युरोपीय महासंघ का विभाजन रोकने के लिए जर्मनी-फ्रान्स-इटली एकसाथ

ब्रुसेल्स/रोम, दि. २१ (वृत्तसंस्था) – निर्वासितों के जत़्थे और ‘ब्रेक्झिट’ की वजह से युरोपीय महासंघ का संभावित विभाजन रोकने के लिए जर्मनी, फ्रान्स और इटली एक हुए हैं| सोमवार को इन देशों के प्रमुख नेताओं की विशेष बैठक होनेवाली है, जिसमें महासंघ को बचाने के लिए निश्‍चित योजना तय करने पर ज़ोर दिया जायेगा, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिए हैं| ‘ब्रेक्झिट’ नतीजों के बाद इन तीन देशों के नेता एकसाथ आने की यह दुसरी घटना है| अगले महीने में ब्रातिस्लाव्हा में युरोपीय महासंघ की महत्त्वपूर्ण बैठक होनेवाली है, यह बैठक ब्रिटन के बग़ैर होनेवाली पहली बड़ी बैठक है|

युरोपीय महासंघ‘ब्रेक्झिट’ के नतीजों पर तुरंत ली गई बैठक में युरोपिय महासंघ के प्रमुख सदस्य देशों ने, जब तक ब्रिटीश सरकार द्वारा युरोपीय महासंघ के ‘आर्टिकल ५०’ के तहत, युरोपीय महासंघ छोड़ने के लिए अधिकृत अ़र्जी नहीं की जायेगी, तब तक ब्रिटन से किसी भी प्रकार की अनौपचारिक चर्चा अथवा समझौते नहीं होंगे, ऐसी कड़ी चेतावनी दी थी| जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल की पहल से बर्लिन में हुई बैठक में, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष फ्रँकोईस हॉलांदे और इटली के प्रधानमंत्री मॅटिओ रेन्झी उपस्थित थे| लेकिन ब्रिटन में हुए नेतृत्त्व बदल और अन्य घटनाओं की पृष्ठभूमि पर महासंघ का ‘ब्रेक्झिट’ के बारे में रहनेवाला रवैय्या बदला हुआ दिखाई दे रहा है|

brexit-‘ब्रेक्झिट’ की वजह से ब्रिटन और युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों को बहुत बड़ा झटका लगा है, यह बात अभी तक सामने आई नहीं है| लेकिन ‘ब्रेक्झिट’ मामलें में चेतावनी देनेवाले जानकारों के साथ ही, आंतर्रराष्ट्रीय गुटों ने, ‘ब्रेक्झिट’ की वजह से निर्माण होनेवाला दीर्घकालीन ख़तरा बहुत बड़ा होगा और कुछ समय के बाद इसका असर महसूस होने की शुरुआत होगी, ऐसा स्पष्ट किया था| हालाँकि आर्थिक और अन्य स्तरों पर के नतीजे दिखायी देने में समय लगेगा, फिर भी महासंघ की एकता को धक्के लगने शुरू हुए हैं|

‘बेक्झिट’ के बाद युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों में विभिन्न मुद्दों से ‘एक्झिट’ की माँग ते़ज़ हो गई है| साथ ही, महासंघ की एकाधिकारशाही और नियंत्रण के खिलाफ़ आवाज़ उठानेवाले राजनीतिक गुटों को तथा दलों को बढ़ता समर्थन मिलने लगा है| ये दल और गुट संबंधित देशों की राजनीति में सत्तास्थान प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और यदि ऐसा हुआ, तो महासंघ में दरार अटल मानी जा रही है|

महासंघ के संस्थापक सदस्य देश रहनेवाले इटली और नेदरलँड इन जैसे देशों में भी इस प्रकार की गतिविधियाँ शुरू होने के कारण एकता पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं| साथ ही, दूसरी तरफ़ निर्वासितों और आतंकवादी हमलों का मसला युरोपीय महासंघ के सामने नयी चुनौती बनकर खड़ा हुआ है| मध्य और पूर्व युरोप के कई देश इस मुद्दे पर महासंघ से खुलेआम विरोध की भूमिका ले रहे होकर, हंगेरी जैसे देशों ने जनमतसंग्रह लेने का फ़ैसला किया है| हंगेरी की तरह ही, महासंघ के अन्य पाँच-छ: सदस्य देश जनमतसंग्रह लेने की तैयारी में हैं, ऐसे संकेत मिल रहे हैं|

युरोपीय महासंघ पिछले कई सालों से, सदस्य देशों पर अधिक नियंत्रण पाने के लिए और महासंघ को एक ‘सुपरस्टेट’ में परिवर्तित करने के लिए कोशिशें कर रहा है, ऐसे आरोप किये गये थे| सदस्य देशों में प्रस्तावित जनमतसंग्रह की प्रक्रिया इन कोशिशों को चुनौती देनेवाली साबित हो रही होकर, महासंघ को इस बारे में ठोस भूमिका और नीति अपनाना ज़रूरी बन गया है| इटली में तीन प्रमुख सदस्य देशों के नेताओं की यह बैठक इसके लिए महत्त्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा, ऐसा माना जा रहा है|

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