भारत को २०० से २५० लड़ाकू विमानों की ज़रूरत : वायुसेनाप्रमुख अरूप रहा

नई दिल्ली, दि. २८ : अपनी रक्षाविषयक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत को तक़रीबन २०० से २५० रफायल विमानों की आवश्यकता है, ऐसा वायुसेनाप्रमुख अरूप रहा ने कहा है| राजधानी नई दिल्ली में पत्रकार परिषद में वायुसेनाप्रमुख बात कर रहे थे| साथ ही, ‘अग्नी-५’ प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण पर चीन द्वारा दी गई प्रतिक्रिया की ओर ध्यान न देते हुए भारत को खुद की रक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाने चाहिए, ऐसी राय इस समय वायुसेनाप्रमुख ने व्यक्त की|

pg01_arup-raha३६ रफायल विमान भारतीय वायुसेना के लिए पर्याप्त नहीं होंगे| भारत को लगभग २०० से २५० लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है, ऐसा दावा वायुसेनाप्रमुख ने किया| वायुसेना के पास ‘सु-३० एमकेआय’ ये प्रगत लड़ाकू विमान हैं और यह विमान आनेवाले तीन से चार दशक के लिए उपयुक्त हो सकते हैं| साथ ही, ‘लाईट कॉम्बॅट एअरक्राफ्ट’ श्रेणी में ‘तेजस’ यह देश में ही निर्मित लड़ाकू विमान भारत की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है| लेकिन मध्यम श्रेणी के बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना के काफ़िले में ज़रूरत के अनुसार रहनी चाहिए| अगले दशक का विचार करें, तो भारत को ऐसे तक़रीबन २०० लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है, इस ओर वायुसेनाोप्रमुख ने ध्यान खींचा|

भारत की वायुसेना को लगभग ४२ स्क्वाड्रन की ज़रूरत है, ऐसा सरकार का कहना है| लेकिन क्षमता को देखा जाये, तो भारतीय वायुसेना को इससे भी अधिक मात्रा में विमानों की ज़रूरत है, इसपर वायुसेनाप्रमुख ने ग़ौर फ़रमाया| किसी भी देश की वायुसेना के लिए लड़ाकू विमान यह सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हिस्सा है| इस वजह से भारत ने, ‘तेजस’ इस लड़ाकू विमान के निर्माण के साथ ही, दूसरे लड़ाकू विमानों के निर्माण की भी तैय्यारी रखनी चाहिए, ऐसा आवाहन वायुसेनाप्रमुख ने किया|

इसी दौरान, भारत के ‘अग्नी-५’ इस आंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण पर चीन ने सूचक प्रतिक्रिया दी थी| दक्षिण एशिया में समतोल बनाये रखने के लिए चीन प्रयास करेगा, ऐसा कहते हुए चीन ने, पाकिस्तान की क्षमता बढाने के लिए वह खुद प्रयास करेगा, ऐसे संकेत दिए थे| लेकिन राजनीतिक स्तर पर इस तरह के संदेश और चेतावनियाँ हमेशा दी जाती हैं और आगे भी दी जायेंगी, ऐसा कहते हुए, चीन ने दी हुई प्रतिक्रिया अपेक्षित थी, ऐसे संकेत वायुसेनाप्रमुख ने दिए|

भारत ने दूसरे देश की प्रतिक्रिया की ओर ध्यान ना देते हुए अपनी क्षमता बढ़ाते हुए आगे बढना चाहिए, ऐसा वायुसेनाप्रमुख अरूप रहा ने कहा| भारत का प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम रक्षा के लिए है और रक्षासिद्धता को बढ़ाने के लिए भारत को आगे भी कदम उठाने पडेंगे, ऐसा स्पष्ट करते हुए वायुसेनाप्रमुख ने, चीन की प्रतिक्रिया की ओर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है, ऐसा कहा है|

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