अमरिकी स्वास्थ्यमंत्री ऐलेक्स अज़ार तैवान पहुँचे

ताइपेई – अमरीका के स्वास्थमंत्री ऐलेक्स अज़ार रविवार के दिन तैवान पहुँचे। वर्ष 1979 में तैवान से राजनीतिक संबंध तोड़ने के बाद इस देश पहुँचे ऐलेक्स अज़ार अमरीका के पहले सर्वोच्च राजनीतिक अधिकारी एवं नेता बने है। अमरिकी स्वास्थमंत्री के इस तैवान दौरे पर चीन ने कड़ी आलोचना की है और तैवान की स्वतंत्रता के लिए बढ़ावा देनेवाले कदम उठाकर चीन के साथ बने संबंधों में अमरीका बिगाड़ ना करे, यह इशारा भी चीन ने दिया है। इसी पृष्ठभूमि पर अब तैवान के लिए प्रगत ड्रोन्स की भी आपूर्ति अमरीका करेगी, यह समाचार सामने आया है।

America-Taiwanरविवार की शाम करीबन पांच बजे अमरिकी स्वा्स्थ्यमंत्री ऐलेक्स अज़ार अपने शिष्टमंडल के साथ ताइपेई के हवाई अड्डे पर उतरे। उनका स्वागत करने के लिए तैवान के उप-विदेशमंत्री तिएन चुंगक्वांग एवं अमरीका के राजनीतिक प्रतिनिधि ब्रेंट ख्रिस्टन्सन उपस्थित थे। स्वास्थ्यमंत्री अज़ार का यह तैवान दौरा तीन दिनों का है और इस दौरान वह राष्ट्राध्यक्षा त्साई इंग-वेन समेत देश के अन्य वरिष्ठ नेता एवं अधिकारियों से भेंट करेंगे। कोरोना की महामारी रोकने के लिए तैवान ने किए प्रभावी प्रावधान और अमरीका-तैवान द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर इस दौरान चर्चा होगी, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की। इस दौरे में कोरोना की महामारी के संबंध में सहयोग करने के मुद्दे पर अमरीका और तैवान के बीच एक समझौता होगा, यह जानकारी भी प्रदान की गई है।

अमरिकी स्वास्थ्यमंत्री का यह तैवान दौरा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को दिया हो जोरदार झटका समझा जा रहा है। कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर ट्रम्प प्रशासन ने चीन के विरोध में आक्रमक राजनीतिक युद्ध शुरू किया है। हाँगकाँग, उइगरवंशी, साउथ चायना सी, ब्योपार जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर अमरीका ने चीन को जोरदार झटके देनवाले निर्णय किए हैं। अमरीका के इन निर्णयों की वजह से चीन के संबंध बिगड़ेंगे, ऐसे इशारे देने के बाद भी ट्रम्प प्रशासन ने कार्रवाई की तीव्रता कम नहीं की है। तैवान के बारे में ट्रम्प ने अपनाई नीति इसी की पुष्टि करनेवाली साबित होती है।

राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान के साथ सहयोग करने के मुद्दे पर अधिक सक्रिय भूमिका अपनाई है। अमरीका ने तैवान में शुरू किया हुआ राजनीतिक दफ्तर, अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तैवान के नेताओं से की हुई भेंट और बढ़ रहे सहयोग को ट्रम्प ने अपनाई भूमिका का हिस्सा समझा जा रहा है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने तीन दशकों के बाद तैवान को लड़ाकू विमान प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय किया था। इसके साथ ही तैवान को आधुनिक मिसाइल्स, टोर्पेडो और प्रगत रक्षा यंत्रणा भी प्रदान की जा रही है। अमरीका ने तैवान के करीबी समुद्री क्षेत्र में भी अपनी तैनाती बढ़ाई है और विमान वाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक, ड्रोन्स, गश्‍ती एवं लड़ाकू विमानों की मौजूदगी बढ़ाई है।

America-Taiwanकुछ दिन पहले ही अमरिकी संसद में तैवान पर चीन का हमला होने पर लष्करी कार्रवाई करने की अनुमति प्रदान करनेवाले ‘तैवान इन्वेशन प्रिवेंशन ऐक्ट’ नामक विधेयक भी पेश किया गया है। अमरीका में तैवान के राजदूत ने भी अमरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों से भेंट की थी। इसके बाद अमरिकी विदेश विभाग ने जारी किए निवेदन में यह विश्‍वास व्यक्त किया था कि, अमरीका और तैवान के मौजूदा संबंध सबसे मज़बूत स्थिति में हैं। अमरीका और ऑस्ट्रेलिया की हुई उच्चस्तरीय बैठक में एवं उसके बाद जारी किए गए संयुक्त निवेदन में तैवान का विशेष ज़िक्र किया गया था। इसके बाद अपने स्वास्थ्यमंत्री को तैवान के दौरे पर रवाना करके राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, ’हम चीन के धमकाने को अहमियत नहीं देते’, ऐसा स्पष्ट संदेश दिया है।

इसी बीच तैवान को प्रगत ‘सी-गार्डियन सर्विलन्स ड्रोन्स’ प्रदान करने के लिए अमरिकी विदेश विभाग ने मंजूरी देने का समाचार भी प्रसिद्ध हुआ है। करीबन 11 हज़ार किलोमीटर से अधिक दूरी तक गश्‍त करने की क्षमता रखनेवाले इन ड्रोन्स पर मिसाइल की तैनाती करना भी मुमकिन हो सकता है। इसके लिए करीबन 60 करोड़ डॉलर्स का समझौता होगा, ऐसा कहा जा रहा है। कुछ महीने पहले तैवान ने अमरीका के सामने सशस्त्र ड्रोन्स की माँग रखी थी। अमरीका से होनेवाले ड्रोन्स की संभावित आपूर्ति ’वन चायना प्रिन्सिपल’ के खिलाफ़ होने की आलोचना चीन ने की है।

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