वायुसेना को लड़ाकू विमानों की कमी महसूस नहीं होने देंगे – वायुसेनाप्रमुख की गवाही

नई दिल्ली – वायुसेना के बेड़े में कई दशकों से तैनात लड़ाकू विमान अब सेवानिवृत्ति के करीब पहुँचे हैं। उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और इससे वायुसेना को लड़ाकू विमानों की कमी महसूस होगी, ऐसी चिंता जतायी जा रही है। लेकिन, वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन की संख्या ३१ से घटने नहीं देंगे, ऐसी गवाही वायुसेनाप्रमुख एअर चीफ मार्शल व्ही.आर.चौधरी ने दी। लद्दाख के एलएसी के करीबी क्षेत्र में चीन ने अपने वायुसेना की तैनाती बढ़ाने की खबरें प्राप्त हो रही हैं और इसी बीच भारतीय वायुसेना की गवाही अहमियत रखती है।

लद्दाख के एलएसी के करीब अपनी वायुसेना की तैनाती में बड़ी बढ़ोतरी की है। यहां पर तैनात विमानों की दोगुनी संख्या में चीन ने नए लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। साथ ही यहां के हवाई क्षेत्र के करीब चीन के विमानों ने उड़ान भरने की खबरें सामने आयी थीं। इस वजह से अपनी वायुसेना की क्षमता बढ़ाकर चीन इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढाने की मंशा रखता है, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल व्ही.आर.चौधरी ने वायुसेना की क्षमता पर अहम बयान किया है। कुछ भी हो वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन की संख्या ३१ से कम नहीं होने देंगे, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने कहा। साथ ही आनेवाले दिनों में वायुसेना के लिए ११४ लड़ाकू विमानों की खरीद होगी, यह जानकारी भी वायुसेनाप्रमुख ने साझा की। इनमें से ९६ विमान ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश में ही बनेंगे। इनमें से अन्य १८ विमान विदेश में बनेंगे, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने कहा।

फ्रान्स और अमरिकी कंपनियों के साथ भारत इसी मुद्दे पर चर्चा कर रहा है, ऐसा कहा जाता है। तकनीक का हस्तांतरण एवं मेक इन इंडिया योजना के तहत इन विमानों का भारत में निर्माण करने की पुख्ता भूमिका भारत ने अपनायी है। शुरू के दिनों में इससे इन्कार करती रहीं कंपनियाँ अब भारत की इस माँग का स्वीकार करने के लिए तैयार होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इनमें अमरीका की बोईंग कंपनी का समावेश होने की भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा फ्रान्स की रफायल कंपनी इस प्रक्रिया में सबसे आगे है, ऐसा कुछ लोगों का कहना है।

वायुसेना के साथ ही नौसेना के लिए विमान वाहक युद्धपोत के लिए आवश्यक लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया भी जारी है। इसके लिए फ्रान्स की रफायल कंपनी के विमानों का परीक्षण किया गया और फिलहाल अमरिकी बोईंग कंपनी के विमानों के परीक्षण जारी हैं। वायुसेना के लिए विमानों की खरीद करते समय भारतीय नौसेना के लिए आवश्यक विमानों के ठेके पर भी विश्वभर की प्रमुख कंपनियों का ध्यान आकर्षित हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.