भारतीय बनावट की सोनार यंत्रावली नौसेना में दाखिल; सागरी गश्ती की क्षमता में बढ़ोतरी

नई दिल्ली: भारत के तीन दिशाओं में फैले विशाल सागरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए, पानी के नीचे खतरे की चेतावनी देने वाली स्वदेशी बनावट की चार ‘सोनार यंत्रावलियाँ’ विकसित करने में भारत को सफलता प्राप्त हुई है| शुक्रवार के दिन, पूरी तरह भारतीय बनावट की चार ‘सोनार यंत्रणाएँ’ भारतीय नौसेना में दाखिल हो गईं| एक साथ चार तरह की यंत्रणाएँ नौसेना में शामिल होने से, समुद्र के पानी के नीचे की गस्ती में नौसेना की ताक़त बढ़ी है| इससे नौसेना की पनडुब्बियाँ और युद्धपोतों की सुरक्षा और भी मज़बूत हो गई है|

सोनार यंत्रावलीनौसेना के लिए देसी बनावट की ‘सोनार यंत्रावली’ विकसित करने की ज़िम्मेदारी कुछ साल पहले भारतीय रक्षा और विकास संस्था को (डीआरडीओ) दी गई थी| ‘डीआरडीओ’ की कोची स्थित ‘नेव्हल फिजिकल ऍण्ड ओशिनोग्राफीक लॅबोरेटरी’ में (एपीओएल) इसपर कुछ सालों से काम चल रहा था| यहाँ पर नौसेना को, पानी के नीचे किसी भी प्रकार के ख़तरे की जानकारी देनेवाले चार सोनार सेंसर्स विकसित करने में क़ामयाबी मिली है| इस मामले में कुछ परीक्षण भी पिछले चार महिने में संपन्न हुए थे| आखिरकार शुक्रवार के दिन रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर के हाथो से इस यंत्रणा को नौसेना को सुपुर्द किया गया|

‘अभय’, ‘हमस यूजी’, ‘एनएसीएस’, ‘एआयडीएसएस’ ऐसे इन चार यंत्रावलियों के नाम हैं| ‘अभय’ सोनार यंत्रावली विशेष रूप से, कम गहराईवाले पानी के नीचे खतरे की चेतावनी देने के लिए तैयार की गई है| खतरे को पहचानने के लिए और कम गहराईवाले पानी के नीचे होनेवालीं संदिग्ध गतिविधियों पर ध्यान रखने के लिए ‘अभय’ में अतिप्रगत सिग्नल ऍण्ड इन्फॉर्मेशन प्रोसेसिंग यंत्रावली बिठाई गई है, ऐसी जानकारी डीआरडीओ की तरफ से दी गई| इस कारण, किनारों के आसपास के इलाके में गश्ती की क्षमता बढ़ गई है| ‘अभय’ श्रेणी में आनेवाले युद्धपोतों पर यह यंत्रावली बिठाई जानेवाली हैं|

‘हमस यूजी’ यंत्रावली यह, फिलहाल नौसेना के ताफ़े में रहनेवाले ‘हमस’ सोनार यंत्रावली की अत्याधुनिक आवृत्ती है| गहरे पानी में, छोटे आकार के खतरों की खोज करने में यह यंत्रावली फ़ायदेमंद है| नौसेना के ताफ़े में सात तरह की श्रेणियों के युद्धपोतों पर यह यंत्रावली बिठाई जानेवाली है|

‘एआयडीएसएस’ सोनार यंत्रावली खास पनडुब्बियों के लिए तैयार की गई है| इसमें ‘इमर्जन्सी साऊंड सिग्नलिंग डीव्हाईस’ है| पनडुब्बी की दिशा में यदि किसी भी प्रकार की ख़तरा चलकर आता है, तो इसकी सूचना बहुत पहले मिल सकती है| आपत्कालीन हालातों में यह यंत्रावली ज़्यादा प्रभावी साबित होगी, ऐसा दावा किया जाता हैं| रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने इस सफलता पर ‘डीआरडीओ’ की तारीफ़ की है| साथ ही, ‘तेजस और ‘रस्तम-२’ विकसित करना, यह भी डीआरडीओ की बड़ी सफलता है, ऐसा पर्रीकर ने कहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.