चीन में जारी स्थानांतरण सामाजिक असंतोष का कारण बनेगा – कनाड़ा के अध्ययन मंड़ल का दावा

china-canadian-analyst-1टोरांटो/बीजिंग – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने ग्रामिण इलाकों से शहरों में स्थानांतरण कर रहे नागरिकों के लिए अधिक सख्त नियम जारी किए हैं। यह नए नियम ग्रामिण इलाकों के करोड़ो नागरिकों की नाराज़गी का कारण बनेंगे और इससे चीन में सामाजिक असंतोष की पृष्ठभूमि तैयार होगी, ऐसा दावा कनाड़ा के अध्ययन मंड़ल ने किया है। कुछ दिन पहले ऐसी खबरें सामने आयी थीं कि, चीन में बिजली की किल्लत और ‘रियल एस्टेट’ क्षेत्र का संकट जनता में नाराज़गी बढ़ा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर प्राप्त हुई नई रपट चीन के शासकों की चिंता बढ़ा सकती है।

कनाड़ा के ‘इंटरनैशनल फोरम फॉर राईटस्‌ ऐण्ड सिक्युरिटी’ (आयएफएफआरएएस) नामक अध्ययन मंड़ल ने हाल ही में एक रपट जारी की है। ‘चायनाज हुकोउ ब्रुइंग सोशल अनरेस्ट अमंग रुरल मिलियन्स’ नामक इस रपट में चीन की हुकूमत ने ग्रामिण इलाकों से शहरों में स्थानांतरण करनेवाले नागरिकों के लिए जारी किए सख्त नियमों का जिक्र किया गया है। राजधानी बीजिंग, शांघाय, झांगझाऊ समेत अन्य ‘मेगासिटीज्‌’ में स्थानांतरण कर रहे लोगों को रोकने की योजना की बात ‘आयएफएफआरएएस’ ने कही है।

china-canadian-analyst-2चीन में वर्ष १९५० से ‘हुकोउ’ नामक परवाना यंत्रणा मौजूद है। गांव से किसी नागरिक को शहर जाकर बसना हो तो उसके लिए यह परवाना प्राप्त करना अनिवार्य है। परवाना प्राप्त ना होने पर जुर्माना, अतिरिक्त कर एवं सामाजिक सुविधा प्रदान करने से इन्कार करने जैसी सख्त कार्रवाई की जाती है। फिर भी हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग ग्रामिण इलाकों से शहरों में जाकर बसने की बात सामने आयी है।

कुछ महीने पहले चीन के झेंगझाऊ शहर में फैली बाढ़ ने चीनी यंत्रणा की नाकामी दिखाई थी। इससे चीन की हुकूमत बड़े शहरों की जनसंख्या नियंत्रण में रखने के लिए अलग अलग प्रावधान कर रही है और स्थानांतरण करनेवालों के लिए जारी नए नियम इन्हीं प्रावधानों का हिस्सा बताए जा रहे हैं। नए नियमों में स्थानीय प्रशासन को अतिरिक्त अधिकार प्रदान किए गए हैं। साथ ही राजधानी बीजिंग जैसे बड़े शहरों में बसनेवाले नागरिकों को ‘मास्टर्स डिग्री’ और शहर के विकास के लिए सहायक क्षेत्र के कार्यों में कुशलता अनिवार्य की गई है।

china-canadian-analyst-3लेकिन, सिर्फ नए निकष ही समस्या नहीं हैं बल्कि स्थानीय प्रशासन द्वारा स्थानांतरितों के मुद्दे पर अपनाई अपारदर्शी भूमिका भी ग्रामिण इलाकों से बसनेवाले नागरिकों के लिए मुश्‍किल साबित हो रही है, इस पर कनाड़ा के अध्ययन मंड़ल ने ध्यान आकर्षित किया है। ग्रामिण इलाकों से शहरों में स्थानांतरण करनेवालों की संख्या लगभग ५० करोड़ होने की बात बीते वर्ष की एक रपट से सामने आयी थी। इस पर गौर करें तो चीन में हर वर्ष ग्रामिण इलाकों से शहरों में स्थानांतरण करनेवालों की संख्या ज्ञात होगी, इस पर ‘आयएफएफआरएएस’ ने ध्यान आकर्षित किया है।

चीन के ग्रामिण इलाकों में अभी भी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध ना होने से शहरों की ओर जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन, चीन की हुकूमत अब इन्हें भी रोकने की कोशिश कर रही है। इस वजह से ग्रामिण इलाकों में कम्युनिस्ट हुकूमत के खिलाफ नाराज़गी की भावना बढ़ रही है, यह मुद्दा कनाड़ा के अध्ययन मंड़ल ने दर्ज़ किया है। यह दावा पेकिंग युनिवर्सिटी के दो प्राध्यापकों की रपट में भी दर्ज़ किया गया है। इन प्राध्यापकों ने चीनी हुकूमत को ‘हुकोउ’ को लेकर पारदर्शी रहने की सलाह दी है, ऐसा वर्णित अध्ययन मंड़ल ने कहा है।

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