अमरिकी डॉलर के विरोध में शुरू अभियान में सोने की भूमिका अहम – अमरिकी निवेशक और आर्थिक विशेषज्ञ रुचिर शर्मा

वॉशिंग्टन – ‘दुनिया भर में निवेश के लिए इस्तेमाल होते रहे सबसे पुराने एवं पारंपरिक संपत्ति के तौर पर सोने की पहचान है। विश्व की कई सेंट्रल बैंक फिलहाल इसी सोने को अमरिकी डॉलर के खिलाफ विद्रोह के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे पहले डॉलर और सोना यह दोनों ही निवेश के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प जाने जाते थे। लेकिन, अब सोने को ज्यादा सुरक्षित समझा जा रहा है’, यह दावा अमरिकी निवेशक और आर्थिक विशेषज्ञ रुचिर शर्मा ने किया। अमरीका और सहयोग देशों द्वारा प्रतिबंधों का हथियार की तरह हो रहा इस्तेमाल ही सोने की ओर झुकाव बढ़ने का प्रमुख कारण होने के मुद्दे पर शर्मा ने ध्यान आकर्षित किया।  

अमरिकी डॉलररुचिर शर्मा अमरीका के ‘रॉकफेलर कैपिटल मैनेजमेंट’ कंपनी के प्रमुख हैं और इससे पहले उन्होंने प्रमुख वित्तीय संस्था ‘मॉर्गन स्टैन्ले’ में भी अहम भूमिका निभाई थी। कुछ साल पहले उन्होंने ‘ब्रेकआउट कैपिटल’ निवेश कंपनी का गठन किया। ‘टॉप ग्लोबल थिंकर्स’ की सूची में शामिल शर्मा ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर चार किताबें लिखी हैं और वह ‘उभरती अर्थव्यवस्था’ विषय के विशेषज्ञ जाने जाते है। 

अमरिकी डॉलरकुछ दिन पहले शीर्ष ‘फाइनान्शियल टाईम्स’ अखबार में लिखे लेख में उन्होंने यह दावा किया है कि, अब सोने का इस्तेमाल अमरिकी डॉलर के खिलाफ हो रहा हैं। ‘पिछले छह महीनों में सोने की कीमत 20 प्रतिशत बढ़ी है। सोने की मांग बढ़ने के पीछे छोटे-बड़े निवेशक नहीं हैं। विश्व के सेंट्रल बैंक सोने के सबसे बड़े खरीदार बने हैं। इन बैंकों ने अपने भंड़ार में डॉलर का हिस्सा कम करके सुरक्षित विकल्प की तलाश शुरू की है’, इसका अहसास शर्मा ने इस लेख से कराया है। 

अमरिकी डॉलर‘सोने की खरीद के लिए बढ़ रहे उत्साह के कारण सोने की कीमते विक्रमी स्तर के करीब जा पहुंची हैं। ब्याजदरों पर आधारित अनुमानों का विचार करें तो सोने की कीमतों में देखा गया उछाल उम्मीद से 50 प्रतिशत अधिक देखा गया है। कोई तो नई बात है, जो सोने की बढ़ती कीमतों को बढ़ावा दे रही हैं’, इन शब्दों में शर्मा ने सोने के जारी उछाल पर अपनी भूमिका रखी।

वैश्विक आरक्षित मुद्रा के तौर पर अमरिकी डॉलर के लिए अन्य विकल्प नहीं हैं, यह फिजूल आत्मविश्वास अमरीका के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, ऐसी चेतावनी भी रुचिर शर्मा ने दी। अमरिकी डॉलर के लिए ‘लास्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’ चीन की हुकूमत होने की बात शर्मा ने कही। ‘डॉलर को सोने और डिजिटल करन्सी से चुनौती प्राप्त हो रही हैं और ऐसे में इसका भरोसा बढ़ाने की कोशिश करनी होगी। अमरीका ने महाशक्ति के तौर अपने स्थान को विचार में बनाए रखना टालना होगा’, ऐसी सलाह भी ‘रॉकफेलर कैपिटल मैनेजमेंट’ के प्रमुख ने दी है।

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