सार्क शिखर सम्मेलन का आयोजन करके तालिबान को स्वीकृति दिलाने की पाकिस्तान की साज़िश को भारत ने नाकाम किया

नई दिल्ली – सार्क शिखर सम्मेलन का आयोजन करके अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति दिलाने की गतिविधियाँ पाकिस्तान ने शुरू कीं थी। इस शिखर सम्मेलन के लिए भारत को आमंत्रित किया जाएगा, यह ऐलान पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने किया। लेकिन, सार्क के आयोजन पर सदस्य देशों में सहमति नहीं हुई है, ऐसा कहकर भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की इस साजिश को नाकाम किया। इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत पर आलोचना की है।

SAARC-Pakistan-Talibanभारत, नेपाल, श्रीलंका, बांगलादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान की सदस्यता वाले सार्क के शिखर सम्मेलन का आयोजन २०१४ से नहीं हो सका है। वर्ष २०१६ में इस सम्मेलन का पाकिस्तान में आयोजन होना था। लेकिन, इसी बीच जम्मू-कश्‍मीर में भारतीय सेना के अड्डे पर आतंकी हमला हुआ। इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की बात स्पष्ट होने के बाद भारत ने पाकिस्तान के इस सार्क शिखर सम्मेलन को बहिष्कृत किया था। बांगलादेश, भूटान और अफ़गानिस्तान ने भी इस परिषद को बहिष्कृत करने के बाद इस सम्मेलन को रद करना पड़ा। इसके बाद आज तक पाकिस्तान सार्क सम्मेलन का आयोजन नही पाया है।

वर्ष २०१६ के बाद की स्थिति में अब तक बदलाव नहीं आया है, ऐसी फटकार लगाकर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान ने आतंकवाद अभी छोड़ा नहीं है, इस ओर ध्यान आकर्षित किया। साथ ही पाकिस्तान में सार्क का आयोजन करने के मुद्दे पर सदस्य देशों की सहमति नहीं हुई है, ऐसा कहकर उन्होंने इस मुद्दे को खारिज किया। इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने काफी तीव्रता से आपत्ति जताई है। भारत ने सार्क सम्मेलन को बंधक बनाने का आरोप पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता असिम इफ्तिकार ने लगाया।

‘भारत की संकुचित विचारधारा की वजह से सार्क जैसे संगठन प्रभावी रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं। जल्द ही भारत ने निर्माण की हुई यह कृत्रिम बाधा दूर होगी और सार्क सम्मेलन का आयोजन होगा’, ऐसा असिम इफ्तिकार ने कहा है। अब तक सार्क सदस्य देशों में राजनीतिक और आर्थिक सहयोग स्थापित ना हों इसके लिए बाधा निर्माण करने की भूमिका अपनाने वाले पाकिस्तान को यकायक सार्क का सहयोग काफी अहम महसूस हो रहा है, यह बात ध्यान आकर्षित करती है। इसके पीछे अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति देने के लिए सार्क सम्मेलन करने की मंशा पाकिस्तान में जागी थी, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान ने अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर ‘ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआईसी) का आयोजन किया था। यह हमारी विदेश नीति की बड़ी सफलता है, ऐसा कहकर पाकिस्तान के नेता इसके लिए अपनी ही पीठ थपथपा रहे थे। लेकिन, इस सम्मेलन में किसी भी देश ने तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने से संबंधित एक शब्द भी नहीं कहा। इतना ही नहीं बल्कि, इस सम्मेलन में शामिल हुए तालिबान के विदेशमंत्री को मंच पर स्थान नहीं दिया गया, ना ही उसके साथ किसी भी देश के प्रतिनिधि ने फोटो खिंचवाए।

इसलिए तालिबान पाकिस्तान पर काफी गुस्सा होने की खबरें प्राप्त हुईं थी। इसके बाद ड्युरंड लाईन पर तालिबान के आतंकी पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक हुए थे। इस पृष्ठभूमि पर सार्क का आयोजन करके तालिबान को स्वीकृति दिलाने की साज़िश पाकिस्तान ने रची थी। लेकिन, भारत ने स्पष्ट शब्दों में इन्कार करके पाकिस्तान को चौंका दिया है।

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