ईरान-चीन सैन्य सहयोग बढ़ाएँगे – ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी

तेहरान – चीन ने अगले २५ सालों में ईरान में कुल ४०० अरब डॉलर्स का रणनीतिक निवेश करने का ऐलान किया था| कुछ हफ्ते पहले इस समझौते का कार्यान्वयन शुरू हुआ| दोनों देशों के सहयोग के अगले चरण में ईरान और चीन सैन्य सहयोग का दायरा बढ़ाएँगे, यह ऐलान ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने किया| चीन का यह सैन्य सहयोग अमरीका की एकतरफा नीति के खिलाफ होगा, यह ऐलान भी ईरान के राष्ट्राध्यक्ष ने किया|

सैन्य सहयोगचीन के रक्षामंत्री वी फेंघ ने हाल ही में ईरान का दौरा करके राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी और रक्षामंत्री जनरल मोहम्मद रेज़ा अश्तीनाई से मुलाकात की| राष्ट्राध्यक्ष रईसी और चीन के रक्षामंत्री की मुलाकात में सैन्य सहयोग बढ़ाने पर एकमत हुआ| साथ ही यह सहयोग अमरीका के खिलाफ होने का संदेश दोनों देशों ने दिया|

‘अमरीका की एकतरफा नीति का विरोध करके विश्‍व में स्थिरता स्थापित करनी हो तो ईरान और चीन जैसे एकसी विचारधारा वाली ताकतों में सहयोग आवश्यक है| फिलहाल खाड़ी क्षेत्र में और वैश्‍विक स्तर पर जारी गतिविधियों पर गौर करें तो ईरान-चीन के रणनीतिक सहयोग की कीमत का स्पष्ट अहसास होता है’, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने कहा|

सैन्य सहयोगईरान के रक्षामंत्री जनरल मोहम्मद रेज़ा ने खाड़ी में अमरिकी सेना की तैनाती की आलोचना की| ‘जिस क्षेत्र में अमरीका की सेना तैनात होती है, उस क्षेत्र में असुरक्षितता, अस्थिरता, दरार, निराशा, युद्ध, विनाश और विस्थापन की लहर उठती है’, ऐसी तीखी आलोचना ईरान के रक्षामंत्री ने की|

चीन के रक्षामंत्री ने सीधे अमरीका का ज़ीक्र किए बिना ईरान का व्यापार सैन्य सहयोग आवश्यक होने की बात कही| ‘आतंकवाद और एकतरफा नीति के खिलाफ लड़ने के लिए ईरान से सैन्य सहयोग काफी अहम होगा| विशेषरूप से वर्तमान दौर की गतिविधियॉं और तनाव से भरी स्थिति पर गौर करें तो इस सहयोग की अहमियत से इन्कार नहीं किया जा सकता’, ऐसा चीन के रक्षामंत्री फेंघ ने कहा|

इसी बीच, चीन के रक्षामंत्री के इस ईरान दौरे पर और सैन्य सहयोग को लेकर किए ऐलान पर इस्रायल के सैन्य विश्‍लेषकों ने चिंता जताई है| चीन-ईरान का यह सहयोग खाड़ी में अमरीका के प्रभाव और इस्रायल की सुरक्षा को चुनौती देनेवाला साबित होगा, ऐसी चिंता इन सैन्य विश्‍लेषकों ने व्यक्त की|

वियना में अमरीका और ईरान के बीच परमाणु समझौते की बातचीत नाकाम हो रही है| साथ ही चीन की ड्रोन कंपनियों ने रशिया में अपना उत्पादन बंद किया है| ऐसी स्थिति में चीन के रक्षामंत्री ने ईरान का दौरा करके सैन्य सहयोग से संबंधित किया हुआ ऐलान ध्यान आकर्षित कर रहा है| इसी को इस्रायली विश्‍लेषक अहमियत दे रहे हैं|

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