‘इलेक्ट्रिक’ वाहन देश में शांति से क्रांती कर रहे हैं – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

गांधीनगर – बैटरी पर चल रहे इलेक्ट्रिक वाहनों की एक विशेषता यह है कि, वे ज्यादा आवाज़ नहीं करते। बिल्कुल उसी तरह ई-वाहन देश में ‘सायलेंट रिवोल्युशन’ यानी शांति से क्रांति कर रहे हैं। अगले २५ सालों में ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का ध्येय देश ने तय किया है, यह ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। जापान की सुज़ूकी कंपनी के प्रकल्प के ४० साल पूरे होने के अवसर पर गुजरात के गांधीनगर में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री बोल रहे थे। इस दौरान मारुती-सुज़ूकी की सफलता भारत और जापान की मज़बूत भागीदारी का प्रतीक होने का दावा प्रधानमंत्री ने किया।

‘इलेक्ट्रिक’ वाहनअपनी भाषण में प्रधानमंत्री ने ई-वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल पर ध्यान आकर्षित किया। कुछ साल पहले इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल इतनी मात्रा में बढ़ेगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था। लेकिन, अब दो और चार पहियों के इलेक्ट्रिक वाहनों की मात्रा बढ़ रही है। यह अब विकल्प नहीं रहा, बल्कि इसे प्रमुख वाहनों का दर्ज़ा प्राप्त होने लगा है। इलेक्ट्रिक वाहन प्रदूषण नहीं करते और इसकी आवाज़ भी नहीं होती। इस तरह यह वाहन देश में शांति से क्रांति कर रहे हैं। पिछले आठ सालों में ‘इलेक्ट्रिक वेहिकल’ (ईवी) की माँग और आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने योजनाबद्ध कोशिश शुरू की है, इस ओर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

इसके लिए सरकार प्रोत्साहन के तौर पर अनुदान दे रही है। इसमें आयकर में रियायत देने के साथ ईवी के लिए आसानी से कर्ज़ उपलब्ध कराने की योजना का समावेश है। वाहन निर्माण क्षेत्र की कंपनियों को इसके लिए ‘प्रोडक्शन लिंक इन्सेन्टिव’ (पीएलआई) योजना का लाभ दिया गया है। साथ ही बैटरीज्‌‍ का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी सरकार विशेष कोशिश कर रही है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग के लिए आवश्यक सुविधाएं भारी मात्रा में उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने साल २०२२ के बजट में ‘बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी’ का ऐलान किया था। इससे देश में शांति से शुरू हुई यह क्रांति अगले दिनों में अधिक गति प्राप्त किए बिना नहीं रहेगी, यह विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए देश ने तय किया गया लक्ष्य पाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाना काफी ज़रूरी बनता है, इसका अहसास भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान कराया। इसी बीच प्रधानमंत्री ने अगले २५ सालों के लिए ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का ध्येय रखा है और इसकी आवश्यकता इस साल ईंधन के दाम में हुआ भारी उछाल लगातार स्पष्ट कर रहा है। साल २०२१-२२ के वित्तीय वर्ष में भारत ने ईंधन के आयात पर ११९.२ अरब डॉलर्स की बड़ी राशि खर्च की। पहले की तुलना में यह राशि बढ़कर दोगुनी होने के दावे किए जा रहे हैं।

फिलहाल शुरू भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर गौर करें तो ईंधन की कीमतें कम होने के आसार नहीं हैं। इस वजह से माँग के ८५ प्रतिशत से अधिक मात्रा में ईंधन का आयात कर रहे भारत को इस मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनने के लिए अधिक तेज़ी से कोशिश करनी होगी। ऊर्जा के लिए भारत की अन्य देशों पर निर्भरता आनेवाले समय में भारत की आर्थिक प्रगति में अडचन बन सकती है, इसका अहसास आर्थिक विशेषज्ञ करा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने ऊर्जा क्षेत्र की आत्तनिर्भरता को लेकर किया हुआ यह ऐलान ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसका देश के अर्थव्यवस्था पर बहुत अच्छा असर पडेगा।

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