नए रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान ने बागड़ोर संभाली

नई दिल्ली – जनरल बिपीन रावत के बाद देश के दूसरे रक्षाबलप्रमुख पद की बागड़ोर जनरल अनिल चौहान ने स्वीकारी है। तीनों रक्षाबलों की आकांक्षा पूरी करने के लिए और चुनौतियों को एकजुटता से परास्त करने के लिए हम मेहनत करेंगे, यह वचन जनरल चौहान ने इस दौरान दी। पाकिस्तान और चीन से जुड़ी सीमा पर तैनाती के अनुभव वाले कुशल सेनानी यह जनरल अनिल चौहान की पहचान है। उन्होंने नैशनल सिक्युरिटी काऊन्सिल के लिए बतौर सैन्य सलाहकार कार्य संभाला है। इस वजह से भारतीय रक्षाबलों के ‘युनिफाईड थिएटर कमांड’ के निर्माण के लिए जनरल चौहान के अनुभव का बड़ा लाभ होगा, ऐसे दावे सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं।

अनिल चौहानभारतीय रक्षाबलों के थिएटर कमांड का निर्माण जनरल चौहान की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होगी, ऐसा कहा जा रहा है। जनरल रावत रक्षाबल प्रमुख थे तब युनिफाईड थिएटर कमांड की तैयारी हुई थी। जनरल चौहान के रक्षाबलप्रमुख होने के बाद यह प्रक्रिया अधिक गतिमान होगी। विश्व में बदलते समय के अनुसार युद्ध तंत्र एवं रक्षाबलों की कार्यपद्धती में काफी बड़े बदलाव हुए हैं। इसके अनुसार सेना, नौसेना और वायुसेना का समन्वय और सहयोग बढ़ाने की बड़ी आवश्यकता बनी थी। कारगिल युद्ध के बाद ही तिनों रक्षाबलों का समावेश होनेवाले एकित कमांड यानी युनिफाईड थिएटर कमांड की ज़रूरत स्पष्ट हुई ती। पिछले कुछ सालों में इस निर्णय पर सहमति हुई थी।

इसके अनुसार युनिफाईड थिएटर कमांड विकसित की जा रही हैं और इस वजह से रक्षाबलों का एक ही कारण से होनवाला अतिरिक्त खर्च काफी कम होगा। इससे उपलब्ध साधन एवं स्रोत का अधिक प्रभावी इस्तेमाल करना मुमकिन होगा। प्रमुख बात यह है कि, शत्रु के विरोध में गतिविधि करते समय तिनों रक्षाबलों का समन्वय और संपर्क बना रहेगा। इससे रक्षाबलों को शत्रु के विरोध में जोरदार कार्रवाई करने में आसानी होगी, ऐसें दावे किए जा रहे हैं। आनेवाले दौर में इसका काफी बड़ा लाभ रक्षाबलों को प्राप्त होगा। इससे देश की सुरक्षा अधिक मज़बूत होगी, यह विश्वास सामरिक विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। इसी कारण से यह प्रक्रिया गतिमान करने के लिए जनरल अनिल चौहान की रक्षाबलप्रमुख पद पर नियुक्ती हुई, ऐसें दावे किए जा रहे हैं।

पिछले वर्ष मई में ईस्टर्न आर्मी कमांडर के पद से अनिल चौहान सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के सैन्य सहायक के तौर पर कार्य किया था। जनरल अनिल चौहान चीन विषयक विशेषज्ञ हैं, यह इनकी पहचान है। लद्दाख के गलवान में संघर्ष के बाद भारतीय सेना की चीन संबंधित नीति में बदलाव हेतु जनरल अनिल चौहान का बड़ा योगदान रहा है।

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