अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदलती स्थिति में भारत की अहमियत काफी मात्रा में बढ़ी है – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

न्यूयॉर्क – संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा के भाषण में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन, रशिया के विदेशमंत्री लैवरोव के अलावा अन्य नेताओं ने भी भारत का ज़िक्र किया। यह आम बात नहीं है। बल्कि बदलती हुई अंतररष्ट्रीय स्थिती में भारत की अहमियत बड़े पैमान पर बढ़ने के संकेत इससे प्राप्त हो रहे हैं, ऐसा विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने स्पष्ट किया। ‘मौजादा समय में हम विश्व के सेतु, विश्व की आवाज़, विभिन्न नज़रिए और विश्व के माध्यम भी बने हैं’, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने भारतीय पत्रकारों से कहा।

१८ वीं सदी में वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा एक चौथाई यानी २५ प्रतिशत था। लेकिन, २० वीं सदी के बीच तक भारत विश्व के गरीब देशों में से एक था। कॉलनिस्ट ने भारत को यह गरिबी बहाल की थी। लेकिन, अपनी स्वतंत्रता के ७५ वें साल में भारत विश्व में पांचवे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बनकर विश्व के सामने गर्व से खडा है, ऐसा विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने आम सभा में अपने भाषण में कहा था। इस दौरान विदेशमत्री जयशंकर ने भारत का नज़रिया और दिशा की जानकारी साझा करके आतंकवाद जैसी चुनौति पर भारत की भूमिका स्पष्ट शब्दों में कही।

यूक्रेन युद्ध में भारत किसी के पक्ष में नहीं है और भारत शांति के पक्ष में है। संयुक्तत राष्टसंघ के गठन के उद्देश्यों पर भारत कायम रहकर अपनी यह भूमिका निभा रहा है, ऐसा जयशंकर ने ड़टकर कहा। यूक्रेन युद्ध में भारत रशिया के पक्ष में होने की आपत्ती जतानेवालों को जयशंकर ने यह तमाचा जड़ा। साथ ही आतंकियों पर सुरक्षा परिषद कर रही कार्रवाई रोकनेवाले चीन का स्पष्ट ज़िक्र किए बिना जयशंकर ने आलोचना की। आतंकवाद का समर्थन किसी भी तरह से करना मुमकिन नहीं है। आतंकियों पर हो रही कार्रवाई रोकनेवाले देशों ने इस पर पारदर्शी होना चाहिए। आतंकियों का बचाव करना अंत में इन देशों के हित के लिए ही घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनी भी जयशंकर ने इस दौरान दी।

पूरे विश्व का ध्यान यूक्रेन पर केंद्रीत है और तभी भारत ऐसे में भी अफ़गानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका जैसे अपने पड़ोसी देशों को सावधानी से देख रहा है। यह देश संकट में हैं और ऐसे में भारत उन्हें ज़रूरी सहायता प्रदान कर रहा है, इस पर जयशंकर ने अपने भाषण से ध्यान आकर्षित किया। साथ ही अंतररष्ट्रीय समूदाय ने एक ही देश के संकुचित हित को फिजूल अहमियत देना टालकर भारत के इस कार्य पर ध्यान दे, ऐसी फटकार भारतीय विदेशमंत्री ने लगायी। तथा भारत ने अगले २५ सालों में विकसित देश बनकर उभरने का ध्येय तय किया है। इसके लिए आवश्यक प्रगति के मुकाम भारत प्राप्त कर रहा है, इसका अहसास भी विदेशमंत्री ने कराया।

इसके बाद विदेशमंत्री जयशंकर ने भारतीय पत्रकारों से बातचीत करते समय आम सभा को लेकर अपने अनुभव खुले मन से पेश किए। आम सभा के अवसर पर हमने सौ से अधिक देशों के विदेशमंत्रियों से चर्चा की, यह जानकारी जयशंकर ने इस दौरान साझा की। वर्तमान की आम सभा में कई नेताओं ने भारत का ज़िक्र किया, ऐसा कहकर इसे काफी बड़ी राजनयिक अहमियत है, इस पर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। किसी भी देश के नेता आम सभा में अपने भाषण में आम तौर पर दसरे देश का ज़िक्र नहीं करता। लकिन, इस बार आम सभा में अपने भाषण में अमरिकी राष्टाध्यक्ष, रशिया के विदेशमंत्री एवं अन्य नेताओं ने भी भारत का ज़िक्र किया। यह आम बात नहीं है और अंतररष्ट्रीय स्तर पर भारत की अहमियत बढ़ रही है, ऐसे स्पष्ट संकेत इससे मिल रहे हैं, ऐसा विदेशमंत्री ने कहा।

विश्व के ग्लोबल साऊथ यानी दक्षिणी ओर की आवाज़ बनकर भारत उभर रहा है। साथ ही विश्व का ध्रूविकरण हो रहा है और ऐसे में बड़े देशों के बीच काफी मतभेद बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत को मिल रही अहमियत ध्यान आकर्षित करती है। इस वजह से भारत विश्व का सेतु बन रहा है और अपने साथ अन्य विकसनशील देशों की आवाज़ और नज़रिया एवं अन्य माध्यम बनकर भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर रहा है, ऐसा दावा विदेशमंत्री ने किया।

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