म्यांमार में हिंसा रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट हों – संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव का आवाहन

संयुक्त राष्ट्रसंघ – लोक नियुक्त सरकार का तख्ता पलटकर म्यांमार की सेना ने देश की सत्ता हथियाने के बाद शुरू हुई हिंसा में अब तक १३८ लोग मारे गए हैं। रविवार के दिन हुई हिंसा के दौरान ३८ लोग मारे गए हैं इस हिंसा में मरनेवालों की संख्या १३८ नहीं बल्कि १८३ होने का बयान कुछ तटस्थ निरिक्षक कर रहे हैं। वहीं, म्यांमार की सेना ने गिरफ्तार किए जनतांत्रिक कार्यकर्ता और प्रदर्शनकारियों की संख्या दो हज़ार से अधिक होने की बात कही जा रही है। उन्हें जेल में बंद करके उन पर अत्याचार किए जा रहे हैं, ऐसी चौंकानेवाली खबरें भी सामने आने लगी हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव अँटोनियो गुतेरस ने इस पर तीव्र चिंता व्यक्त की है और यह आवाहन भी किया है कि, म्यांमार में जारी हिंसा रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट हों।

myanmar-violence-unम्यांमार की सेना ने १ फ़रवरी के दिन चुनावों में बड़ी जीत हासिल करनेवाली नेता अँग सैन स्यू की पार्टी की सरकार का तख्ता पलटा और सत्ता पर कब्जा कर लिया। चुनावों में धांदली होने का दावा करके सेना ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया था। साथ ही अँग सैन स्यू की के खिलाफ भी सेना ने आरोप लगाए हैं। इसके विरोध में म्यांमार में जनता ने प्रदर्शन शुरू किए हैं। शुरू में शांति से चल रहे इन प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना ने हिंसक कार्रवाई शुरू की थी। इसके बाद भी प्रदर्शनकारियों ने संयम रखा था। फिर भी सेना ने दमननीति का सत्र जारी रखने के बाद इस पर अब जहाल प्रतिक्रिया प्राप्त होने लगी है। खास तौर पर म्यांमार की सेना पर होनेवाली सुरक्षा परिषद की कार्रवाई रोकने की कोशिश कर रहे चीन के खिलाफ जनता का गुस्सा उमड़ा है।

myanmar-violence-unसंयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में म्यांमार की सेना के खिलाफ होनेवाली कार्रवाई रोकने के लिए चीन ने निषेधाधिकार का इस्तेमाल करने की धमकी दी थी। इस वजह से म्यांमार की सेना पर कार्रवाई करना सुरक्षा परिषद के लिए कठिन हुआ है। इसके बाद म्यांमार में गुस्सा हुए जनतंत्र के समर्थक प्रदर्शनकारियों ने चीन को सख्त चेतावनी दी थी। चीन ने अपने निषेधाधिकार का इस्तेमाल किय तो म्यांमार की जनता चीन के खिलाफ अपने निषेधाधिकार का इस्तेमाल किए बगैर नहीं रहेगी, यह इशारा भी प्रदर्शनकारियों ने दिया था। इसके बाद रविवार के दिन यांगून शहर के करीबी मौजूद चीन के कारखाने में आग लगाई। इन तीव्र प्रदर्शनों को रोकने के लिए म्यांमार की सेना ने गोलीबारी की और इससे ३८ लोग मारे गए हैं। इसके बाद म्यांमार की जनता के मन में चीन विरोधी भावना अधिक तीव्र होती दिखाई देने लगी है।

रविवार के दिन हुई हिंसा का संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव अँटोनिओ गुतेरस ने गंभीरता से संज्ञान लेकर म्यांमार में जारी हिंसा रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट हो, यह आवाहन किया है। म्यांमार में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी हो रही है और प्रदर्शनकारियों को अवैध पद्धति से जेल में बंद किया जा रहा हैं। जेल में भी इन प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार हो रहे हैं और यह स्पष्ट तौर पर मानव अधिकारों का उल्लंघन होने की बात कहकर गुतेरस ने इस पर चिंता व्यक्त की। लेकिन, चीन ने म्यांमार की सेना का बचाव करने की भूमिका अपनाई है और ऐसे में इस हिंसा को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट हो और सुरक्षा परिषद इससे संबंधित संवाद की प्रक्रिया शुरू करे, गुतेरस के इस आवाहन का ज्यादा प्रभाव होने की बिल्कुल संभावना नहीं है।

myanmar-violence-unम्यांमार के जनतांत्रिक नेता यह आवाहन कर रहे हैं कि, जनता जान की बाज़ी लगाकर लष्करी हुकूमत का मुकाबला करे। अपना भविष्य दांव पर लगा है, यह अहसास होते ही म्यांमार की जनता भी सड़कों पर उतरकर हर संभव तरीके से लष्करी हुकूमत का विरोध कर रही है। साथ ही इस विरोध को कुचलने के लिए हर संभव क्रूरता दिखाने की भयंकर नीति म्यांमार की सेना ने अपनाई है। इसकी के साथ इस कार्रवाई की जानकारी विश्‍व के सामने आने नहीं देने के लिए म्यांमार की सेना बड़ी कोशिश कर रही है। लेकिन, सोशल मीडिया पर इसके वीडियोज और फोटो प्रसिद्ध हुए हैं और इस वजह से म्यांमार की सेना का विश्‍वभर में निषेध हो रहा है। इसके साथ ही निर्दयी हुकूमत का पुरस्कार करनेवाला चीन भी सोशल मीडिया पर तिरस्कार का विषय बना है।

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