चीन को महाशक्ति होने की ओर बढ़ा रहा आर्थिक प्रगति का ‘मॉडेल’ खत्म हुआ है – अमरीका के शीर्ष अखबार का दावा

वॉशिंग्टन/बीजिंग – विश्व की दूसरें क्रमांक की अर्थव्यवस्था बने चीन को इस स्थान तक पहुंचाने वाला आर्थिक प्रगति का मॉडेल अब खत्म हुआ है, ऐसा दावा अमरीका के शीर्ष अखबार ने किया है। करीबन चार दशकों से आर्थिक विकास की गति बरकरार रखने वाली चीनी अर्थव्यवस्था को विभिन्न संकटों से घेरा है और पिछले कुछ महीनों से सामने आए आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। चीन की अर्थव्यवस्था की रिड़ होने वाले निर्यात से रिअल इस्टेट, अंदरुनि मांग, विदेशी निवेश के क्षेत्र में गिरावट होती दिख रही है। साथ ही चीन के युआन का मुल्य और शेअर बाज़ार भी भारी गिरावट के साथ नीचले स्तर तक पहुंचा है।

चीन को महाशक्ति होने की ओर बढ़ा रहा आर्थिक प्रगति का ‘मॉडेल’ खत्म हुआ है - अमरीका के शीर्ष अखबार का दावाअमरीका के शीर्ष अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने ‘चाइनाज ४०-इयर बूम इज ओवर’ नामक जारी किए लेख में चीन का आर्थिक ढ़ांचा ढ़हना शुरू होने का दावा किया गया है। आर्थिक विशेषज्ञ, विश्लेषक एवं अभ्यास गुटों ने जारी किए विभिन्न रपट एवं बयानों का दाखिला देकर यह वर्णित अखबार ने यह दावा किया है। चीन की अर्थव्यवस्था को अविकसित स्थिति से प्रगति की ओर ले जाने में बुनियादी सुविधाओं में हुआ निवेश एवं निर्यात प्रधान उत्पादों के निर्माण ने अहम भूमिका निभाने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।

बुनियादी सुविधाओं में निवेश करने के नाम से चीनी हुकूमत ने पिछले चार दशकों में हजारों राजमार्ग, हवाई अड्डे, पुल एवं रेल मार्ग का निर्माण किया है। इसके अलावा चीन में करोड़ों घरों का भी निर्माण किया गया है। कुछ साल पहले जारी हुए रपट के अनुसार चीन में बनाए कुल १० करोड़ से भी अधिक घर खाली हैं। हैनान प्रांत के ‘डान्झोऊ’ क्षेत्र में ५५ लाख डॉलर लागत से बनाए ‘हाय-स्पीड रेल्वे स्टेशन का उद्घाटन ही नहीं किया गया है। चीन को महाशक्ति होने की ओर बढ़ा रहा आर्थिक प्रगति का ‘मॉडेल’ खत्म हुआ है - अमरीका के शीर्ष अखबार का दावाइस क्षेत्र में यात्री ना होने की वजह प्रशासन ने बताई है। चीन के आर्थिक नज़रिये से पिछड़े प्रांत गुईझोऊ में कुल ११ हवाई अड्डों का निर्माण किया गया है, फिर भी कुछ हवाई अड्डों पर अभी तक एक भी विमान उतरा तक नहीं है।

बुनियादी सुविधाओं का निर्माण आर्थिक विकास को गति प्रदान करता है, फिर भी उसकी भी एक मर्यादा होती है। यह चीन की हुकूमत भूल गई है और इसका बुरा असर अब सामने आना शुरू हुआ है। चीन के अधिकांश प्रांत के स्थानिय प्रशासन भारी कर्ज के बोजे में हैं और रोजाना का कारोबार चलाने के लिए भी केंद्रीय हुकूमत से आर्थिक सहायता पाने के लिए मज़बूर हैं। कर्ज उठाकर सुविधाओं का निर्माण करने की कोशिश में प्रांतिक प्रशासनों ने उठाए कर्ज की मात्रा २०० प्रतिशत तक पहुंची है। प्रांतिय प्रशासन एवं सरकारी कंपनियों के कर्ज का आंकड़ा ९ ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा है।

दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर की भूरातनीतिक एवं राजनीतिक गणित तेज़ी से बदल रहे हैं और चीन एवं पश्चिमी देशों के बीच बनी दरार अधिक चौड़ी हो रही है। चीन को महाशक्ति होने की ओर बढ़ा रहा आर्थिक प्रगति का ‘मॉडेल’ खत्म हुआ है - अमरीका के शीर्ष अखबार का दावाअमरीका और यूरोप चीन के निर्यात के प्रमुख केंद्र हैं और उनकी मांग कम होने से विश्व की फैक्टरी बने चीन को बड़े झटके महसूस होने लगे हैं। निर्यात पर जोर देने से चीन की हुकूमत ने अंदरुनि मांग पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। निर्यात बढ़ने से चीन की आर्थिक प्रगति हुई है, फिर भी आम चीनी नागरिकों की आय उस मात्रा में बढ़ नहीं सकी है। इस वजह से चीन के उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ रही थी तब चीन में इन सामानों की मांग बढ़ नहीं सकी। निर्यात कम होने के बाद अब कही चीन की हुकूमत को इन समस्याओं का अहसास होने लगा है।

इसका असर अर्थव्यवस्था पर होना शुरू हुआ है। कुछ दिन पहले ही चीन की अर्थव्यवस्था को ‘डिफ्लेशन’ से नुकसान पहुंचने की बात देखी गई थी। यह घटना चीनी अर्थव्यवस्था को जापान की तरह ‘लॉस्ट डिकेड’ के भंवर में धकेल सकती है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दिया है। कुछ हफ्ते पहले ब्रिटेन के एक अखबार ने चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग द्वारा दुनिया पर आर्थिक वर्चस्व स्थापित करने के लिए बनाई योजना नाकाम होने का दावा किया था। इसके बाद अब अमरिकी अखबार ने चीन का आर्थिक मॉडेल नाकाम होने का अहसास कराया है और इस वजह से चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू होने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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