‘भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता का रास्ता साफ़’ : अमरीका के अभ्यासगुट का दावा

वॉशिंग्टन, दि. २९ : ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ (एनएसजी) देशों के गुट में भारत के शामील होने का रास्ता साफ़ हो चुका है, ऐसा दावा अमरीका के जानेमाने अभ्यासगुट ने किया है| ‘एनएसजी’ के सदस्य देशों के सामने आये एक प्रस्ताव की वजह से यह बात स्पष्ट हुई है, ऐसा ‘आर्म्स कंट्रोल असोसिएशन’ (एसीए) ने कहा है| लेकिन भारत का ‘एनएसजी’ में प्रवेश आसान करते समय, पाकिस्तान को प्रवेश ना मिलें इसके पूरे एहतियात इस प्रस्ताव में बरते गये हैं, ऐसा दावा ‘एसीए’ ने किया है|

इस महिने की शुरुआत में ‘एनएसजी’ के सदस्य देशों के पास एक प्रस्ताव आया था| इसमें, ‘परमाणु अप्रसार संधि’ (नॉन-प्रॉलिफ़रेशन ट्रीटी – एनपीटी) पर दस्तख़त न करनेवाले देशों को भी ‘एनएसजी’ की सदस्यता मिल सकें, इस दृष्टि से कुछ प्रावधान किए गए हैं| ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर दस्तखत न करनेवाले देशों को सदस्यता नहीं दी जायेगी, ऐसी कडी भूमिका ‘एनएसजी’ ने पहले अपनायी थी| इन नियमों की वजह से ही भारत को इस संगठन की सदस्यता नहीं मिली थी| लेकिन इन नियमों में कुछ हद तक नरमाई बरतने की तैयारी ‘एनएसजी’ ने की है और इस संदर्भ में कदम उठाने शुरू किये हैं|

अभ्यासगुट‘एनएसजी’ के पूर्व अध्यक्ष ‘रफेल मारियानो ग्रोस्सी’ ने नया मसूदा तैयार किया है| फिलहाल इस संगठन के कार्यवाह की ज़िम्मेदारी निभा रहे दक्षिण कोरिया की ओर से यह प्रस्ताव ग्रोस्सी ने तैयार किया है, ऐसा कहा जा रहा है| इसमें ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर दस्तखत न करनेवाले देशों को भी ‘एनएसजी’ का सदस्य देश बनाने के लिए नौ मुद्दें दर्ज किये गए हैं, ऐसी जानकारी ‘एसीए’ के ‘डॅरिल जी. किंबॉल’ ने दी| ‘एनएसजी’ की सदस्यता मिलने के लिए जो निकष हैं, उन्हें शिथिल करने के प्रयासों की किंबॉल ने कड़ी आलोचना की है|

‘एसीए’ यह अमरीका का अभ्यासगुट, भारत-अमरीका नागरी परमाणु समझौते का कड़ा विरोधक था| इस पृष्ठभूमि पर, ग्रोस्सी ने रखे नौं कलमी प्रस्ताव की भी इस अभ्यासगुट द्वारा कडी आलोचना की जा रही है| अमरीका के ओबामा प्रशासन ने भारत को ‘एनएसजी’ का सदस्यत्व प्राप्त करा देने का भरोसा दिलाया है| हालाँकि ओबामा प्रशासन को इसमें कामयाबी नहीं मिली है, मग़र फिर भी अमरीका की सत्ता पर आनेवाले डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन यह काम कर दिखा सकता है, ऐसा किंबॉल ने कहा है|

अभ्यासगुटनये प्रस्ताव में, ‘एनएसजी’ का सदस्य बननेवाले, मग़र ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर दस्तख़त न करनेवाले देश दूसरे देश की सदस्यता का विरोध नहीं कर सकते, ऐसा प्रावधान किया गया है|

इस वजह से, भारत को यदि ‘एनएसजी’ की सदस्यता मिली, तो भारत इस संगठन में पाकिस्तान का प्रवेश नहीं रोक सकता| लेकिन इसके बावजूद भी पाकिस्तान को ‘एनएसजी’ में प्रवेश नहीं मिलेगा, ऐसा स्पष्ट मत किंबॉल ने दर्ज किया है| ग्रोसी के मसुदे में रखे गए नौं कलमों का पालन करने के लिए भारत को अपने परमाणु कार्यक्राम में विशेष बदलाव नहीं करने पडेंगे| भारत पहले से ही इन नियमों का पालन करता आ रहा है| लेकिन पाकिस्तान के संदर्भ में ऐसा नहीं कहा जा सकता| इस वजह से भारत ‘एनएसजी’ का सदस्य बन सकता है और पाकिस्तान इस संगठन से बाहर ही रहेगा, ऐसा दावा किंबॉल ने किया है|

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