‘पृथ्वी’ के बाद ‘अग्नी’ का परीक्षण

बालासोर (ओडीशा): मंगलवार को सुबह ‘अग्नी-१’ इस बॅलिस्टिक मिसाईल का सफल परीक्षण किया गया| सोमवार को, पूरी तरह भारतीय बनावट के ‘पृथ्वी-२’ इस बॅलिस्टिक मिसाईल का लगातार दो बार परीक्षण किया गया था| इसके बाद महज २४ घंटो के भीतर ‘अग्नी-१’ का परीक्षण किया गया है|

‘अग्नी’इससे पहले भारत ने मई महीने में भी ‘पृथ्वी-२’ मिसाईल का परीक्षण किया था| इसके बाद पाकिस्तान से तीखी प्रतिक्रिया आई थी| पाकिस्तान भारत की रक्षासिद्धता के बारे में उसे सता रही चिंता आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करेगा, ऐसा पाकिस्तान प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अझिज ने कहा था| इस वजह से ‘पृथ्वी-२’ और ‘अग्नी-१’ का परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान से तिखी प्रतिक्रिया आने की संभावना है|

‘पृथ्वी-२’ और ‘अग्नी-१’ ये दोनों मिसाईल्स रक्षादल के ताफ़े में दाखिल किये गये हैं| यह परीक्षण भारतीय सेना की सामरिक बल कमान के प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा था, ऐसा सेना के स्ट्रॅटेजिक फोर्स कमांड द्वारा स्पष्ट किया गया है|

सन २००९ में किये गये ‘पृथ्वी-२’ मिसाईल के लगातार परीक्षण के बाद पहली ही बार ‘पृथ्वी-२’ का लगातार परीक्षण किया गया है| बालासोर की इंटिग्रेटेड टेस्ट रेंज में (आटीआर) यह परीक्षण किया गया| ‘पृथ्वी-२’ मिसाईल की मारक क्षमता ३५० किलोमीटर तक है और यह बैलिस्टिक मिसाईल १००० किलो यानी एक क्विंटल तक के पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जा सकता है| इस वजह से, यदि भारत पर हमला होता है, तो उसका जवाब देने के लिए यह मिसाईल काफी प्रभावित साबीत होगा, ऐसा माना जा रहा है|

वहीं, ‘अग्नी-१’ मध्यम पहुँच के अण्वस्त्रवाहक मिसाईल हैं और इसका परीक्षण भी मंगलवार को ‘अब्दुल कलाम आयलँड’ के ‘आयटीआर’ में सुबह १० बजकर १० मिनट पर किया गया| ‘अग्नी-१’ यह भारतीय रक्षादल के ताफ़े का बडा ही घातक मिसाईल माना जा रहा है| इसकी मारकक्षमता ७०० किलोमीटर है और इस पर बिठाई गई नेव्हीगेशन यंत्रणा की वजह से यह मिसाईल अपने लक्ष्य को अचूकता से भेद सकता है| इससे पहले ‘अग्नी-१’ का परीक्षण १४ मार्च को किया गया था|

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