देश के ‘कोयला’ क्षेत्र में चीन का निवेष रोकने का अहम निर्णय हुआ

नई दिल्ली – कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया में चीन की कंपनियों को प्रवेश करना संभव ना हो, इसलिए सरकार ने नियमों में बदलाव किए हैं। इसके अनुसार पड़ोसी देशों की हरएक कंपनी को भारतीय कोयला क्षेत्र में निवेश करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। दो महीने पहले सरकार ने देश का कोयला क्षेत्र नीजि निवेशकों के लिए खुला किया था। इस क्षेत्र में विदेशी निवेश आकर्षित हो, इसलिए और देश में कोयला उत्पाद बढ़ाने के लिए कोयले की आयात बंद करने की दिशा में कदम उठाने का निर्णय सरकार ने लिया था। लेकिन, लद्दाख के तनाव की पृष्ठभूमि पर सरकार ने चीन के लिए भारतीय बाज़ार में निवेश करने के लिए खोला गया और एक दरवाज़ा बंद किया है।

Coal-Sectorकोयला खदान के लिए जारी की जा रही निविदा में केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने नियमों की सूचि तैयार की है। कोयला क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश को मंजूरी प्राप्त हुई है, लेकिन पड़ोसी देशों से होनेवाले निवेश के प्रस्तावों के लिए ‘ऑटोमेटिक रूट’ बंद किया गया है। इसका मतलब है कि पड़ोसी देशों की कंपनियां और उन्होंने निवेश होनेवाली कंपनियों को इस नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने की मंजूरी देने से पहले सरकार इन प्रस्तावों की जाँच करेगी।

देश में रणनीतिक स्तर पर अहम समझे जा रहे क्षेत्रों में अब तक नीजि निवेश के लिए अनुमति नहीं थी। लेकिन, अधिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने पिछले कुछ दिनों में बड़े निर्णय लिए है। इसमें कोयला क्षेत्र 100% नीजि क्षेत्र के निवेश के लिए खुला करने का अहम निर्णय हुआ था। लेकिन, चीन की कंपनियां इस नीति का गलत लाभ ना उठाएं, इसलिए पड़ोसी देशों के लिए नियम सख़्त किए गए है। कोयला खदानों की लिलाव प्रकिया के पहले चरण में 17 अरब टन कोयला खनन करने के लिए 41 खदानों की नीलामी होगी और यह खदानें छत्तीसगढ, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उडीसा में मौजूद हैं।

इसी बीच भारत ने चीन के विबो और वायडू इन नामांकित एप्स को गुगल और ऐपल प्ले स्टोर से हटाने के आदेश दिए हैं।

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