१५० लोगों की जान लेनेवाले, राजेंद्रनगर एक्सप्रेस के हादसे के पीछे ‘आयएसआय’ होने का बिहार पुलीस का दावा

नयी दिल्ली, दि. १८: १५० यात्रियों की जान लेनेवाले पटना-इंदौर ‘राजेंद्रनगर एक्सप्रेस’ के हादसे के पीछे ‘आयएसआय’ यह पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजन्सी है, यह चौंकानेवाली बात सामने आई होने का दावा बिहार पुलीस ने किया है| दो दिन पहले चंपारण ज़िले से तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था| उनकी तहकिकात में इस बात का खुलासा हुआ है| इस वजह से भारतीय रक्षा एजन्सियाँ और भी सतर्क हुई हैं और राष्ट्रीय जाँच एजन्सी (एनआईए) का विशेष पथक बिहार भेजा गया है|

पटना-इंदौर ‘राजेंद्रनगर एक्सप्रेस’

२० नवम्बर २०१६ को राजेंद्रनगर एक्सप्रेस को उत्तर प्रदेश के कानपूर के नज़दीक भीषण रेल अपघात हुआ था| सुबह लगभग तीन बजे हुए इस भीषण हादसे में, राजेंद्रनगर एक्सप्रेस के १४ डिब्बें कट चुके थे| लेकिन यह हादसा नहीं, बल्कि आतंकी हमला था और इसकी साज़िश पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजन्सी ‘आयएसआय’ ने रची थी; यह बात, एक अन्य अपराध की जाँच करते समय हाथ आये आरोपी की तहकिकात में सामने आई है|

पिछले महिने बिहार के घोरासहन ज़िले से दो लोग लापता हुए थे| लापता हुए अरुण राम और दीपक राम के शव नेपाल सीमा के पास जंगल में पाये गये थे| इस हत्या की जाँच करते समय बिहार पुलिस ने पिछले हप्ते मुहाजिर अन्सारी नामक एक आरोपी को गिरफ़्तार किया था| इसके बाद अन्सारी की पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर, और दो लोगों को बिहार पुलीस ने गिरफ़्तार किया था| इन दोनों की तहकिकात में यह चौंकानेवाली जानकारी मिली है|

अरुण राम और दीपक राम ये दोनों बिहार के चंपारण ज़िले में रेल पटरी पर आयईडी का विस्फोट कर उसे उड़ाने की साज़िश में शामिल थे| १ अक्तूबर २०१६ के दिन इन दोनों ने रेल की पटरी पर आयईडी लगाये थे| लेकिन वायर न जोड़ने की वजह से यह विस्फोट नहीं हुआ था| इस काम के लिए इन दोनों को २० लाख रुपये दिए जानेवाले थे| इन रुपयों में से कुछ पैसे विस्फोट करने से पहले दिये गए थे| लेकिन इन दोनों की गलती की वजह से यह साज़िश विफल हुई थी| इसके बाद, विस्फोट करने के लिए दिया गया पैसा वापिस न करने की वजह से दोनों की हत्या की गई थी|

लेकिन पहली साज़िश नाकाम होने के बाद दूसरी साजिश को, कानपूर में रेल की प़टरी को उड़ाकर अंजाम दिया गया| अरुण राम और दीपक राम की हत्या के सिलसिले में मुहाजिर अन्सारी, बृजकिशार और शंभू गिरी इन तीनों के अलावा कुछ और लोग भी इस साज़िश में शामील थे| इन तीनों को नेपाल से गिरफ़्तार किया गया है| इसके बाद दो दिन पहले मोती पासवान, उमा शंकर और मुकेश यादव इन अन्य तीन लोगों को घोरासाहन से गिरफ्तार किया गया है| इन सभी की पूछताछ में दुबई के एक नेपाली व्यापारी ब्रिजेश गिरी का नाम सामने आया था| कानपूर के पास रेल पटरी धमाका कर उड़ाने के लिए इन तीनों को तीस लाख रुपये दिए गए थे| इसके लिए नेपाल के ‘आयएसआय’ के हस्तकों का इस्तेमाल किया गया था| ब्रिजेश गिरी ने इसके लिए पैसा मुहैय्या कराया था| ब्रिजेश गिरी भी ‘आयएसआय’ का हस्तक है, यह बात सामने आ रही है| पुलीस अब इस मामले में गजेंद्र शर्मा और राकेश यादव इन दोनों को ढूँढ़ रही है|

बिहार पुलीस की पूछताछ में सामने आ रही जानकारी सच है, तो ‘आयएसआय’ भारत में आतंकवादी हमलों के नये प्रयोगों का इस्तेमाल कर रही है, यह बात सामने आ रही है| इस वजह से, आनेवाले समय में रेल पटरी की सुरक्षा की ओर सरकार को ख़ास ध्यान देना पड़ेगा|

पिछले कुछ महीनों में, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और तनावपूर्ण बने हैं| उरी में लष्करी ठिकानों पर हमले के बाद भारत ने २८ सितंबर को सर्जिकल स्ट्राईक करते हुए ‘पीओके’ में कई आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था| इसके तुरंत बाद १ अक्तूबर को चंपारण ज़िले में रेल पटरी उड़ाने की साज़िश रची गई थी, यह बात सामने आई है| लेकिन इस मामले की पूछताछ पूरी किये बिना केंद्रीय गृहमंत्रालय किसी भी प्रकार की जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है|

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