तैवान की सीमा में चीन के विमानों की घुसपैठ मे हुई बढ़ोतरी

तैपेई – चीन के दबाव के सामने झुकेंगे नहीं, यह ऐलान करने पर तैवान की सुरक्षा को ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ ने फिरसे चुनौती दी है। चीन के गश्‍ती विमानों ने तैवान की हवाई सीमा में घुसपैठ की है। बीते हफ्ते से चीन के गश्‍ती विमानों की यह पांचवीं घुसपैठ है। तैवान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को भेजकर चीन के गश्‍ती विमानों को पीछे हटने पर मज़बूर कर दिया। लेकिन, इस घटना के कारण वर्णित हवाई क्षेत्र में तनाव बढ़ा है।

china-taiwanतैवान के रक्षा मंत्रालय ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार चीन के ‘शांक्सी वाय-८’ गश्‍ती विमानों ने रविवार के दिन तैवान के ‘एअर डिफेन्स ज़ोन – एडीज़ेड’ यानी हवाई सुरक्षा क्षेत्र में घुसपैठ की। तैवान के डाँगशा द्विप के आकाश में चीन के इन विमानों ने उड़ान भरी। पनडुब्बी विरोधी मिसाइलों से सज्जित चीन के इन गश्‍ती विमानों को खदेड़ने के लिए तैवान ने अपने लड़ाकू विमानों को रवाना किया था। इसके साथ ही रेडियो के ज़रिये संदेश देकर इन चीनी विमानों को पीछे हटने के लिए कहा गया, यह जानकारी तैवान के रक्षा मंत्रालय ने प्रदान की।

फ़रवरी में ही चीन के लड़ाकू, गश्‍त और बॉम्बर विमानों ने तैवान के हवाई क्षेत्र में की हुई यह पांचवी घुसपैठ है। इससे पहले १, २, ४ और ५ फ़रवरी के दिन चीन के विमानों ने तैवान की हवाई सीमा का उल्लंघन किया था, यह आरोप तैवान के रक्षा मंत्रालय ने लगाया है। इससे पहले २३ और २४ जनवरी के लगातार दो दिन चीन ने कम से कम १० विमानों के अपने बेड़े की तैवान की सीमा में घुसपैठ करवाई थी।

china-taiwanराष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के प्रशासन ने अमरीका का नियंत्रण हाथों में लेने के बाद चीन की आक्रामकता में बढ़ोतरी दिख रही है। तैवान की हवाई सीमा में विमानों को रवाना करने के साथ ही चीन ने खुलेआम तैवान को एवं तैवान की आज़ादी का समर्थन करनेवाले व्यक्ति, संगठन एवं देशों को धमकाना शुरू किया है। तैवान की आज़ादी की कोशिश यानी युद्ध की धमकी होने का इशारा चीन ने दिया था। साथ ही तैवान को लेकर बायडेन प्रशासन की हमें बिल्कुल परवाह ना होने की बात चीन ने दो हफ्ते पहले दिखाई है।

china-taiwanतैवान हमारा सार्वभौम क्षेत्र होने का दावा चीन कर रहा है। ऐसे में तैवान स्वतंत्र देश है, ऐसी भूमिका इस देश की राष्ट्राध्यक्षा त्साई र्इंग-वेन ने ड़टकर स्वीकारी है। डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष होते हुए अमरीका ने तैवान की सरकार ने अपनाई इस भूमिका का पूरी तरह से समर्थन किया था। लेकिन, बायडेन प्रशासन ने अमरीका का नियंत्रण हाथों में लेने के बाद अमरीका की तैवान संबंधित भूमिका में बड़ा बदलाव होने के संकेत प्राप्त होने लगे हैं।

चीन के दबाव की वजह से लैटिन अमरीका के गयाना ने दो दिन पहले ही तैवान के साथ किए सहयोग से पीछे हटने का कदम उठाया था। बायडेन प्रशासन की चीन संबंधित भूमिका ट्रम्प से काफी अलग होगी, इस बात का अहसास होने से लैटिन अमरिकी देश ने तैवान संबंधित यह निर्णय करने की बात स्पष्ट दिख रही है। इस वजह से अगले दिनों में बायडेन प्रशासन चीन की मनमानी बर्दाश्‍त करेगा, यही संकेत इससे प्राप्त हो रहे हैं।

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