चीन को घुटनों पर लाने के लिए भारत ‘क्वाड’ से सहयोग बढ़ाए – पूर्व नौसेनाप्रमुख एवं सामरिक विश्‍लेषकों की माँग

चंडीगढ़ – भारत की सुरक्षा को चुनौती देनेवाली गतिविधियां कर रहे चीन को घुटने टेकने के लिए भारत ‘क्वाड’ से सहयोग बढ़ाए, ऐसा सुझाव पूर्व नौसेनाप्रमुख एवं सामरिक विश्‍लेषक एवं कूटनीतिज्ञ दे रहे हैं। अब तक भारत गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाकर चीन को चोट पहुँचाने से दूर रहा था। लेकिन, चीन भारत के खिलाफ आक्रामक लष्करी गतिविधियां कर रहा है और ऐसे में चीन के विरोध में अन्य देशों से सहयोग प्राप्त करने के अलावा भारत के सामने दूसरा विकल्प नहीं है, ऐसा इन सभी का कहना है। चंडीगढ़ में आयोजित किए गए ‘मिलिटरी लिट्रेचर फेस्टिवल’ में शामिल हुए पूर्व नौसेनाप्रमुख, सामरिक विश्‍लेषक एवं कूटनीतिज्ञ का यह कहना है।

india-quad-chinaवर्ष २००७ में जापान के प्रधानमंत्री एबे शिंजो ने सबसे पहले भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन जनतांत्रिक देशों के समावेश के ‘क्वाड’ की संकल्पना रखी थी। आरम्भिक दौर में इस गुट में शामिल होकर चीन को चोट पहुँचाने से ऑस्ट्रेलिया भी दूर रहा था। लेकिन, वर्ष २०१७ में चीन की वर्चस्ववादी भूमिका तीव्र हुई और इसके बाद ‘क्वाड’ की अहमियत बढ़ती गई, इस बात पर पूर्व नौसेनाप्रमुख सुनील लाम्बा ने ध्यान आकर्षित किया। तभी, नामांकित सामरिक विश्‍लेषक एवं नैशनल युनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की ‘इन्स्टिट्युट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज्‌’ विभाग के संचालक सी.राजा मोहन ने भारत को इतिहास से समझने की आवश्‍यकता होने की सख्त सलाह दी।

‘मौजूदा दौर में भारत के लिए खतरे में बढ़ोतरी हो रही है। इसी वजह से पहले के दौर के मुकाबले अब अन्य देशों के साथ सुरक्षा विषयक सहयोग बढ़ाने की आवश्‍यकता निर्माण हुई है। इस वजह से ना कि सिर्फ एक बल्कि कई मोर्चों पर भारत को तेज़ गतिविधियां करके ‘क्वाड’ एवं क्षेत्रिय देशों के संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाना होगा। मौजूदा दौर में भारत को गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति अपनाना फायदेमंद साबित नहीं होगा। जिस तरह से चीन लगातार भारत को धमका रहा है, इस पर ध्यान केंद्रित करें तो सिर्फ लष्करी ही नहीं बल्कि आर्थिक क्षमता भी भारत को बढ़ानी ही होगी’, ऐसा निष्कर्ष सी.राजा मोहन ने दर्ज़ किया है।

चीन के विरोध में भारत अन्य देशों से बढ़ा रहे सहयोग का केंद्र ‘क्वाड’ होना चाहिये, यह बयान भी राजा मोहन ने किया है। तभी भारतीय नौसेना के पूर्व वाईस एडमिरल प्रदीप चौहान ने यह आरोप किया कि, भारत को चीन अपने टार्गेट के नज़रिए से देख रहा है। इसी कारण भारत ने चीन के विरोध में अपनी नीति तैयार रखना आवश्‍यक है, यह दावा वाईस एडमिरल चौहान ने किया है।

इसी बीच, भारतीय सामरिक विश्‍लेषक एवं रक्षाबलों के पूर्व अधिकारी लगातार चीन को लेकर भारत को इशारे देते रहे हैं। गलवान में हुए संघर्ष के बाद भारत ने चीन के खिलाफ आक्रामक गतिविधियां शुरू की थीं। उससे पहले चीन के विरोध में भूमिका अपनाना भारत ने टाल दिया था। लेकिन, लद्दाख का सीमा विवाद निर्माण करके चीन ने खुद का काफी बड़ा नुकसान किया है। इस वजह से भारतीय जनता के मन में चीन के विरोध में तीव्र क्रोध होने के संकेत भारतीय विदेशमंत्री ने हाल ही में दिए थे। इस कारण भारतीय नागरिकों का विश्‍वास प्राप्त करने के लिए चीन ने कई दशकों से की हुई कोशिश जाया हो गई, यह कहकर विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने चीन को सच्चाई का अहसास कराया था।

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