अफ़गानिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ ईरान और ताजिकिस्तान में सहयोग

तेहरान – रशिया-यूक्रेन युद्ध और अफ़गानिस्तान की अस्थिरता की वजह से मध्य एशियाई देशों के लिए आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है। इसका अहसास होने पर ईरान और ताजिकिस्तान जैसे अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की गतिविधियाँ शुरू की हैं। पिछले महीने ताजिकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने ईरान का दौरा किया था। तब यह सहयोग स्थापित होने का दावा किया जा रहा है।

ईरान और ताजिकिस्तान दोनों अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देश हैं। पिछले साल तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अपनी हुकूमत स्थापित करने के बाद इन दोनों देशों ने आतंकवाद से अपनी सीमा को खतरा होने की चिंता जतायी थी। ऐसी स्थिति में पिछले महीने ताजिकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष इमोमअली रहमोन ने ईरान का दौरा करके राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी से मुलाकात की थी।

ताजिकिस्तान और ईरान के नेताओं में चर्चा के बाद आर्थिक, व्यापारी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, पर्यटन एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने के लिए समझौते किए गए थे। साथ ही दोनों देशों के बीच सुरक्षा के क्षेत्र में भी स्वतंत्र सहयोग हो सकता हैं, ऐसे संकेत ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने दिए थे। इसकी जानकारी अब सामने आ रही है।

तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अपनी हुकूमत भले ही स्थापित की हो, लेकिन इस देश में आतंकी गतिविधियों में बदलाव नहीं आया है। अफ़गानिस्तान के आयएस और अन्य आतंकी संगठनों की हरकतें हमारे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं, इसका अहसास ईरान और ताजिकिस्तान को हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर इन दोनों देशों ने अफ़गानिस्तान के आतंकवाद के विरोध में सहयोग बढ़ाने की गतिविधियाँ शुरू करने की खबरें प्राप्त हो रही हैं।

इसी बीच, तालिबान को अफ़गानिस्तान की सत्ता पर बिठाकर हमारे विरोध में साज़िश की गयी है, यह आरोप ईरान ने लगाया था। इसी बीच ताजिकिस्तान ने तालिबानी हुकूमत मंजूर ना होने का बयान बड़ा ड़टकर किया था। साथ ही अफ़गानिस्तान के नॉर्दन रेझिस्टन्स फ्रंट जैसी तालिबान विरोधि गुट को ताजिकिस्तान सहायता प्रदान कर रही है, यह दावा किया जा रहा है।

दो दशक पहले भी अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत के खिलाफ ईरान, ताजिकिस्तान के साथ भारत और रशिया ने भी गुट बनाया था।

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