‘भारत की चुनौती से चीन चौकन्ना रहें’ : चीन के सरकारी मुखपत्र की चेतावनी

बीजिंग, दि. १७: चीन की ‘ओबीओआर’ योजना के दरवाज़ें भारत के लिए अभी भी खुले हैं, ऐसा चीन के विदेशमंत्रालय की ओर से फिर एक बार कहा गया है| लेकिन भारत ने इस परियोजना की ओर पीठ फेरकर, चीन के आवाहन को नज़रअंदाज़ किया है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इस संदर्भ की ख़बरे सामने आ रही हैं, तभी भारत जापान के सहयोग से ‘फ्रिडम कॉरिडॉर’ के माध्यम से चीन के ‘ओबीओआर’ को चुनौती दे रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इस पृष्ठभूमि पर, भारत की महत्त्वाकांक्षी योजना से और चुनौती से चीन को बचकर रहना चाहिए, ऐसी चेतावनी ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस चीन के सरकारी मुखपत्र ने दी है|

भारत की नीति सुस्पष्ट होकर, चीन का प्रभाव कम करने के लिए भारत अमरीका का इस्तेमाल कर रहा है| अपनी विदेश नीति में भारत अमरीका को अहमियत दे रहा है और वह चीन को रोकने के लिए यह कर रहा है| उसी समय भारत जपान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों का अपनी तरफ से बड़ी ही चालाक़ी से इस्तेमाल कर रहा है| ऐसा करके भारत आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अहमियत और प्रभाव बड़े पैमाने पर बढ़ा रहा है| चीन इसे नज़रअंदाज़ ना करें| भारत का यह बढ़ता प्रभाव चीन के लिए चुनौति बन सकता है, ऐसी चेतावनी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी है|

चीन ने पहल करके स्थापन किए ‘शांघाय कोऑपरेशन ऑर्गनायझेशन’ का (एससीओ) सदस्यत्व भारत को मिला है| इस वजह से भारत का प्रभाव और भी बढ़ा है, इस बात का भी ज़िक्र ग्लोबल टाईम्स ने किया है| ‘ओबीओआर’ योजना पर भारत ने ऐतराज़ जताने के बाद चीन ने भारत के संदर्भ में अधिक ज़िम्मेदाराना दृष्टिकोन अपनाया है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं| इस योजना में भारत को शामिल कराने के लिए चीन समझौता करने के संकेत दे रहा है| लेकिन यह योजना चीन का इस क्षेत्र में वर्चस्व और अधिक दृढ़ करेगी, यह बात भारत के लिए घातक हो सकती है| इसीलिए चीन को अपना वर्चस्व स्थापित करने का अवसर नहीं देना चाहिए, ऐसा कुछ जानकारों का कहना है|

भारत यदि ‘ओबीओआर’ योजना में शामिल नहीं हुआ, तो यह योजना कामयाब नहीं हो सकती, इसका एहसास चीन को भी हुआ है| लेकिन इस योजना में शामिल होने का आवाहन करते समय चीन भारत को किसी भी प्रकार की सहूलियतें देने को तैयार नहीं है, ऐसा स्पष्ट हुआ था| मसूद अझहर जैसे आतंकवादी का बचाव करने के लिए सुरक्षापरिषद में नकाराधिकार का इस्तेमाल करने से लेकर भारत की एनएसजी सदस्यता को विरोध करने तक कई भारतविरोधी निर्णय लेने के बाद चीन भारत की ओर से सहयोग की उम्मीद कर रहा है| लेकिन अपनी मूलभूत सुविधाओं की परियोजनाओं और आर्थिक क्षमता का इस्तेमाल राजकीय एवं सामरिक लाभ के लिए करनेवाले चीन पर भरोसा रखना भारत के लिए महँगा साबित हो सकता है, ऐसे संकेत भारत की सुखी प्रतिक्रिया द्वारा दिये जा रहे हैं|

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