भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देनेवाला देश बना है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

गांधीनगर – अमरीका, ब्रिटेन और सिंगापूर जैसी वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देनेवाले देशों में अब भारत का भी समावेश हो रहा है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए देशवासियों का अभिवादन किया। गुजरात के गांधीनगर के करीब ‘गुजरात इंटरनैशनल फाइनैन्स टेक-जीआईएफटी’ द्वारा आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री बोल रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री के हाथों ‘इंटरनैशनल फाइनान्शियल सर्विसेस  सेंटर अथॉरिटीज्‌’ (आईएफएससीए) और ‘इंडिया इंटरनैशल बुलियन एक्सचेंज’ (आईआईबीएक्स) का उद्घाटन हुआ। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का स्थान उंचा हो रहा है और ऐसे में ऐसी संस्था देश के लिए काफी आवश्यक है, इसका अहसास प्रधानमंत्री ने कराया।

विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक, ऐसी  भारत की पहचान बनी है। अब से भी अधिक आनेवाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था काफी बढ़ेगी। उस समय के लिए अभी से तैयारी करने की ज़रूरत है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा समय में और भविष्य में भारत की भूमिका स्पष्ट करने के लिए ऐसी संस्थाओं की काफी आवश्यकता है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। ‘गुजरात इंटरनैशल फाइनान्स टेक’ (जीआईएफटी) यानी गिफ्ट सिटी भविष्य का विचार करके उठाया कदम था। अर्थव्यवस्था और तकनीक का केंद्र बनने के लिए यह उपक्रम  हाथ में लिया गया था, इसकी याद प्रधानमंत्री ने ताज़ा की।

इसके साथ ही इंटरनैशनल फाइनान्शियल सर्विसेस सेंटर अथॉरिटीज्‌‍ – आईएफएससीए और इंडिया इंटरनैशनल बुलियन एक्सचेंज आईआईबीएक्स और ‘नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) तीनों संस्थाएं देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अधिक सक्षमता से जोड़नेवाली साबित होंगी, यह दावा प्रधानमंत्री ने किया। बड़ा बाज़ार तक ही भारत की पहचान सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसके आगे बाज़ार विकसित करनेवाले देश के तौर पर भारत आगे बढ़े, यह उम्मीद भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान व्यक्त की। सेवा और इसके दर के मोर्चे पर ‘आईएफएससीए’ दुबई और सिंगापुर से स्पर्धा करे। इस क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करने का ध्येय हमें सामने रखना होगा, यह संदेश प्रधानमंत्री ने इस दौरान दिया।

भारतीय महिलाओं के लिए सोना वित्तशक्ति का बड़ा माध्यम है। इसलिए समाज और सांस्कृतिक व्यवस्था में सोने को काफी अहमियत दी जाती है। लेकिन, सोने का सबसे बड़ा खरीदार देश ही भारत की पहचान ना रहे। बल्कि, भारत सोने का बाज़ार विकसित करनेवाला देश बने। ‘आईआईबीएक्स’ की वजह से यह उम्मीद पूरी होगी। इससे सोने के कारोबार अधिक पारदर्शी बनेंगे। इससे भारत सोने की कीमत तय कर सकेगा। इस सबका प्रभाव विश्व पर हुए बिना नहीं रहेगा, यह विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

आनेवोले समय में भारत में जो कुछ होगा, उसका प्रभाव विश्व पर पडेगा और इससे विश्व को दिशा मिलेगी। पिछले कई सालों की गुलामी के कारण भारत ने स्वयं को वैश्विक अर्थव्यवस्था से आत्मविश्वास से नहीं जोड़ा था। लेकिन, अब स्थिति बदल चुकी है। स्वतंत्रता के अमृतमहोत्सवी साल में आत्मविश्वास से परिपूर्ण भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ रहा है। एक ही समय पर भारत अपनी स्थानीय आकांक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी अहमियत दे रहा है, यह कहकर प्रधानमंत्री ने देश के विकास के लिए वैश्विकीकरण की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाएगा, यह वादा किया।

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