संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में, फ्रान्स कश्मीर के मसले पर चीन को खेल करने नहीं देगा – फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष के सलाहकार ने यक़ीन दिलाया

नवी दिल्ली – संयुक्त राष्ट्रसंघ का स्थायी सदस्य होनेवाले चीन को कश्मीर के मसले पर खेल करने नहीं देंगे, ऐसी चेतावनी फ्रान्स ने दी है। भारत के दौरे पर आये, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार इमॅन्युअल बन ने एक लेक्चर के दौरान फ्रान्स की भूमिका स्पष्ट की। उसी समय, लद्दाख में चीन की घुसपैंठ की कोशिशों पर फ्रान्स ने दृढ़तापूर्वक भारत का समर्थन किया था, इसकी भी याद बन ने करा दी है। आनेवाले समय में भारत और फ्रान्स का रक्षाविषयक सहयोग मज़बूत होनेवाला है, ऐसा बताकर, भारत-अमरीका-ऑस्ट्रेलिया तथा जापान इन देशों के साथ फ्रान्स की नौसेना युद्धअभ्यास करेगी, ऐसी महत्त्वपूर्ण घोषणा इमॅन्युअल बन ने की।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और इमॅन्युअल बन के बीच हाल ही में चर्चा संपन्न हुई। इस चर्चा का पूरा विवरण भी भी सामनी आया नहीं है। लेकिन भारत ने अमरीका के साथ ‘बेका’ समझौता किया था, उसी प्रकार फ्रान्स के साथ भी भारत समझौता करने की तैयारी में होने की ख़बरें सामने आयीं हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ दोनों देशों को मिलेगा। ‘फ्रान्स अँड इंडिया पार्टनर्स फॉर स्टेबल अँड प्रॉस्परस इंडो-पैसिफिक’ इस विषय पर एक अभ्यासगुट ने आयोजित किये परिसंवाद में, अपने लेक्चर में इमॅन्युअल बन ने फ्रान्स की भूमिका स्पष्ट रूप में रखी। कश्मीर के मसले पर फ्रान्स ने भारत का पक्ष लिया है और आनेवाले समय में संयुक्त राष्ट्रसंघ की पेचींदा प्रक्रियाओं का खेल करके, कश्मीर के मसले पर भारत पर दबाव बनाने की चीन की कोशिशों को फ्रान्स नाक़ाम करेगा, ऐसा इस समय बन ने स्पष्ट किया।

‘कश्मीर अथवा अन्य मुद्दों पर फ्रान्स ने हमेशा ही भारत का साथ दिया है। इतना ही नहीं, बल्कि हिमालय के क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के कारण निर्माण हुए तनाव का भी फ्रान्स को एहसास है’, ऐसा बताकर, इस मुद्दे पर भी हमारे देश ने भारत के पक्ष में खड़ा रहने की भूमिका अपनायी थी, ऐसा बन ने कहा। इस मुद्दे पर फ्रान्स ने अधिकृत स्तर पर चीन को खरी खरी सुनानेवाले बयान किये थे, इसकी मिसाल भी बन ने दी। ‘हमें संघर्ष अपेक्षित नहीं है। पैरिस में बैठकर ऐसे बयान करना आसान होता है। लेकिन जब हिमालय के क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है और पाकिस्तान जैसे देश के पड़ोस का लाभ मिला है, तब ऐसे बयान करना मुश्किल होता है, यह मैं जानता हूँ, ऐसा ताना बन ने मारा।

ऐसा होने के बावजूद फ्रान्स अपनी आन्तर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए पहल कर रहा है, इसपर बन ने ग़ौर फ़रमाया। ‘तैवान की खाड़ी में गश्ती करनेवाला फ्रान्स एकमात्र युरोपिय देश है। फ्रान्स की नौसेना ने यह गश्ती किसीको उक़साने के लिए नहीं की है, बल्कि आन्तर्राष्ट्रीय क़ानून का पालन सबके लिए बंधनकारक है, इसका एहसास कराने के लिए फ्रान्स ने यह कार्रवाई की थी’, ऐसा इमॅन्युअल बन ने कहा।

आनेवाले समय में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए फ्रान्स भारत के साथ सहयोग करेगा। साथ ही, ‘क्वाड’ देशों के साथ फ्रान्स का नौसेना अभ्यास भी संपन्न होगा, ऐसी लक्षवेधी घोषणा बन ने की है। इसी बीच, भारत और फ्रान्स का लष्करी सहयोग अधिक से अधिक विकसित हो रहा है और भविष्य में भारत की रक्षाविषयक ज़रूरतें पूरी करने के लिए फ्रान्स ने विशेष उत्सुकता दर्शायी दिख रही है। भारत को और ३६ रफायल विमानों की सप्लाई करने का प्रस्ताव फ्रान्स ने दिया है। इतना ही नहीं, बल्कि अगर भारत ने अपने रक्षाबलों के लिए बड़े पैमाने पर रफायल विमानों की ख़रीद की, तो रफायल का निर्माण भारत में करने की तैयारी भी फ्रान्स ने दर्शायी है, ऐसा कहा जाता है। इसके लिए रफायल के तंत्रज्ञान का हस्तांतरण करने के लिए भी फ्रान्स तैयार होने की चर्चा है।

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