इराक की संसद में इस्रायल के सहयोग के विरोध में प्रस्ताव पारित

बगदाद – इस्रायल के साथ सहयोग रखना इसके आगे अपने देश में गंभीर अपराध होगा, ऐसा प्रस्ताव इराक की संसद में पारित किया गया। इसके अनुसार इस्रायल से सहयोग रखनेवाला व्यक्ति या संगठन को मृत्युदंड़ या उम्रकैद की सज़ा भी हो सकती है। इस प्रस्ताव पर इस्रायल ने जोरदार आलोचना की है।

इराक की संसद में पिछले हफ्ते पेश किए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में ३२९ में से कुल २७५ सदस्यों ने मतदान किया। अन्य अरब-इस्लामी देशों की तरह इराक ने अब तक इस्रायल को देश के तौर पर मंजूरी प्रदान नहीं की है। साथ ही इराक के नागरिक इस्रायल की यात्रा नहीं कर सकते। लेकिन, इराक की कुछ कंपनियाँ और उद्यमी गुप्त पद्धति से इस्रायल से सहयोग कर रहे हैं और कारोबार भी कर रहे हैं, यह सामने आया है।

महीनाभर पहले ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ ने इराक के कुर्दिस्तान प्रांत में रॉकेट हमले किए थे। कुर्दिस्तान की राजधानी इरबिल में इस्रायली गुप्तचर यंत्रणा मोसाद के ठिकाने हैं और इसे लक्ष्य करने का दावा ईरान ने किया था। लेकिन, हमारे देश में मोसाद के ठिकाने ना होने की बात कहकर इराक की सरकार ने ईरान का लगाया हुआ आरोप खारिज किया था।

लेकिन, कुछ हफ्ते बाद कुर्दिस्तान के प्रसिद्ध उद्यमी बाज़ करीम और इस्रायली उद्यमियों का सहयोग होने की खबरें प्रसिद्ध हुई थीं। बाज़ की कंपनी इस्रायली उद्यमी के सहयोग से यूरोप के लिए ईंधन आपूर्ति करने के काम में शामिल होने के दावे प्रसिद्ध हुए थे। इस सहयोग को लक्ष्य करने के लिए ही ईरान ने इरबिल में स्थित बाज़ के आलिशान घर पर रॉकेट हमले किए, यह स्पष्ट हुआ था। इस पृष्ठभूमि पर इराक की संसद ने इस्रायल विरोधि यह प्रस्ताव पारित किया दिख रहा है।

अब्राहम समझौते के अनुसार यूएई, बहरीन, मोरोक्को, सुड़ान जैसे अरब इस्लामी देशों ने इस्रायल को स्वीकृति प्रदान करके राजनीतिक संबंध स्थापित किए हैं। सौदी अरब ने खुलेआम यह निर्णय नहीं किया है, फिर भी सौदी का नेतृत्व भी आनेवाले समय में इस्रायल के साथ सहयोग करेगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस्रायल के विरोध में सख्त भूमिका अपनानेवाले तुर्की ने भी अब इस्रायल के साथ सहयोग शुरू करने का ऐलान किया है। ऐसी स्थिति में इराक की संसद में पारित हुआ इस्रायल विरोधि प्रस्ताव अलग ही संकेत दे रहा है।

इराक से अलग होने की मंशा रखनेवाले कुर्द वंशियों के गुटों को इस्रायली सेना प्रशिक्षण, हथियार प्रदान कर रही है, यह आरोप हुआ था। इराक में स्थित ईरान समर्थक शिया पंथी सशस्त्र गुटों ने पिछले हफ्ते इस्रायल पर यह आरोप लगाया था। साथ ही इराक के स्वायत्त कुर्दिस्तान प्रांत के प्रधानमंत्री मसरूर बर्झानी को भी शियापंथियों के गुटों ने तीखे सवाल किए थे।

इस वजह से इराक में इस्रायल विरोधि माहौल गरमाया है और ईरान समर्थक गुट आक्रामकता से इस्रायल के विरोध में भूमिका अपनाते दिख रहे हैं। इसका दबाव इराक की सरकार और अन्य राजनीतिक दलों पर बन रहा है। यह बात इराक की संसद में पारित हुए इस्रायल विरोधि प्रस्ताव से स्पष्ट हुई है और आनेवाले समय में भी इराक को इस्रायल के विरोध में खड़ा करने की कोशिश ईरान समर्थक गुट करेंगे, ऐसी कड़ी संभावना है।

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