यूरोप में दिवालिया घोषित कर रही कंपनियों की संख्या में वृद्धि – निजी कंपनियों ने दिवालिया होने की मात्रा आठ सालों के उच्चतम स्तर पर

ब्रुसेल्स – धीमी हुई आर्थिक प्रगति और सरकारी आर्थिक सहायता की कमी के कारण यूरोपिय उद्योग क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। यूरोप की कंपनियां दिवालिया होने की मात्रा में वृद्धि हुई है, ‘युरोस्टैट’ यंत्रणा ने यह जानकारी साझा की। अप्रैल से जून २०२३ की आर्थिक तिमाही के दौरान यूरोप में दिवालिया घोषित करने वाली कंपनियों की संख्या में ८.४ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। यह वर्ष २०१५ के बाद का उच्चांक होने की बात युरोस्टैट ने कही है। 

यूरोप में दिवालियामई महीने में यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था बने जर्मनी को आर्थिक मंदी से नुकसान पहुंचा था। इसके बाद जून महीने में यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं के ‘युरोझोन’ को आर्थिक मंदी से नुकसान पहुंचने की बात सामने आयी थी। रशिया-यूक्रेन युद्ध और ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइनसिस’ यह दो मुद्दे इस मंदी के लिए ज़िम्मेदार होने का बयान यूरोपिय विश्लेषक एवं विशेषज्ञों ने किया है।

मंदी की स्थिति होने के बावजूद यूरोपिय महासंघ ने सदस्य देश और उद्योग क्षेत्र को बाहर निकालने के लिए विशेष पहल करने की बात सामने नहीं आयी है। उल्टा रशिया-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठाकर यूरोपिय नेता यह दावा कर रहे है कि, जनता को और कुछ समय के लिए संकटों का मुकाबला करना होगा। यूरोपियन नेतृत्व की अनास्था का बुरा असर उद्योग क्षेत्र पर होता दिख रहा है और अधिकांश क्षेत्र की कंपनियों पर कारोबार से बाहर होने का संकट टूटता दिख रहा है।

वर्ष २०२२ के शुरू से यूरोप की कंपनियों का दिवालिया होना शुरू हुआ है। पिछले डेढ़ सालों में यह संख्या लगातार बढ़ रही हैं और वर्ष २०२३ की दूसरी तिमाही में यही मात्रा विक्रमी स्तर पर पहुंची है। निवास व्यवस्था एवं खाद्यान्न सेवा, परिवहन, भंड़ारण, शिक्षा, स्वास्थ एवं सामाजिक उपक्रम के क्षेत्र की कंपनियों का दिवालिया होने की मात्रा सबसे ज्यादा होने की बात ‘यूरोस्टैट’ की रपट में दर्ज की गई है। दिवालिया घोषित कर रही कंपनियों में हंगरी, लाटविया और इस्टोनिया यह देश सबसे आगे होने का अहसास भी यूरोपियन यंत्रणा ने कराया है।

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