राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर अमरिका और हाँगकाँग को जोड़नेवाले ‘इंटरनेट केबल प्रोजेक्ट’ पर बंदी की संभावना

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरलॉस एंजेलिस / हाँगकाँग – लगभग तीन वर्षों से शुरू अमरिका और हाँगकाँग में जारी होने वाले ‘पॅसिफिक लाईट केबल नेटवर्क’ इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर बंदी आने के संकेत मिले हैं। अमरिकी यंत्रणाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उपस्थित करते हुए वर्णित प्रोजेक्ट को आगे के परमिट और उनके लिए आवश्यक अनुमतियों को नामंजूर करने की गतिविधियां शुरू की हैं। इस प्रोजेक्ट में ‘गूगल’ और ‘फेसबुक’ इन अग्रसर कंपनियों के साथ चीन की प्रमुख कंपनीयों का होने वाला सहयोग बंदी का कारण साबित हो सकता हैं, ऐसा दावा अमरिकी माध्यमों ने किया हैं।

वर्ष २०१६ में ‘गूगल’, ‘फेसबुक’ और चीन के ‘डॉ. पेंग टेलिकॉम एंड मीडिया ग्रुप’ ने एक साथ आकर लगभग १३ हजार किलोमीटर लंबाई के ‘पॅसिफिक लाईट केबल नेटवर्क’ की घोषणा की थीं। यह प्रोजेक्ट वर्ष २०१८ में पूरा होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन अभी तक इस प्रकल्प का काम जारी होते हुए  वह आने वाले कुछ महीनों में पूर्ण होगा, ऐसा दावा किया गया था।‌प्रशांत महासागर क्षेत्र के दो छोंरों को जोड़ने वाले भव्य प्रोजेक्ट के रूप में इस ओर विशेष ध्यान दिया गया था। प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो अमरिका और हाँगकाँग के बीच इंटरनेट की गति ‘१२० टेराबाईट प्रति सेकंड’ जितनी भारी मात्रा में बढ़ जाएगी, ऐसा दावा भी किया गया हैं।

लेकिन अमरिका में राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के विरोध में शुरू किए व्यापार युद्ध, दूरसंचार और तंत्रज्ञान क्षेत्र की चीनी कंपनी के विरोध में छेडा अभियान और चीन से उसे दिया जाने वाला उत्तर इस कारण दोनों देशों के बीच संबंध आजकल काफी तनावपूर्ण बन गए हैं। ‘हुवेई’ जैसी चीन की उच्चतर कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध और दूरसंचार क्षेत्र में ट्रम्प ने घोषित किए आपातकाल के कारण तंत्रज्ञान तथा दूरसंचार क्षेत्र में अमरिका और चीन के बीच सहयोग आजकल लगभग ठप हो गया हैं। ट्रम्प ने चीन से अमरिका के संवेदनशील क्षेत्रों में होने वाला निवेश रोकते हुए यह राष्ट्रीय सुरक्षा के से जुड़ा हुआ मुद्दा होने का स्पष्ट किया हैं।

अमरिका के न्याय विभाग ने भी राष्ट्राध्यक्ष की ही भूमिका स्वीकारते हुए ‘पॅसिफिक लाईट केबल नेटवर्क’ पर बंदी के संकेत दिए हैं। इसलिए न्याय विभाग के साथ अन्य विभागों का समावेश होने वाली ‘टीम टेलिकॉम’ गट की स्थापना की गई हैं और इस गट से वर्णित प्रोजेक्ट की बारीकी से परख और जांच करने के बाद ही आगे का निर्णय दिया जाएगा, ऐसा बताया जाता हैं। इससे पहले अमरिकी यंत्रणाओं ने समुद्र के तल पर स्थापित किए जाने वाले इंटरनेट केबल की योजनाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर आक्षेप नहीं लिया था।

लेकिन अभी परिस्थिति बदलने से चीन से संबंधित हर एक प्रोजेक्ट के बारे में कठोर धारणा स्वीकारी जाएगी, ऐसे संकेत सूत्रों से दिए गए हैं।

कुछ महीनों पहले ‘साउथ चायना सी’ क्षेत्र में अमरिका और मित्र देशों के ‘अंडर सी केबल नेटवर्क’ के बारे में गंभीर चेतावनी दी गई थीं। अमरिका और मित्र देशों ने ‘साउथ चायना सी’ में इस ‘अंडर सी केबल्स’ लगाते हुए अमरिका की इंटरनेट तथा सोशल नेटवर्क कंपनियों का सूचना नेटवर्क बिछाया ‌गया हैं। चीन इन ‘अंडर सी’ अर्थात समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत होने वाली इंटरनेट केबल्स का नुकसान करते हुए यहां का डाटा भी चुरा सकता हैं, ऐसी चेतावनी अमरिकी विशेषज्ञों ने दी थीं, ऐसी स्थिति में अमरिका ने चीन के साथ-साथ अमरिका की उच्चतर कंपनियों का निवेश होने वाले महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के विरोध में ली भूमिका महत्वपूर्ण साबित होती हैं।

कुछ सप्ताहों पहले अमरिका की यंत्रणाओं से से तथा सांसद से ‘गूगल’, ‘फेसबुक’ के साथ ही तंत्रज्ञान क्षेत्र की उच्चतर कंपनियों की पूछताछ शुरू हो गई थीं। उसी समय हाँगकाँग में चीन के शासन के विरोध में तीव्र आंदोलन जारी होते हुए यह आंदोलन दबाने के लिए चीन के शासन के प्रयास शुरू हैं। इस पृष्ठभूमि पर, तंत्रज्ञान क्षेत्र  की अमरिकी कंपनियों का और हाँगकाँग का समावेश होने ‌वाले प्रोजेक्ट पर बंदी के बारे  में आए वृत्त ध्यान आकर्षित करनेवाले हैं।

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