शांति की भाषा कर रहें तुर्की के खिलाफ फ्रान्स की आलोचना

पैरिस/अंकारा – ‘तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन बीते कुछ दिनों से शांति की भाषा कर रहे हैं। लेकिन, ऐसी भाषा के साथ फिजूल बयानबाजी काम की नहीं है। तुर्की ने इसके अनुरूप की हुई कृती भी दिखाई देनी होगी’, ऐसें कड़े शब्दों में फ्रान्स के विदेशमंत्री जीन-य्वेस ले द्रिआन ने तुर्की को फटकार लगाई हैं। अगले महीने में तुर्की के मुद्दे पर युरोपिय महासंघ की बैठक हो रही है और इसमें तुर्की पर लगाए जा रहें प्रतिबंधों पर निर्णय होना है। इस बैठक की पृष्ठभूमि पर, तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने यकायक अपनी भाषा सौम्य करके, तुर्की और युरोप के सहयोग से संबंधित दावे करना शुरू किया है।

‘लीबिया, इराक, भूमध्य समुद्री क्षेत्र एवं नागोर्नो-कैराबख में जारी तुर्की की गतिविधियाँ आन्तर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करनेवालीं हैं। तुर्की ने अपनी विस्तारवादी नीति को गति प्रदान की है और हमारे बीच काफी मतभेद हैं। बीते महीने में हुई महासंघ की बैठक में तुर्की की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा हुई है और जल्द ही तुर्की पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित निर्णय होगा’, यह चेतावनी फ्रान्स के विदेशमंत्री जीन-य्वेस ले द्रिआन ने दी है।

फ्रान्स और तुर्की के बीच बीते कुछ वर्षों से अलग अलग मुद्दों पर संघर्ष हो रहा हैं। लेकिन, इस वर्ष में इन दो देशों के विवाद में काफी बढ़ोतरी हुई हैं। युरोप में घुसपैठ कर रहें शरणार्थी, कट्टरपंथी, लीबिया, ग्रीस और आर्मेनिया-अज़रबैजान का युद्ध, इन मुद्दों को लेकर दोनों देशों ने एक-दूसरें के खिलाफ भूमिका अपनाई थी। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन के खिलाफ अवमान करनेवाले शब्दों में आलोचना करके, उन्हें मानसिक इलाज़ की आवश्‍यकता होने का बयान किया था। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के इस बयान के बाद तीव्र नाराज़गी व्यक्त करके, फ्रान्स ने तुर्की में नियुक्त अपने राजदूत को वापस बुलाया था।

इसके बाद दोनों देशों में बना तनाव खत्म होने के कोई भी आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं और फ्रान्स ने तुर्की को युरोपिय महासंघ की सदस्यता से हमेशा के लिए दूर रखने की गतिविधियाँ शुरू की हैं। ग्रीस एवं सायप्रस जैसें सदस्य देशों के खिलाफ तुर्की की जारी गतिविधियों का मुद्दा फ्रान्स ने बड़ी आक्रामकता से रखना शुरू किया है। इसके लिए अन्य युरोपिय देशों से लगातार चर्चा भी हो रही है। कुछ दिन पहले फ्रान्स के विदेशमंत्री ने, तुर्की को युरोपिय महासंघ के ‘कस्टम्स युनियन’ से निकाल बाहर करने की खुली माँग भी की थी।

इस पृष्ठभूमि पर, अगले महीने में हो रही युरोपिय महासंघ की बैठक तुर्की को लेकर निर्णायक साबित होगी, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस बात का अहसास होने पर, तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने यकायक अपना स्वर सौम्य किया हुआ बीते दो दिनों से दिखाई दिया है। तुर्की को युरोपिय महासंघ एवं सदस्य देशों के साथ, मित्रता से भरें सहयोग की उम्मीद है, यह बयान तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने किया है। तुर्की को महासंघ की सदस्यता प्राप्त करनी है और इसके लिए महासंघ तेज़ कदम बढ़ाएँ, यह उम्मीद भी उन्होंने व्यक्त की है।

तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के इस बयान पर फ्रेंच विदेशमंत्री ने कड़े शब्दों में फटकार लगाई हैं। एर्दोगन की बयानबाजी खोखली है, यह आरोप करके विदेशमंत्री ले द्रिआन ने, तुर्की ने लीबिया, भूमध्य समुद्री क्षेत्र एवं नागोर्नो-कैराबख में शुरू की हुई दखलअंदाज़ी की ओर ग़ौर फ़रमाया है। सहयोग की भाषा कर रहा तुर्की इसपर क्या गतिविधियाँ करता है, इस ओर युरोप का ध्यान है, ऐसा फ्रेंच विदेशमंत्री ने जताया है।

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