भारत क्वाड की ‘ड्राइविंग सीट’ पर हैं – अमेरिका के राजदूत गार्सेटी का दावा

जयपूर – ‘‘भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ संगठन की ‘ड्राइविंग सीट’ पर भारत बैठा हैं। इस संगठन का क्या करना हैं, यह काफी हद तक भारत को ही तय करना हैं’, ऐसा बयान अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने किया है। क्वाड की बैठक का जल्द ही आयोजन हो रहा है और उससे पहले अमेरिका के राजदूत ने किए यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ‘हार्ट ऑफ द मैटर ः क्वाड ॲण्ड द न्यू इंडो-पैसिफिक विजन’ इस मुद्दे पर ‘जयपूर लिटरेचर फेस्टिवल’ में आयोजित चर्चा के दौरान राजदूत गार्सेटी ने यह बयान किया।

‘क्वाड’ की ड्राइविंग सीट पर भारत हैं और भारत के बगल में करेक्टिव स्टीयरिंग वील पर अमेरिका है। जापान कुशल मार्गदर्शन की भूमिका में काफी पहले से था। इस सफर में ऑस्ट्रेलिया हर को क्या चाहिए, इसका ध्यान रखने की भूमिका में हैं, यह कहकर अमेरिकी राजदूत ने क्वाड में हर एक देश की भूमिका अपनी सोच से स्पष्ट की। भारत क्वाड की ‘ड्राइविंग सीट’ पर हैं - अमेरिका के राजदूत गार्सेटी का दावासाथ ही ‘क्वाड’ में भारत की भूमिका सबसे अहम होने का अहसास भी अमेरिकी राजदूत ने इस दौरान कराया। अमेरिका ने पहले भी लगातार क्वाड में भारत का स्थान सबसे अङ्म होने की बात स्पष्ट की थी।

भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों के ग्वाड गुट की कल्पना वर्ष २००८ में सामने रखी गई थी। चीन की विस्तारवादी नीति के कारण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बने असंतुलन के विरोधी में खड़ी संगठन के तौर पर ‘क्वाड’ की पहचान बताई जा रही थी। लेकिन, इन चारों देशों का सहयोग बैठक करने के आयोग नहीं गया, ऐसी आलोचना विश्व के विश्लेषक कर रहे हैं। क्यों कि, क्वाड की भूमिका को लेकर हर देश का खास तौर पर अमेरिका और भारत का विचार काफी अलग है। इसी बीच बराक ओबामा ने अपने राष्ट्राध्यक्ष पद के कार्यकालके दौरान क्वाड का संगठन बैठक तक सीमित रहेगा, यह संगठन वास्तव में खड़ा नहीं हो सके, इसका पूरा ध्यान रखा था, ऐसे आरोप भी लगाए गए थे। वहीं, क्वाड यानी किसी एक देश के विरोध में खड़ा सैन्य संगठन न हो और क्वाड ने नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक भूमिका अपनानी होगी, ऐसी भारत की मांग है।

इस वजह से क्वाड संगठन अबतक प्रभावी कार्य नहीं कर सका। लेकिन, चीन के विस्तारवाद से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र एवं उसके आगे के क्षेत्र को भी खतरा होने की स्थिति में क्वाड की अहमियत काफी बड़ी मात्रा में बढ़ती दिखाई दे रही है।

ऐसे में अमेरिका को क्वाड संबंधित भारत से होने वाली उम्मीदें भारत में नियुक्त अमेरिकी राजदूत गार्सेटी ने सूचक शब्दों में बयान की है। भारत इस गुट का एक ही देश है जिसकी सरहद सीधे चीन से जुड़ी हैं। इस वजह से चीन के विरोध में भारत अधिक आक्रामक भूमिका अपनाए, इस उम्मीद में अमेरिका होने का दावा विश्लेषक कर रहे हैं। राजदूत गार्सेटी भी इस संगठन ने क्या करना है, वह अधिकतर भारत ने तय करना हैं, यह कहकर विश्लेषकों के इस दावे की पुष्टि करते दिख रहे हैं।

वर्ष २०२० में गलवान संघर्ष होने के बाद अमेरिका ने भारत को चीन के विरोध में पूरा सहयोग करने का वादा किया था। भारत और चीन का युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका यकिनन भारत के पीछे खड़ी रहेगी, ऐसी गवाही अमेरिका ने उस समय दी थी। इस वजह से अमेरिका को भारत और चीन के बीच युद्ध शुरू करके अपने दो ताकतवर प्रतिद्वंद्वियों की क्षमता खत्म करने की मंशा है, इससे महाशक्ति बनी अमेरिका का स्थान सुरक्षित रहेगा, ऐसी चेतावनी कुछ विश्लेषकों ने दी थी।

लेकिन, भारत अपने हितसंबंधों की सुरक्षा करने के लिए समर्थ हैं और किसी के इशारे पर भारत युद्ध करने का एवं संघर्ष शुरू करने का निर्णय नहीं करेगा, इसका अहसास भी भारत ने अमेरिका को कराया था। यह बात चीन के विरोध में भारत को प्रदान होने वाली सहायता के बदले में भारत चीन से टकराएं, यह उम्मीद रखने वाली अमेरिका को झटका देने वाली साबित हुई थी। अमेरिका एवं अन्य किसी भी देश से प्राप्त हो रही सहायता के बदले में भारत अपनी नीति में बदलाव करने के लिए तैयार नहीं होगा, यह भी भारत ने अमेरिका को बार बार दर्शाया था। इसी नीति के अनुसार अमेरिका का विरोध होने के बावजूद भी यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रशिया से ईंधन खरीदा था।

इससे बेचैन हुई अमेरिका ने विभिन्न तरीके से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की। प्रतिबंधों की धमकियां, खलिस्तानी आतंकवादी पन्नू की हत्या की साज़िश बनाने के लगाए आरोप, अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत के गणतंत्र दिवस का ठुकराया न्योता, यह सभी अमेरिका की नाराज़गी जताने की कोशिश थी। लेकिन, यह नाराज़गी और दबाव नीति की राजनीति करते समय भारत हमारे लिए अहम देश हैं, ऐसा अमेरिका लगातार कहती रही है। साथ ही मौजूदा दौर में भारत अपनी उम्मीदे पूरी नहीं कर राह हैं, इसका अहसास कराने की मंशा भी अमेरिका रखती हैं। अमेरिका के राजदूत ने ‘क्वाड’ को लेकर किए बयान यही साक्ष देते हैं।

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