यूक्रैन युद्ध से भारत को बड़ी अहम सिख मिली – सेनाप्रमुख जनरल नरवणे

यूक्रैन युद्धनई दिल्ली – अगला युद्ध सायबर क्षेत्र में होगा या एअर कंडिशन रूम में बैठकर लड़ा जाएगा, यह सवाल सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे से माध्यमों ने किया| सायबर एवं ड्रोन्स के ज़रिये ही आगे के युद्ध किए जाएंगे, ऐसें दावे किए जा रहे हैं| इसीके आधार पर यह सवाल किया गया था| लेकिन, जनरल नवरणे ने यूक्रैन में जारी युद्ध का दाखिला देकर आज भी परंपरागत युद्ध शुरू हो सकता हैं, यह इशारा दिया| देश में ही तैयार हुए हथियारों के ज़रिये युद्ध लड़ना होगा, यह काफी बड़ी सिख भारत को यूक्रैन की जंग से प्राप्त हुई हैं, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान सेनाप्रमुख ने इस दौरान किया|

युद्ध किसी भी क्षण शुरू हो सकता हैं| इसका मुकाबला करने के लिए हमें तैयार रहना ही चाहिये| यह युद्ध दूसरें देश से प्राप्त होनेवाले हथियार और रक्षा यंत्रणाओं के सहायता करना मुमकिन नहीं होगा| इसके लिए देश में ही तैयार हुए रक्षा सामना एवं हथियारों का इस्तेमाल करना होगा| यह काफी बड़ी अहम सिख यूक्रैन के युद्ध ने भारत को दी हैं| साथ ही हमेशा से युद्ध के लिए तैनात रहने की आवश्यकता भी यूक्रैन की इस जंग ने हमें दिखाई हैं, यह जनरल नरवणे ने माध्यमों से बोलते समय स्पष्ट किया| सायबर एवं ड्रोन्स और अन्य प्रगत माध्यमों के ज़रिये युद्ध हो सकता हैं| साथ ही परंपरागत युद्ध की संभावना भी खत्म नहीं हुई, इसपर जनरल नवरणे ने ध्यान आकर्षित किया|

भारत पिछले कुछ सालों से रक्षा सामान का देश में ही निर्माण करने के लिए जोरदार कोशिश कर रहा हैं| इस प्रक्रिया में निजी उद्योगों को भी शामिल किया गया हैं और इस वजह से देश में रक्षा सामान एवं हथियारों के निर्माण की गति प्रचंड़ मात्रा में बढ़ी हैं|

भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना भी रक्षा सामान एवं हथियारों का देश में निर्माण करने के लिए गति प्रदान करने की मॉंग कर रहे हैं| यूक्रैन युद्ध का दाखिला देकर सेनाप्रमुख ने इसकी अहमियत फिर एक बार रेखांकित की हुई दिख रही हैं|

युद्ध के दौर में भारत अन्य देश से आयात किए हथियारों पर निर्भर नहीं रह सकता, यह इशारा जनरल नवरणे ने पहले भी दिया था| रशिया के हमले का मुकाबला करने के लिए यूक्रैन के पास पर्याप्त सैन्य सामर्थ्य नहीं था और इसके लिए यूक्रैन अमरीका और नाटो पर निर्भर था| लेकिन, अमरीका ने यूक्रैन की उम्मीद के नुसार सहायता प्रदान नहीं की और इस वजह से यूक्रैन की जवाबी कार्रवाई में कमी रहने की बात स्पष्ट हुई| इसका दाखिला देकर सेनाप्रमुख रक्षा सामान एवं हथियारों के निर्माण क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता की अहमियत स्पष्ट कर रहे हैं|

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