‘सीपीईसी’ में निवेश करना यानी भारत को सीधी चुनौती – चीन और पाकिस्तान समेत भारत की अन्य देशों को भी चेतावनी

नई दिल्ली – ‘भारत का अभिन्न हिस्सा होनेवाले पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर में पाकिस्तान और चीन ने शुरू की हुई ‘कॉरिडॉर’ परियोजना असल में अवैध और गैरकानूनी एवं बर्दाश्त करने लायक नहीं है। इसमें तीसरे देश को शामिल करने की कोशिश यानी भारत की संप्रभुता और अखंड़ता को सीधी चुनौती देना होगा’, ऐसे सख्त शब्दों में विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान और चीन को फटकार लगायी।

‘सीपीईसी'

‘चायना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) की २१ जुलाई को बैठक हुई थी। इस दौरान दोनों देशों ने सीपीईसी परियोजना में तीसरे देश के समावेश को प्रोत्साहन देने का निर्णय किया था। इस माध्यम से भारत अवैध करार दे रहे इस परियोजना को वैधता दिलाने की साज़िश पाकिस्तान और चीन ने रचि है। खास तौर पर इस परियोजना में सौदी अरब से निवेश पाने की खास कोशिश यह देश कर रहे हैं, ऐसी जानकारी पाकिस्तानी समाचार चैनल दे रहे थे। सौदी और भारत के संबंधों के मद्देनज़र यह कोशिश सफल होने की संभावना नहीं है। फिर भी भारत ने पाकिस्तन और चीन की इस साज़िश का गंभीर संज्ञान लिया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को पाकिस्तान और चीन की सीपीईसी परियोजना ही असल में अवैध होने का अहसास कराया। पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा किए ‘पीओके’ का क्षेत्र भारत का ही है। इस वजह से चीन और पाकिस्तान की इस अवैध परियोजना में तीसरे देश को शामिल करना यानी भारत की संप्रभुता और अखंड़ता को चुनौती देना होगा, ऐसे तीखे शब्दों में अरिंदम बागची ने चीन और पाकिस्तान को तमाचा जड़ा।

‘सीपीईसी'

इसी बीच दोनों देश कितने भी बड़े दावे कर रहे हैं, फिर भी चीन और पाकिस्तान की ‘सीपीईसी’ परियोजना फिलहाल बाधाओं में फंसी हुई स्थिति में हैं। इस परियोजना को लेकर पाकिस्तान की भूमिका अस्थिर होने का आरोप चीन लगा रहा है। साथ ही पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता से भी इस परियोजना का नुकसान हुआ हैं। इस परियोजना के निवेश को लेकर दोनों देशों में नाराज़गी का माहौल बना था। इस वजह से पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत के ग्वादर बंदरगाह से सड़क और रेल मार्ग का नेटवर्क स्थापीत करके सीधे चीन केझिंजियांग प्रांत को जोड़ने की चीन की अति महत्वाकांक्षी योजना मुश्किलों से घिरी हैं।

इसी में यह परियोजना भारत का क्षेत्र होनवाल ‘पीओके’ का हिस्सा होने से भारत का इस परियोजा को सख्त विरोध हैं। यह परियोजा व्यवहार्य नहीं और भारत इसमें शामिल नहीं हुआ तो इस परियोजना को भविष्य नहीं बचता, इसका पूराअहसास पाकिस्तान के ज्येष्ठ पत्रकारों ने कराया था। साथ ही चीन की यह परियोजना सिर्फ व्यापारी उद्देश्य से तैयार नहीं की जा रही हैं। इसके पीछे चीन की सामरिक रणनीति होने की बात समय-समय पर स्पष्ट हुई थी। फिर भी चीन ने इस परियोजना में भारत को शामिल कराने की कोशिश की थी। लेकिन, भारत ने सख्त शब्दों में यह परियोजना ही अवैध होने का अहसास चीन को करया था। अब भी चीन इस परियोजना में तीसरे देश को शामिल करने की कोशिश करके भारत पर दबाव बढ़ाने की और एक कोशिश करता दिख रहा है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दो दिन पहले ही जम्मू की युनिवर्सिटी द्वारा आयोजित समारोह में बोलते समय ‘पीओके’ भारत का अभिन्न क्षेत्र होने का बयान करके इसका कब्ज़ा जल्द ही भारत को मिलेगा, ऐसे संकेत भी दिए थे।

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