द्विपक्षीय सहयोग का दायरा बढ़ाने पर भारत-जापान सहमत

टोकियो – भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर और जापान के विदेशमंत्री तोशिमित्सू मोतेगी के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई। बीते वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षित और स्थित समुद्री क्षेत्र के लिए इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव का प्रस्ताव ईस्ट एशिया समिट के दौरान रखा था। इसमें शामिल होने के लिए जापान ने तैयारी दिखाने का ऐलान इस बैठक के बाद किया गया। साथ ही भारत और जापान के बीच कुछ अहम समझौतों को अंतिम रूप दिया गया। इसमें ‘५ जी’ तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स (एआय), सायबर सिक्युरिटी जैसे क्षेत्रों के समझौतों का समावेश है।

द्विपक्षीय सहयोग

भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड़’ देशों की बैठक मंगलवार को हुई। इसके बाद बुधवार को भारतीय विदेशमंत्री ने जापान और बाद में ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री से द्विपक्षीय चर्चा की। इस दौरान चीन का खतरा ध्यान में रखते हुए कुछ अहम निर्णय किए गए। भारत और जापान के रणनीतिक और वैश्‍विक स्तर का सहयोग अधिक मज़बूत करने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में सहयोग व्यापक करने पर दोनों देशों की सहमति हुई।

भारत और जापान के बीच साइबर सुरक्षा, आयटी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाएं, ५ जी तकनीक, एआय के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए जल्द ही समझौता होगा। इस समझौते को अंतिम रूप इसी बैठक में दिया गया। चीन की हुवेई कंपनी ने तकनीक के आड़ में शुरू की हुई जासूसी के मुद्दे पर अमरीका के अलावा कुछ देशों ने इस कंपनी पर प्रतिबंध लगाए हैं। साथ ही चीनी कंपनियों को अपने बाज़ार से दूर रखने का निर्णय किया है। ऐसे में भारत और जापान ५ जी तकनीक के लिए कर रहे सहयोग अहमियत रखता है।

साथ ही सायबर हमलों का खतरा बढ़ रहा है और चीन से हो रहे सायबर हमलों के मुद्दों पर अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपिय देश काफी आक्रामक हुए हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारत और जापान के बीच साइबर सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग मज़बूत किया जा रहा है। साइबर हमले रोकने के लिए तकनीक का सहयोग करने के साथ ही दोनों देश साइबर हमलों से संबंधित जानकारी का भी आदान-प्रदान करेंगे।

इसके अलावा, साथ ही दोनों देशों ने तीसरे देश में प्रकल्प निर्माण करने के लिए एकसाथ काम करने का निर्णय भी किया है। श्रीलंका, म्यानमार, बांगलादेश में दोनों देश कुछ विकास प्रकल्पों पर संयुक्त काम करने के लिए उत्सुक होने के समाचार पहले भी प्रसिद्ध हुए थे। इस पृष्ठभूमि पर किया गया यह निर्णय अहम साबित होता है।

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