषणा की है। उसमें भी, अबे सरकार ने रक्षा मंत्रालय के लिए प्रस्तावित किये प्रावधानों को भी संसद ने बिना किसी कटौती के मंज़ूर कर दिया। रक्षाखर्च के लिए इतने बड़े पैमाने पर प्रावधान किया होने के कारण विरोधकों ने अबे सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा किया है। अपने विरोधकों की आलोचना को प्रत्युत्तर देते समय अबे ने जापान के सामने खड़ी चुनौतियों का एहसास करा दिया।

जापान के आसपास की परिस्थिति ख़तरनाक बन गयी होकर, जापान की सुरक्षा के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है। इसलिए स्व-सुरक्षा के लिए जापान को अपनी रक्षासिद्धता को बढ़ाना आवश्यक है, ऐसा अबे ने कहा। प्रधानमंत्री अबे ने सुरक्षा के लिए किये गए विक्रमी प्रावधान का विश्लेषण नहीं किया है। लेकिन इसमें से एक मुद्दे को लेकर जापानस्थित विरोधक अबे की आलोचना कर रहे हैं। मंगलवार को राजधानी टोकियो में नागरिकों ने अबे सरकार की रक्षानीति के विरोध में प्रदर्शन भी किए।

सालभर पहले, अबे ने जापान की रक्षा नीति में परिवर्तन करने की घोषणा की थी। इसमें, जापान का लष्कर स्वसुरक्षा के साथ साथ, अपने मित्रदेशों की सुरक्षा के लिए चलनेवाले संघर्ष में भी शामिल होगा, ऐसी घोषणा अबे ने की थी। आनेवाले समय में यदि संघर्ष भड़क उठा, तो जापान का लष्कर अमरीका, दक्षिण कोरिया तथा अन्य मित्रदेशों की सुरक्षा के लिए ठेंठ युद्ध में उतर सकता है, ऐसा अबे ने कहा था।

इससे पहले जापान का लष्कर संयुक्त राष्ट्र की शांतिमुहिमों मे सहभागी हुआ था। लेकिन गत छ: दशकों की कालावधि में जापान ने किसी भी देश के संघर्ष में हिस्सा नहीं लिया था। उस पार्श्वभूमि पर, अबे ने लिया यह निर्णय जापान में कुछ लोगों को रास नहीं आया है, ऐसा दिखायी दे रहा है।

इसके अलावा, अबे ने ‘ईस्ट चायना सी’ में स्थित सेंकाकू द्वीपों की सुरक्षा के लिए अमरिकी मरिन्स की तरह स्वतंत्र लष्करी पथक सुसज्जित करने की घोषणा की थी। अबे की इन नयीं लष्करी नीतियों की चीन ने ज़ोरदार आलोचना की थी। अबे की नीतियाँ जापान को पुन: बड़े युद्ध की खाई में धकेल देनेवाली साबित होंगी, ऐसी  चेतावनी चीन ने दी थी।

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