इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सहयोग पर भारत, फ्रान्स और यूएई में त्रिसदस्यीय चर्चा

नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सहयोग पर भारत, फ्रान्स और यूएई में चर्चा हुई। इस दौरान तीनों देशों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से जुड़ी समुद्री सुरा, क्षेत्रीय परियोजना, ऊर्जा और अनाज सुरक्षा एवं मज़बूत सप्लाई चेन जैसे बड़े अहम विषयों पर सहयोग स्थापित करने का निर्धार किया। भारत के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी साझा की। सीधे ज़िक्र भले ही ना किया हो, फिर भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी कार्रवाईयों के खतरों के मद्देनज़र भारत और फ्रान्स यूएई के सहयोग से एक और त्रिसदस्यीय गुट सक्रीय करने की बात सामने आ रही है।

भारत, फ्रान्स और यूएई अपने त्रिसदसीय सहयोग के दायरे में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के कई मोर्चों पर काम करेंगे, यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने प्रदान की। इसमें सुरक्षा से लेकर आपदा के समय पर मानवीय सहयता प्रदान करने के कई मुद्दों का समावेश है। तथा समुद्री क्षेत्र से जुड़ी ब्लू इकॉनॉमी और वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक मज़बूत बनाने के मुद्दे पर भी भारत, फ्रान्स और यूएई इस क्षेत्र में त्रिसदस्यीय सहयोग स्थापित करेंगे। इससे पहले चीन की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की गतिविधियों की वजह से चौकन्ना हुए अन्य देश भी भारत के साथ सहयोग स्थापित करने के लिए उत्सुक दिख रहे हैं।

भारत-अमरीका-जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड गुट इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के वर्चस्ववाद के विरोध में सक्रिय हुआ है। साथ ही फ्रान्स और ब्रिटेन ने भी इस समुद्री क्षेत्र में रूचि दिखाते हुए भारत से स्वतंत्र सहयोग स्थापित किया था। ऐसे में भारत और फ्रान्स के सहयोग में जापान भी शामिल होने के लिए उत्सुक होने के संकेत प्राप्त हुए हैं। अमरीका का बायडेन प्रशासन ऊपर से तो चीन विरोधि आक्रामक गतिविधियाँ करने का चित्र दिखा रहा है, फिर भी वास्तव में बायडेन प्रशासन चीन के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रहा है, ऐसी आलोचना अमरीका में ही हो रही है।

बायडेन प्रशासन के ऐसे कमज़ोर रवैये की वजह से चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बेलगाम हरकतें कर रहा है। इससे तइवान को चीन से होनवाले खतरे में प्रचंड़ बढ़ोतरी हुई है। जापान और ऑस्ट्रेलिया ने इसका संज्ञान लिया है। इसके साथ ही फ्रान्स ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपने द्वीप की सुरक्षा को चीन से होनवाले खतरे को भांपकर भारतीय नौसेना के साथ सहयोग बढ़ाया है। ब्रिटन ने भी ऐलान किया है कि, अपना देश भविष्य में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हितों की सुरक्षा के लिए भारत से स्वतंत्र सहयोग स्थापित करेगा।

ऐसी स्थिति में भारत और फ्रान्स यूएई के सहयोग से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए और एक त्रिसदसीय गुट सक्रिय कर रहे हैं और इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अहमियत रेखांकित हो रही है। पैसिफिक महासागर के साथ हिंद महासागर पर वर्चस्व बनाए रखने के लिए चीन ने योजनाबद्ध कदम उठाना शुरू किया है। इसके लिए चीन ने अपनी नौसेना का सामर्थ्य काफी बढ़ाया है। पड़ोसी देशों को इसी सामर्थ्य की धौंस दिखाने में चीन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अहम साऊथ चायना सी क्षेत्र पर अधिकार जताया था। साथ ही जापान की सीमा में मौजूद ईस्ट चायना सी क्षेत्र भी अपना ही है, ऐसा चीन का कहना है। तथा, हिंद महासागर यानी भारत का क्षेत्र नहीं है, यह कहकर चीन ने इस क्षेत्र में भी अपना विस्तार करने की महत्वाकांक्षी योजना बनायी थी।

इसके लिए चीन अपनी आर्थिक ताकत इस्तेमाल करके छोटे और गरीब देशों को अपने कर्ज़ के जाल में फंसा रहा है। श्रीलंका में फिलहाल हो रही उथल-पुथल के पीछे चीन की शिकारी अर्थनीति होने की बात अब छुपी नहीं रही। इस वजह से चीन की घातक साजिश नाकाम करना अपने हित की सुरक्षा के लिए काफी ज़रूरी हो गया है, इसका अहसास विश्व के प्रमुख देशों को हुआ है। इसी करण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए विभिन्न देशों के नए गुट बन रहे हैं। इसी कारण भारत की अहमियत काफी बढ़ी है और चीन को रोकने की क्षमता रखनेवाले देश के तौर पर यूरोपिय और एशियाई एवं आग्नेय एशियाई देश भी भारत की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं।

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