वैश्‍विक स्तर पर आतंकवाद और हिंसाचार की व्याप्ति बढ़ी होने का ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ के रिपोर्ट का दावा

सिडनी, दि. १ : आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी हमले के वाकये और हिंसा की व्याप्ति निरंतर बढ़ रही है, ऐसा दावा ‘द इन्स्टिट्यूट फॉर इकॉनॉमिक्स ऍण्ड पीस’ के ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ रिपोर्ट में किया गया है| आतंकी हमले और हिंसाचार की वजह से सन २०१६ में वैश्‍विक अर्थव्यवस्था का करीबन १४.३ लाख करोड़ डॉलर्स का नुकसान हुआ, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है| ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ के रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह सालों में दुनिया के कई देशों में होनेवाले आतंकी हमले तीन गुना बढे हैं|

‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’खाडी देशों में शुरू रहा संघर्ष, अमरीका की राजनीतिक अस्थिरता और युरोप में आ धमकनेवाले निर्वासितों के झुँड़ और आतंकवाद ये पिछले साल की लक्षणीय बातें साबित हुईं, ऐसा उल्लेख इस रिपोर्ट में किया गया है| अमरीका में चल रही राजनयिक अस्थिरता और ध्रुवीकरण उस देश के अंतर्गत संघर्ष को अधिक तीव्र करनेवाला साबित हुए हैं, ऐसी जानकारी ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ रिपोर्ट में दी गयी है| इस बढते संघर्ष की वजह से, प्रगत देशों के सूचि में अमरीका सबसे नीचले स्थान पर फिसल गयी है, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है|

खाडी स्थित सीरिया, ईराक और येमेन ये तीन देश हिंसाचार और आतंकवाद की सबसे अधिक व्याप्ति रहे देश साबित हुए हैं| सीरिया पिछले पाँच सालों से लगातार ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ के सबसे नीचले स्थान रहा होकर, यह बड़ी खेदजनक बात है, ऐसा उल्लेख इस रिपोर्ट में किया गया है|

पिछले दशक पर ग़ौर करते हुए, आतंकवाद के कारण मारे गये लोगों की तादाद में लगभग ९०० प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की चिंता ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ ने जतायी है| वहीं, सन २०११ के बाद पिछले छह सालों में आतंकी हमलों की मात्रा करीबन ३०० प्रतिशत से बढ़ी है| आतंकवाद का झटका प्रगत देशों को भी बडी मात्रा में लगा होकर, युरोप का हिस्सा रहे करीबन २३ देशों को आतंकवाद का झटका लगा, ऐसा दर्ज किया गया है| इनमें स्वीडन, फ्रान्स और डेन्मार्क इन देशों का समावेश है|

अमरीका में चल रही राजनैतिक अस्थिरता और उसके कारण बढ़े हिंसाचार का उल्लेख करते हुए, देश की अर्थव्यवस्था का करीबन २.५ लाख करोड़ डॉलर्स का नुकसान हुआ, ऐसा दावा किया जाता है| अमरीका के प्रमुख शहरों में गुनाहगारी की मात्रा बढ गयी, ऐसे इस रिपोर्ट में कहा गया है| अमरीका के राजनैतिक ध्रुवीकरण के परिणाम प्रगत देशों पर दिखायी देने लगे हैं, ऐसा ज़िक्र ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ के रिपोर्ट में किया गया है|

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