अमरिकी प्रतिबंधों से दूर रहने के लिए इस्लामी देश सोने का दिनार या बार्टर एक्सचेंज का प्रयोग करें – मलेशिया के प्रधानमंत्री का निवेदन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकौलालंपूर – इस्लाम देश सोने के दिनार का चलन के तौर पर प्रयोग शुरू करें या सामान के बदले में सामान देने की कल्पना पर (बार्टर एक्सचेंज) व्यवहार करें, यह सुझाव मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने दी है| इससे अमरिका जैसे देश ने लगाए प्रतिबंधों का सामना करना मुमकिन होगा, यह भरौसा भी महाथिर मोहम्मद ने व्यक्त किया| ईरान और तुर्की इन देशों ने उन्होंने रखा यह सुझाव का जोरदार समर्थन किया है और नजदिकी समय में यह देश इसपर अमल करने की दिशा में कदम उठाने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे है|

मलेशिया के कौलालंपूर समिटमें तुर्की, ईरान और कतार यह प्रमुख देश शामिल हुए है| यह देश सौदी अरब के नेतृत्व में होनेवाली ऑर्गनायझेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन(ओआयसी) को चुनौती देने की तैयारी में होने की बात स्पष्ट दिख रही है| इसी वजह से सौदी अरब एवं मित्रदेश इस परिषद से दूर रहे है| इस परिषद में शामिल होेने की इच्छा रखनेवाले पाकिस्तान को भी सौदी के दबाव के कारण इस परिषद का हिस्सा होना मुमकिन नही हुआ था, यह दावा भी हो रहा है| पर, सौकी अरब ने यह आरोप ठुकराए है|

ऐसी स्थिति में कौलालंपूर समिटमें इस्लामी देशों के आर्थिक सहयोग को सबसे अधिक अहमियत दी जा रही है| अंतरराष्ट्रीय चलन बने अमरिकी डॉलर्स का वर्चस्व कम करना है तो इस्लामी देशों की क्रिप्टोकरन्सी जारी करनी होगी, यह सुझाव भी ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने इस परिषद में रखा था| तभी मलेशिया के प्रधानमंत्री डॉ.महाथिर मोहम्मद ने सोने के दिनार का प्रयोग करके इस्लामी देश एक दुसरे से व्यवहार करें यह मांग भी रखी| साथ ही बार्टर एक्सचेंज का विकल्प भी खुला होने का सुझाव भी उन्होंने रखा|

इस वजह से किसी भी देश ने एक तरफा लगाए प्रतिबंधों का असर इस्लामी देशों को भुगतने की जरूरत नही रहेगी, यह बयान करके महाथिर मोहम्मद ने ध्यान आकर्षित किया है| अमरिका ने ईरान पर कडे आर्थिक प्रतिबंध लगाए है| इससे ईरान की अर्थव्यवस्था काफी मुश्किलों में फंसी है| तभी, तुर्की पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी भी अमरिका कर रही है| कतार जैसा देश भी सौदी अरब एवं मित्रदेशों ने खडी की हुई मुश्किलों में फंसा है| ऐसी समस्याओं का हल सोने का दिनार या बार्टर एक्सचेंज से निकालना मुमकिन होगा, यह बात महाथिर मोहम्मद ने रखी|

इससे पहले वर्ष १९९७ में एशियाई देश आर्थिक संकट में फंसे थे, तभी महाथिर मोहम्मद ने सोने के दिनार का विकल्प अपनाने की सलाह दी थी| पर, अंतरराष्ट्रीय चलन बनें अमरिकी डॉलर को चुनौती देने की तैयारी अन्य किसी भी देश ने तभी भी नही दिखाई थी| पर, कौलालंपूर समिट में फिर से यह विषय सामने आया है और तुर्की, ईरान और मलेशिया अमरिकी डॉलर को चुनौती देने के लिए विकल्प देने की तैयारी में दिखाई दे रहे है|

आज एक इस्लामी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा रहे है, ऐसे में आगे अपने देश पर भी प्रतिबंध लग सकते है, यह ध्यान में रखकर इस्लामी देश इस नई आर्थिक व्यवस्था में शामिल हो, यह निवेदन महाथिर मोहम्मद ने किया है| इस वजह से वर्ष १९७० के दशक में पेट्रोडॉलरको मंजुरी प्राप्त होने से अंतरराष्ट्रीय चलन बने अमरिकी डॉलर के सामने और एक चुनौती खडी होती दिख रही है| इसी वजह से इसपर अमरिका और सौदी अरब एवं अन्य मित्रदेश कडी प्रतिक्रिया दर्ज करने की कडी संभावना है|

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