चीन के विस्तारवाद से लड़ते समय लोकतांत्रिक भारत का अनुकरण करें – चीन के पूर्व छात्र नेता की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील

नई दिल्ली/बीजिंग – चीन की विस्तारवादी नीति का मुकाबला करने के साथ भारत ने जो कदम उठाए हैं उसी का अनुकरण विश्‍व को करना होगा, ऐसा आवाहन चीन के पूर्व छात्र नेता ने किया है। तीन दशक पहले चीन के तिआनान मेन स्क्वेअर में हुए छात्राओं के प्रदर्शनों का नेतृत्व करनेवाले झोउ फेंगसुओ ने एक वेबिनार को संबोधित करते समय यह सलाह दी। इस दौरान फेंगसुओ ने भारत की सराहना करने के साथ अगले दौर में भी चीन के विरोध में लोकतांत्रिक भारत की भूमिका बड़ी अहम रहेगी, यह दावा भी किया।

India-china-Democracyभारत स्थित ‘लॉ ऐण्ड सोसायटी अलायन्स और डिफेन्स डॉट कैपिटल’ नामक अभ्यास गुट ने हाल ही में एक वेबिनार का आयोजन किया था। ‘एम्परर हैज नो क्लोथस्‌: चायना अंडर शी जिनपिंग’ नामक इस वेबिनार में चीन के पूर्व छात्र नेता फेंगसुओ, यूरोप स्थित तिब्बत के प्रतिनिधि थिनले चुक्की और पत्रकार आदित्य राज कौल शामिल हुए थे। इस दौरान फेंगसुओ ने चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी का ज़िक्र ‘मॉन्सटर’ ऐसा करके उसकी महत्वाकांक्षा पूरे विश्‍व पर कब्ज़ा करने की है, यह आरोप भी किया।

राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को दूसरा माओ होने की इच्छा हैं और वे चीन का विस्तार करने की बड़ी कोशिश कर रहे हैं। इसी कारण भारत की भूमिका बड़ी अहम साबित होती है। भारत को चीन की एकतंत्री तानाशाही का मुकाबला करना पड़ रहा है और जिनपिंग के चीन को रोकने के लिए तीन मुद्दे अहम साबित होंगे। भारत ने तैवान, हाँगकाँग का सुरक्षा कानून और इंटरनेट क्षेत्र में चीन की ‘फायरवॉल’ के मुद्दे पर आक्रामक भूमिका अपनाकर इनके खिलाफ़ जारी लड़ाई को बल देना आवश्‍यक है, ऐसा आवाहन फेंगसुओ ने किया। तिब्बत की प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने भी चीन की हरकतों की जानकारी साझा करते समय तिब्बत में वंश संहार करने के मुद्दे पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत पर आरोप किए।

India-china-Democracyचीन ने १२ लाख तिब्बती नागरिकों का नरसंहार किया है और छह हज़ार से अधिक प्रार्थनास्थल तहस नहस किए हैं। मानव अधिकारों के तहत प्राप्त सभी हक चीन की हुकूमत ने पैरोतले कुचल दिए हैं, ऐसी आलोचना चुक्की ने की। कोरोना के पृष्ठभूमि पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमकत की जारी वर्चस्ववादी गतिविधियों के खिलाफ़ विश्‍वभर में तीव्र असंतोष फैला है। अमरीका और यूरोप के साथ एशियाई देश भी चीन के खिलाफ़ उजागर तौर पर सामने आ रहे हैं और चीन की हुकूमत का असली चेहरा विश्‍व के सामने स्पष्ट होने लगा है। इस हुकूमत के अत्याचारों का अनुभव करनेवाले फेंगसुओ और थिनले चुक्की के बयान से इसकी पुष्टी होती दिख रही है।

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