‘इस्रो की ‘शतकी’ कामयाबी से अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी’ : चीन का दावा

बीजिंग, दि. २० : भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इस्रो’ ने पिछले सप्ताह में हासिल की कामयाबी से अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और चीन को उससे उचित सबक सीखकर आगे बढ़ना चाहिए, ऐसा आवाहन चीन के सरकारी अखबार में किया गया है| पिछले सप्ताह में ‘इस्रो’ ने एक ही समय १०४ सॅटेलाईटस अंतरिक्ष में भेजने का दमदार प्रदर्शन करने के बाद, चिनी मीडिया ने, उनका देश प्रोद्यौगिकी में ज्यादा आगे है, ऐसे दावे किये थे| लेकिन नये लेख में इस्रो की प्रशंसा करते हुए, भारत की कामयाबी से सबक सिखते हुए चीन को अंतरिक्ष क्षेत्र का ‘व्यावसायिक’ इस्तेमाल करने के लिए कोशिश करनी चाहिये, ऐसी सलाह दी है|

अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धाभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान ‘इस्रो’ ने पिछले सप्ताह में एक ही समय, एक ही प्रक्षेपक रॉकेट द्वारा लगभग १०४ सॅटेलाईटस् अंतरिक्ष में छोडने का विश्वविक्रम किया था| इस्रो की इस ‘शतकी’ कामयाबी की दुनियाभर में बहुत सराहना हुई थी| चीन की मीडिया ने भी इस विक्रम की दखल ली थी| लेकिन दखल लेते समय, ‘अपना देश अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत से भी आगे है’ ऐसी आलोचनापूर्ण टिप्पणी भी चिनी अखबार ने की थी|

इस पृष्ठभूमि पर, सोमवार को प्रकाशित हुए एक लेख में, चीन के अनुसंधानकर्ताओं ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की कामयाबी की प्रशंसा की| ‘पिछले सप्ताह के प्रक्षेपण से भारत ने पूरी दुनिया को यह साबित कर दिखाया है कि वे कम खर्च में व्यावसायिक सॅटेलाईट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेज सकते हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए भारत अग्रसर रहेगा, इसके संकेत इस प्रदर्शन से दिये गये थे। इससे सबक सीखकर चीन भी अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए पहल करें’, ऐसी सलाह चीन के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता झँग याँगघे ने दी|

इस दौरान, दुनिया भर की मीडिया द्वारा, इस्रो ने एक ही समय भेजे १०४ सॅटेलाईटस की दखल ली जाकर, इस्रो की सराहना की गयी| वहीं, चीन जैसा देश, चांद्रयान, मंगलयान मुहिमें और १०४ सॅटेलाईटस का प्रक्षेपण इन मोरचों पर इस्रो को मिली सफलता से अस्वस्थ हुआ दिखाई दे रहा है| लेकिन इस्रो ने यह प्रदर्शन, केवल विक्रम दर्ज करने के लिए नहीं किया, ऐसा दावा इस्रो के वरिष्ठ अधिकारी ने किया| इस्रो के लिए हर मुहिम यह अलग तरीके की चुनौती होती है और हम सब उस चुनौती का स्वीकार करते हैं| सांख्यिकी के अनुसार हालाँकि अनुसंधानकर्ताओं का आत्मविश्‍वास और मनोबल दुगुना होता है, मग़र सिर्फ विक्रम दर्ज करने के लिए ऐसा उपक्रम हाथ में नहीं लिया जाता, ऐसे इस्रो के वरिष्ठ अधिकारी के. सिवन ने कहा है|

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