आतंकवादियों की जानकारी के आदानप्रदान के बारे में भारत-अमरीका में समझौता

अमरिकी विदेशमंत्रालय के रिपोर्ट में पाक़िस्तान पर साधा निशाना

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भारत एवं अमरीका के बीच, आतंकवादियों के बारे में रहनेवाली जानकारी के आदानप्रदान के बारे में समझौता हो चुका है। इस समझौते के कारण, अमरीका के पास रहनेवाली आतंकवादियों की विस्तृत जानकारी भारत के लिए खुली हो जायेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे से पहले संपन्न हुए इस समझौते को बहुत बड़ा औचित्य प्राप्त हुआ है। इसी बीच, अमरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने रिपोर्ट में, आतंकवादी संगठनों को पाल-पोसनेवाले पाक़िस्तान पर निशाना साधा है। ‘लश्कर-ए-तोयबा’, ‘जैश-ए-मोहम्मद’, ‘जमात-उल-दवा’ आदि आतंकवादी संगठन अभी भी पाक़िस्तान में सक्रिय होकर, पाक़िस्तान इन संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है, ऐसा दोषारोपण इस रिपोर्ट में किया गया है।

अमरीका के ‘टेररिस्ट स्क्रीनिंग सेंटर’ (टीएससी) में तक़रीबन ११ हज़ार आतंकियों की सविस्तार जानकारी दर्ज़ की गयी है। उसमें आतंकियों की तस्वीरें, उनकी ऊँगलियों के निशान, राष्ट्रीयता और उनके पासपोर्ट आदि जानकारी का समावेश है। अब तक अमरीका ने लगभग ३० देशों के साथ आतंकवादियों की इस जानकारी के आदानप्रदान का समझौता किया था। अब भारत के साथ भी अमरीका ने यह समझौता किया होकर, उसकी बदौलत दोनों देशो की सुरक्षायंत्रणाओं को आतंकियों बाबत की जानकारी का आदानप्रदान करना और आसान बन जायेगा। केंद्रीय गृहसचिव राजीव महर्षि और अमरीका के भारतस्थित राजदूत रिचर्ड वर्मा ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ़्ते अमरीका के दौरे पर जा रहे होकर, उससे पहले दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते का महत्त्व बढ़ गया है। इस समझौते के कारण दोनों देशों में आतंकवादविरोधी कार्रवाइयों में अधिक सुसूत्रता आ सकती है। इसी दौरान, अमरिकी विदेश मंत्रालय ने, ‘कन्ट्री रिपोर्ट ऑन टेररिझम २०१५’ इस शीर्षक का रिपोर्ट प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट में, पाक़िस्तान में अब भी सक्रिय रहनेवाले आतंकवादी संगठनों की जानकारी दी गयी है। संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा ‘आतंकवादी’ घोषित किये गये ‘लश्कर-ए-तोयबा’, ‘जैश-ए-मोहम्मद’, ‘जमात-उल-दवा’, ‘फ़लाह-ए-इन्सानियत फ़ाऊंडेशन’ इन संगठनों का समावेश है।

ये संगठन अभी भी पाक़िस्तान में खुले आम भर्ती, प्रशिक्षण एवं आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए पैसा इकट्ठा कर रहे होने की बात रिपोर्ट में स्पष्ट की गयी है। इन संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए पाक़िस्तान ज़रा भी उत्सुक न होने की टिप्पणी भी इस रिपोर्ट में की गयी है। उसीके साथ, अफ़गानी तालिबान के हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों पर भी पाक़िस्तान कार्रवाई न कर रहा होने की आलोचना भी इस रिपोर्ट में की गयी है। मुंबई पर आतंकवादी हमला करानेवाले ‘जमात-उल-दवा’ पर संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा पाबंदी लगायी गई है। फिर भी इस आतंकवादी संगठन का संस्थापक हफ़ीज़ सईद पाक़िस्तान में ज़ाहिर कार्यक्रमों में खुलेआम सम्मिलित होता है। माध्यम इन कार्यक्रमों का ब्योरा भी प्रकाशित करते हैं, इस बात की दख़ल भी उपरोक्त रिपोर्ट में ली गयी है। गत वर्ष के सितंबर महीने में पाक़िस्तानी प्रसारमाध्यमों का नियंत्रण करनेवाली यंत्रणा ने, ‘लश्कर’ तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के नेताओं को वृत्तवाहिनियों पर न दिखाया जाये, ऐसे आदेश दिये थे। लेकिन हफ़ीज़ सईद तथा अन्य आतंकवादी नेता पाक़िस्तान की वृत्तवाहिनियों पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दर्ज़ करते रहते हैं, यह बात कई बार सामने आयी है।

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