सबसे ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करनेवाले पहले दस देशों में भारत का समावेश – संयुक्त राष्ट्रसंघ की रपट

संयुक्त राष्ट्रसंघ – साल २०२० में भारत में ६४ अरब डॉलर्स का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ था। लेकिन, साल २०२१ में इसमें १९ अरब डॉलर्स गिरावट होने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ४५ अरब डॉलर्स रहा। यह बात भारतीय अर्थव्यवस्था की चिंता बढ़ानेवाली होने के दावे किए जा रहे थे। लेकिन, विदेशी निवेश में इतनी बड़ी गिरावट के बावजूद वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा निवेष आकर्षित करनेवाले पहले दस देशों में भारत का स्थान है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के ‘ट्रेड ऐण्ड डेवलपमेंट’ विभाग ने यह जानकारी साझा की।

‘ट्रेड ऐण्ड डेवलपमेंट’ की ‘वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट’ में भारत में हो रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की जानकारी का ब्यौरा दिया गया है। साल २०२१ में अमरीका, चीन, हाँगकाँग, सिंगापुर, कनाड़ा और ब्राज़िल के बाद सबसे ज्यादा निवेश आगर्षित करनेवाले देशों में भारत ने स्थान पाया है। इसके अलावा साल २०२१ में भारत में तकरीबन १०८ बड़े प्रकल्पों का ऐलान हुआ। इनमें से २३ प्रकल्प अक्षय ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े हैं। पहले के दस सालों में भारत में हर साल औसतन ऐसे २० बड़े प्रकल्पों का ऐलान होता था। लेकिन, एक ही साल में १०८ बड़े प्रकल्पों का ऐलान करके भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया, ऐसा वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट कह रही है।

जापान के निप्पॉन स्टील कंपनी ने भारत के स्टील एवं सिमेंट क्षेत्रों के नए प्रकल्पों के लिए १३.५ अरब डॉलर्स निवेश का ऐलान किया। इसी बीच जापान की सुझूकी मोटर्स ने वाहन निर्माण के लिए भारत में २.४ अरब डॉलर्स निवेश करने का ऐलान किया। इन दोनों प्रकल्पों का दाखिला वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट ने दिया। साथ ही भारत ने विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए शुरू की हुई कोशिशों का भी इस रपट मे सज्ञान लिया गया है। विदेशी निवेशकों को किसी भी तरह की बाधा का सामना करना ना पड़े, इसके लिए ‘नैशनल सिंगल विंडो सिस्टम’ जैसी योजना भारत ने शुरू की। इस वजह से निवेश की प्रक्रिया अधिक आसान हुई और इसका लाभ भारत को मिलने का दावा इस रपट में किया गया है।

इसके बावजूद यूक्रेन युद्ध से निर्माण स्थिति के मद्देनज़र भारत में हो रहे विदेशी निवेश पर असर पड़ सकता है, इसका अहसास भी वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट ने कराया। इस चुनौति को दूर करने के लिए भारत ने भी गतिविधियाँ शुरू की हैं। ऑस्ट्रेलिया, यूएई के साथ मुक्त व्यापारी समझौता करके भारत अपनी अर्थव्यवस्था अधिक मज़बूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। ब्रिटेन एवं यूरोपिय महासंघ के साथ भी भारत मुक्त व्यापार समझौते के बारे में बातचीत कर रहा है। इस साल के नवंबर तक भारत और ब्रिटेन का मुक्त व्यापारी समझौता पूरा होगा, ऐसा बयान व्यापारमंत्री पियूष गोयल ने हाल ही में किया था।

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