भारत को ‘ऑस्ट्रेलियन ग्रुप’ का सदस्यत्व

नई दिल्ली: भारत को ‘ऑस्ट्रेलियन ग्रुप’ का सदस्यत्व मिला है। यह सदस्यत्व मतलब परमाणु शस्त्र प्रसार बंदी के बारे में धारणा एवं जाति शांति एवं स्थिरता के बारे में भारत की जिम्मेदारी को मिला प्रतिसाद माना जा रहा है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है। पिछले वर्ष में भारत को ‘मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम’ (एमटीसीआर) और ‘वासेनार अरेंजमेंट’ इस महत्वपूर्ण गट का सदस्यत्व मिला था। उसके बाद रासायनिक एवं जैविक शस्त्रास्त्र के निर्यात पर नियंत्रण रखने वाले ‘ऑस्ट्रेलियन ग्रुप’ का सदस्यत्व भारत को मिला है। चीन जैसे प्रबल देशों के पास तीन गटो का सदस्य नहीं है।

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शुक्रवार को भारतऑस्ट्रेलिया ग्रुप’ का ४३ वा सदस्यत्व देश बना है। इस सदस्यत्व की वजह से भारत को ‘एनएसजी’ का दावा अधिक मजबूत हुआ है। इन तीनों गटो का सदस्य के होनेवाले देश ‘एनएसजी’ के सदस्य होकर इसकी वजह से इन देशों को ‘एनएसजी’ प्रवेश के लिए भारत को समर्थन होने की बात स्पष्ट होती है। इसकी वजह से ‘एनएसजी’ में भारत के प्रवेश को विरोध करने वाला चीन अकेला हुआ है और अधिक समय तक भारत का ‘एनएसजी’ में प्रवेश रोका नहीं जा सकता, ऐसा दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं। इसलिए भारत को ‘ऑस्ट्रेलिया ग्रुप’ का मिला सदस्यत्व चीन के लिए झटका देने वाला माना जा रहा है।

१९८४, इराक में रासायनिक शस्त्रास्त्र का उपयोग होने के बाद उसे विरोध करने के लिए १९८५ साल में ‘ऑस्ट्रेलियन ग्रुप’ की स्थापना की गई थी। इस गट के सदस्य देशों की संख्या बढ़ती गई। रासायनिक तथा जैविक शस्त्रास्त्र के निर्यात पर नियंत्रण रखने वाला प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय गट ऐसी ‘ऑस्ट्रेलियन ग्रुप’ की पहचान है। इस गट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम’ (एमटीसीआर) और ‘वासेनार अरेंजमेंट’ उतना ही महत्व दिया जाता है। इसीलिए ‘ऑस्ट्रेलियन ग्रुप’ का सदस्य तो भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

‘मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम’ (एमटीसीआर), ‘वासेनार अरेंजमेंट’ और ‘ऑस्ट्रेलिया ग्रुप’ इन तीनों गटो का सदस्यत्व होकर भी परमाणु प्रसार बंदी करार पर हस्ताक्षर न करने वाला भारत यह दुनिया का एक ही देश है।

इसकी वजह से भारत यह अधिकृत परमाणु शस्त्रधारी देश होने की बात इस ग्रुप के सभी सदस्य देशों ने अप्रत्यक्ष रूप से मानी है। इसकी वजह से परमाणु ईंधन प्रदान करने वाला गट ‘एनएसजी’ के सदस्य तो का मार्ग भारत के लिए खुला होने के बात दिखाई दे रही है। इस अग्रणी स्तर पर भारत को विरोध करने वाला चीन अब अधिक अकेला होने की बात सामने आ रही है।

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