भारतीय सेना कर रही है युद्ध की तैयारी बढाने की कोशिश

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने करीबन ४० दिन के युद्ध के लिए पर्याप्त रक्षा सामान का भंडार करने की तैयारी शुरू की है| इसमें मिसाइल, राकेटस्, तोंप के गोले एवं बम का समावेश है| फिलहाल दस दिनों के कडे संघर्ष के लिए जरूरी हथियार एवं बारूद और रक्षा सामान का भंडार रखने पर सेना ध्यान दे रही है| पर, अगलें दिनों में इसका दायरा बढाने के संकेत सेना ने दिए है| ‘टाईम्स ऑफ इंडिया’ ने अपने सूत्रों के दाखिले से यह समाचार जारी किया है|

भारतीय सेना हमेशा युद्ध के लिए तैयार रही है| पर, अगले दिनों में इस क्षमता में बढोतरी करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे| इसमें दस दिनों के कडे संघर्ष के लिए आवश्यक रक्षा सामान तैयार रखा जाएगा और इसकी व्याप्ती भी बढाई जाएगा| वर्ष २०२२ से २०२३ तक करीबन ४० दिनों की जंग के लिए जरूरी सामान का भंडार करने का उद्देश्य सेना ने रखा है| इसके लिए जरूरी रक्षा सामान की खरीद हो रही है और इसके लिए देशी एवं विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग समझौते किए जा रहे है|

इसी बीच इस तरह के २४ समझौते किए गए है और इनमें से १९ समझौते विदेशी कंपनियों के साथ किए गए है| इन समझौते के अनुसार कुल १२,८९० करोड रुपये खर्च होंगे| पहले के दौर में महालेखा परिक्षक (कैग) के रपट में इस पर फटकार लगाई गई थी|

देश में पर्याप्त रक्षा सामान एवं हथियार, बारूद तैयार ना होने की बात माध्यमों ने भी समय समय पर सामने लायी थी| इस पृष्ठभूमि पर यह निर्णय किया गया है और वर्ष २०१६ में उरी में हुए आतंकी हमले के बाद यह प्रक्रिया और भी तेज की गई है|

उरी के आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ जंग होने की स्थिति बनी थी| इसके बाद ही रक्षा की तैयारी बढाने का अहम निर्णय किया गया| पाकिस्तान और चीन इन दोनों पडोसी देशों से बना खतरा सामने रखकर एक ही समय पर दोनों मोर्चों पर लडने की तैयारी रखने की जरूरीत भी स्पष्ट हुई थी| पिछले वर्ष सितंबर में इससे जुडी खबरें भी प्रसिद्ध हुई थी| भारतीय सेना एक ही समय पर दो मोर्चों पर लडाई करने की तैयारी कर रही है, यही बात इन खबरों से स्पष्ट हो रही है|

इसी बीच भारतीय रक्षा दलों ने हथियार और बारूद समेत अन्य रक्षा सामान की खरीद से जुडे निर्णयों की प्रक्रिया और भी गतिमान करने की कोशिश शुरू की है|

इस पृष्ठभूमि पर फिलहाल पाकिस्तान स्थित चरमपंथी अपनी देश की सरकार पर भारी नाराज हुए है| भारत ने जम्मूकश्मीर को प्रदान किया हुआ विशेष दर्जा हटाया और कश्मीर की नियंत्रण रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा कहा है| ऐसी स्थिति में पाकिस्तान सीर्फ रक्षात्मक भूमिका अपना रहा है, यह आलोचान भारत का द्वेश करनेवाले चरमपंथी कर रहे है| भारत को लष्करी जवाब देने की जरूरत है और इसके अलावा कश्मीर के मसले का हल पाकिस्तान के पक्ष में नही निकलेगा, यह दावा पाकिस्तान के भूतपूर्व लष्करी अफसर कर रहे है|

ऐसी स्थिति में युद्ध की तैयारी बढाने का आक्रामक निर्णय करना भारत के लिए काफी जरूरी है और रक्षा संबंधित नीति में इसका प्रभाव बनने की बात सामने आ रही है|

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