भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है – ‘एस-४००’ को लेकर चेतावनियाँ देनेवाली अमरीका को भारत ने खरी खरी सुनायी

नई दिल्ली – रशिया से भारत खरीद रहे ‘एस-४००’ इस हवाई सुरक्षा यंत्रणा को लेकर अमरीका ने फिर एक बार चेतावनी दी है। अमरीका के भारत में नियुक्त राजदूत केनेथ जेस्टर ने कहा है कि भारत को कठोर फ़ैसलें करने पड़ेंगे। रशिया के साथ यह रक्षाव्यवहार पूरा किया, तो भारत को अमरीका के निर्बंधों का सामना करना पड़ सकता है, इसका एहसास जेस्टर ने करा दिया। लेकिन ‘भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है’ इन शब्दों में विदेश मंत्रालय ने अमरीका को खरी खरी सुनायी है। किससे कौनसे हथियार खरीदने हैं, इसका फ़ैसला अपनीं सुरक्षाविषयक ज़रूरतों को मद्देनज़र रखते हुए भारत द्वारा लिया जाता है, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है।

अमरीका में सत्ताबदलाव हो रहा होकर, आगामी राष्ट्राध्यक्ष जो बायडेन जल्द ही सत्ता की बाग़डोर सँभालेंगे। बायडेन की भारतविषयक नीति ट्रम्प जैसी नहीं होगी। बायडेन कई मुद्दों पर भारत के विरोध में भूमिका अपनायेंगे, ऐसी चर्चा शुरू हुई है। ट्रम्प के कार्यकाल में भारत को अमेरीका से मिलीं सहूलियतें बायडेन द्वारा नहीं दी जायेंगी, ऐसा भी कुछ विश्‍लेषकों का कहना है। भारत में अमरीका के नियुक्त राजदूत केनेथ जेस्टर ने इस संदर्भ में किये बयान विश्‍लेषकों के इस दावे की पुष्टि करनेवाले हैं। भारत ने रशिया से एस-४०० की खरीद करते समय कुछ कठोर फ़ैसलें करने चाहिए, यह कहकर ऐसे संकेत दिये कि यदि यह व्यवहार पूरा हुआ, तो भारत को अमरीका के निर्बंधों का सामना करना पड़ेगा।

रशिया से यह यंत्रणा की खरीद करने के बजाय, भारत अमरीका से इससे अधिक प्रगत हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद कर सकेगा, ऐसा प्रस्ताव भी राजदूत जेस्टर द्वारा दिया गया। अमरीका के निर्बंधों की परवाह न करते हुए भारत ने रशिया के साथ ५.४३ अरब डॉलर्स का यह रक्षा व्यवहार पूरा किया था। इसके तहत भारत को रशिया द्वारा पाँच ‘एस-४००’ यंत्रणाओं की सप्लाई की जानेवाली है। इससे भारत की हवाई सुरक्षा अधिक ही मज़बूत होगी, ऐसा माना जाता है। अमरीका ने इसपर ऐतराज़ जताया था। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने भारत पर निर्बंध थोंपने की धमकी भी दी थी। लेकिन अमरिकी क़ानून के अनुसार इसपर कार्रवाई करना टाल था।

राजदूत केनेथ जेस्टर ने इस मामले में किये बयान, यह भारत पर दबाव बढ़ाने के अमरीका के नये प्रशासन के दाँवपेंचों का भाग हो सकता है। इसका इस्तेमाल दोनों देशों के बीच की बातचीत के लिए किया जाने की संभावना अधिक है। इसके आगे जाकर यदि बायडेन के प्रशासन ने भारत पर निर्बंध लगाये, तो अमरीका का ही नुक़सान होने की गहरी संभावना है।

इसी बीच, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने, भारत एक ही समय अमरीका का विश्‍वसनीय मित्रदेश है और रशिया के साथ भी भारत के पारंपरिक मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, इसका एहसास करा दिया। भारत अपनी ज़रूरतों को मद्देनज़र रखकर ही रक्षाविषयक खरीद करता है और भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है, यह श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया। इसके द्वारा भारत ने फिर एक बार अमरीका को संदेश दिया दिख रहा है।

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