यूक्रेन की समस्या का हल निकालने के लिए भारत हर मुमकिन कोशिश कर रहा है – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

ऑकलैण्ड – यूक्रेन की समस्या का हल निकालने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने के लिए भारत तैयार है। इससे पहले ज़ौपोरिज़िया परमाणु प्रकल्प की सुरक्षा के लिए रशिया पर दबाव डाले, ऐसी बिनती भारत से की गई थी। इसके अनुसार भारत ने रशिया के सामने इस परमाणु प्रकल्प की सुरक्षा का मुद्दा उठाकर दबाव डाला था, ऐसी जानकारी विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने साझा की। यूक्रेन युद्ध पर अन्य देश और संयुक्त राष्ट्रसंघ भारत के साथ चिंता व्यक्त कर रहे हैं और भारत इस पर प्रतिक्रिया दे रहा है। इस समस्या का हल निकालने के लिए हम अपनी ओर से सहायता कर रहे हैं, ऐसा जयशंकर ने आगे कहा। दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की से फोन पर बातचीत की थी। इस पृष्ठभूमि पर विदेशमंत्री जयसंकर के इस बयान की बड़ी अहमियत मानी जा रही है।

यूक्रेन की समस्याविदेशमंत्री एस.जयशंकर फिलहाल न्यूज़ीलैण्ड के दौरे पर हैं। न्यूज़ीलैण्ड के ऑकलैण्ड में बोलते समय जयशंकर ने यूक्रेन मुद्दे पर अहम जानकारी साझा की। यूक्रेन युद्ध के दौरान विभिन्न देश अपने हित की सुरक्षा के लिए कार्यरत हैं। इस मुद्दे पर यह देश अपनी भूमिका रख रहे हैं। भारत भी अपना राष्ट्रीय हित और अंतरराष्ट्रीय हित सामने रखकर अपना विचार बयान कर रहा है। ऐसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा के दौरान कुछ देशों ने यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत के सामने अपनी चिंता व्यक्त की थी। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी भारत के सामने अपनी चिंता का ज़िक्र किया था और भारत ने इस पर प्रतिक्रिया दी, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान जयशंकर ने इस दौरान किया।

यूक्रेन के ज़ौपोरिज़िया क्षेत्र में यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु प्रकल्प है। रशियन सेना ने ज़ौपोरिज़िया पर कब्ज़ा लिया है और इसके बाद इस प्रकल्प के क्षेत्र में यूक्रेनी सेना और रशियन सेना के बीच संघर्ष हुआ था। यूक्रेन की सेना इस परमाणु प्रकल्प पर रॉकेटस्‌‍ और मिसाइल्स से हमला कर रही है, यह आरोप रशिया ने लगाए थे। साथ ही रशिया से इस परमाणु प्रकल्प को खतरा होने का आरोप यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने लगाए थे। इस पृष्ठभूमि पर ज़ौपोरिज़िया परमाणु प्रकल्प की सुरक्षा के मुद्दे पर रशिया पर भारत दबाव डाले, यह माँग संयुक्त राष्ट्रसंघ ने की थी। इसके अनुसार भारत ने रशिया के साथ चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठाया और रशिया पर अपने प्रभाव का भारत ने इस्तेमाल किया, ऐसे संकेत विदेशमंत्री जयशंकर ने दिए।

विदेशमंत्री जयशंकर ने यह दावे करने से दो दिन पहले भारत के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की से फोन पर बातचीत की थी। इस चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध से यूक्रेन की समस्या का हल नहीं निकलेगा, इस पर ध्यान आकर्षित किया। राजनीतिक बातचीत से ही यूक्रेन की समस्या का हल निकलेगा और इसके लिए आवश्यक योगदान के लिए भारत तैयार है, यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष को दिया। साथ ही यूक्रेन के परमाणु प्रकल्प की सुरक्षा पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने चिंता व्यक्त की थी।

भारत के प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष का बयान सामने आया है और उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया था। इसके बाद विदेशमंत्री जयशंकर ने न्यूज़ीलैण्ड में बोलते हुए यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए एवं इसकी तीव्रता घटाने के लिए भारत की कोशिशों का दाखिला दिया है। भारत में नियुक्त फ्रान्स के राजदूत ने भी यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर हमारा देश भारत के संपर्क में होने की जानकारी साझा की थी। साथ ही भारत इस युद्ध को रोकने के लिए और इसकी तीव्रता कम करने के लिए फ्रान्स के सहयोग से काफी कुछ कर सकता है, ऐसा फ्रान्स के राजदूत ने कहा था।

इसी बीच, रशिया पर प्रभाव डालनेवाले कुछ चुनिंदा देशों में भारत का समावेश है, इसी कारण भारत रशिया पर दबाव डालकर यूक्रेन युद्ध को रोक सकेगा, ऐसे संकेत अन्य देशों के नेताओं ने दिए थे। रशिया पर यह प्रभाव भारत की तटस्थता के कारण बरकरार रहने का अहसास भारत को है। इस वजह से इस तटस्थ नीति से समझौता करके रशियाविरोधी भूमिका अपनाने के लिए भारत तैयार नहीं है। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय हित के मुद्दे पर भारत रशिया से निश्चितरूप से चर्चा करेगा, ऐसा संदेश विदेशमंत्री जयशंकर के इस बयान से दिया जा रहा है।

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