यूरोप में बड़े पैमाने पर किरणोत्सर्ग

लंडन: मध्य और पश्चिम यूरोप में बड़े पैमाने पर किरणोंत्सर्गी मुलद्रव्य मिले है और इन किरणोत्सर्ग का स्त्रोत नहीं मिला है जिससे वैज्ञानिक दुविधा में पड़ गए है। पिछले दस दिनों से जर्मनी छः ठिकानों के साथ फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रिया और स्वित्झर्लंड इन देशों में किरणोत्सर्ग बढने का दावा वैज्ञानिक कर रहे है।

२९ सितम्बर को किरणोत्सर्ग होने की बात जर्मन वैज्ञानिकों के ध्यान में आई। सबसे पहले परमाणु योजना की लीकेज के कारण किरणोत्सर्ग होने का डर व्यक्त किया जा रहा था। लेकिन अधिक जाँच करने के बाद यह किरणोत्सर्ग परमाणु दुर्घटना की वजह से नहीं हुआ है, यह स्पष्ट हुआ।

किरणोत्सर्गइस मामले में अधिक जाँच करने के बाद किरणोत्सर्ग में मिले हुए कण ‘रुथेनियम-१०६’ मुलद्रव्य के है, यह स्पष्ट हुआ है। आखों में बनी गांठ निकालने के लिए ‘रुथेनियम-१०६’ का इस्तेमाल किया जाता है। उसीके साथ उपग्रहों को उर्जा की आपूर्ति करने वाले ‘रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर्स’ (आरटीजी) में भी इस मुलद्रव्य का इस्तेमाल होता है। हवा में मिले ‘रुथेनियम-१०६’ का प्रमाण श्वसन के लिए घातक न होने का दावा जर्मन वैज्ञानिकों ने किया है। लेकिन इस किरणोत्सर्ग का उचित कारण स्पष्ट नहीं हुआ है।

पूर्व जर्मनी में ‘रुथेनियम-१०६’ मिलाने के बाद जर्मनी के पडौस में स्थित फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली, स्वित्झर्लंड इन देशों में भी इसका प्रमाण बढने की बात सामने आई है। जर्मनी के पूर्व में करीब १००० किलोमीटर दूरी से यह किरणोत्सर्ग होने का दावा वैज्ञानिक कर रहे है। युक्रेन, बेलारूस, लिथुनिया इन पूर्वी यूरोपीय देशों से किरणोत्सर्ग होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। तो कुछ विश्लेषकों ने इसके लिए रशिया जिम्मेदार होने का आरोप किया है। लेकिन इस बारे में जर्मन वैज्ञानिक अब तक किसी भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचे है।

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